साल, मंत्री तक के आदेश, नतीजा शून्य

– संजय – – सैकड़ों बार हुई बैठक, परिणाम दूर – 2700 नलकूपों तक पहुंचाने का था लक्ष्य, लागत एक लाख से बढ़ कर हुए चार लाख पटना :खेतों तक पानी पहुंचाने के लिए राजकीय नलकूप को बिजली की सुविधा देनी है. इसके लिए पांच साल से प्रयास हो रहा है. सौ से अधिक बैठक […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | October 21, 2013 3:20 AM

– संजय –

– सैकड़ों बार हुई बैठक, परिणाम दूर

2700 नलकूपों तक पहुंचाने का था लक्ष्य, लागत एक लाख से बढ़ कर हुए चार लाख

पटना :खेतों तक पानी पहुंचाने के लिए राजकीय नलकूप को बिजली की सुविधा देनी है. इसके लिए पांच साल से प्रयास हो रहा है. सौ से अधिक बैठक भी हुई. मुख्यमंत्री ने बैठक की शुरुआत की. अब मुख्य सचिव के स्तर पर निर्देश जारी हो रहा है. हर महीने विभागीय स्तर पर चर्चा हो रही है, लेकिन नतीजा सिफर है.

अब तक 27 सौ नलकूपों में मात्र साढ़े 12 सौ नलकूपों तक ही बिजली पहुंची है. खास यह कि इतने दिनों में नलकूप लगाने की लागत एक लाख से बढ़ कर चार लाख रुपये हो गयी है.

क्या है मामला

नाबार्ड के सहयोग से लघु जल संसाधन विभाग ने राजकीय नलकूप लगाने का निर्णय लिया. फेज तीन में 350, आठ में डीजल चलित 1557 सोलर चालित 34 नलकूप लगे. फेज 11 में तीन हजार नलकूप लगाने का निर्णय लिया गया. सर्वे हुआ तो 249 नलकूप लगाने के स्थल पर पानी की अनुपलब्धता मिली. 2751 पर नलकूप लगाने का काम विभाग ने शुरू किया.

वित्तीय वर्ष 2008-09 में योजना बनी और काम शुरू हुआ. विभाग ने सिविल मेकेनिकल काम करना शुरू कर दिया. मुख्यमंत्री के स्तर पर समीक्षा बैठक के बाद काम शुरू हुआ. उस समय एक नलकूप तक बिजली पहुंचाने का खर्च मात्र एक लाख रुपये आंका गया. मार्च, 2011 तक विभाग ने पूर्ववर्ती बिहार राज्य विद्युत बोर्ड को 31 करोड़ रुपये दिये, लेकिन 135 नलकूप तक ही बिजली की आपूर्ति हो सकी.

कैसे बढ़ा खर्च

राशि देने के बावजूद बिजली कंपनी ने लापरवाही बरती. बिजली बोर्ड ने 2011 के बाद बिजली की सुविधा पहुंचाने का खर्च बढ़ने की बात कही. नये संशोधन रेट में खर्च एक लाख से बढ़ कर तीन लाख से अधिक हो गया.

अब मौजूदा समय में बिजली कंपनी एक नलकूप तक बिजली पहुंचाने के मद में तीन लाख 95 हजार रुपये वसूल रही है. इस राशि के अनुसार विभाग ने बिजली कंपनी को 78 करोड़ रुपये दिये.

राशि की परेशानी

नाबार्ड के तहत संचालित योजनाओं में राशि राज्य सरकार को खर्च करनी पड़ती है. खर्च का ब्योरा देने के बाद नाबार्ड उसकी भरपाई करता है. पूर्व की योजनाओं के अनुसार नाबार्ड ने 95 फीसदी राशि भरपाई की बात कही थी. चार गुना खर्च बढ़ने के बाद फिर विभाग ने नाबार्ड को संशोधित खर्च का ब्योरा दिया है. विभाग को नाबार्ड के फैसले का इंतजार है.

वर्तमान स्थिति

2751 राजकीय नलकूपों में अब भी 1250 नलकूपों तक ही बिजली पहुंची है. मुख्य सचिव के स्तर पर इस मामले की समीक्षा जब तेज हुई, तो कंपनी ने बिजली की सुविधा उपलब्ध कराने वाले नलकूपों की संख्या बढ़ा दी. लघु एवं जल संसाधन विभाग ने इस पर आपत्ति दर्ज की,तो बचाव के तहत अब दोनों विभागों की अधिकारियों की संयुक्त टीम बनी है. वे नलकूपों का जायजा लेंगे और संयुक्त रिपोर्ट सरकार को देंगे.

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