पार्किंग में सड़ रही हैं पर्यटकों को घुमाने के लिए आयीं गाडियां

पटना: सांस्कृतिक, एेतिहासिक व धार्मिक महत्व के चलते बिहार पर्यटन का महत्वपूर्ण केंद्र रहा है. राजधानी पटना से लेकर इसके आस पास के इलाकों में धरोहरों को देखने हर साल बड़ी संख्या में लोग आते हैं. पर्यटन के इस व्यवसाय को बढ़ाने के कई प्रयास हुए. करोड़ों रुपये खर्च कर वाहन खरीदे गये, ताकि बाहर […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | October 12, 2015 2:01 AM

पटना: सांस्कृतिक, एेतिहासिक व धार्मिक महत्व के चलते बिहार पर्यटन का महत्वपूर्ण केंद्र रहा है. राजधानी पटना से लेकर इसके आस पास के इलाकों में धरोहरों को देखने हर साल बड़ी संख्या में लोग आते हैं. पर्यटन के इस व्यवसाय को बढ़ाने के कई प्रयास हुए. करोड़ों रुपये खर्च कर वाहन खरीदे गये, ताकि बाहर से आने वाले लोगों को शहर के महत्वपूर्ण स्थल दिखाये जा सके, लेकिन उचित मॉनिटरिंग के अभाव में तमाम योजनाएं धराशयी हो गयीं.

बिना योजना बनाये खरीदे गये डबल डेकर, बग्घी, एसी बस व कैरा वैन आज किसी भी काम की नहीं हैं. स्थिति यह है कि आज वाहन धूल फांक रहे हैं. बड़े-बड़े वायदे करने वाले जनप्रतिनिधियों ने भी इस पर बात करने या मुद्दा उठाने की जरूरत नहीं समझी. चुनावी मुद्दा की कड़ी में हम आज लोगों को शहर में पर्यटन का हाल दिखायेंगे.

डबल डेकर ट्रायल में फेल : पटना दर्शन के लिए 1.5 करोड़ रुपये से तीन डबल डेकर की खरीद जनवरी, 2015 में की गयी थी, लेकिन यह ट्रायल में ही फेल हो गया. तब से नहीं चलाया गया. दो और बसों के लिए ऑर्डर कर दिया गया है.

वर्कशॉप में है कारवां योजना : इसके तहत 36 लाख से अधिक खर्च कर दो गाड़ियां खरीदी गयीं. दोनों गाड़ियां निगम के वर्कशॉप में खड़ी हैं. अब तक किसी भी पर्यटक ने बुकिंग नहीं करायी है. इसमें छोटी मीटिंग करने के साथ टीवी व फ्रिज की सुविधा है. ये गाड़ियां मंत्रियों व अफसरों की सवारी बनी हुई है.

गंतव्य स्थान पहुंचने से पहले हो जाती है खराब : यही नहीं, चार एसी बसें इसूजू 1.52 करोड़ से 2013 में खरीदी गयी. गंतव्य स्थान तक पहुंचने के पहले ही यह कई बार खराब हो चुकी हैं, जिससे लोगों ने इससे दूरी बना ली. इस बस से पटना पहुंचने वाले देशी व विदेशी पर्यटकों को पर्यटन स्थलों की सैर कराने की योजना थी.

गंगा में वाटर स्पोट्र्स योजना भी फेल : गंगा नदी में वाटर स्पोट्र्स को बढ़ावा देने के लिए छोटे-छोटे नाव व वाटर स्कूटर चलाये गये. कुछ महीनों तक लोगों ने इसका काफी आनंद लिया, मगर अचानक ही यह गायब हो गयी. पहले लोगों ने इसके खराब होने के बहाना बनाया. बाद में अधिकारी इस पर बोलने से भी बच रहे हैं. शहरवासी आज भी इसे मिस करते हैं.

पहले ही दिन टूटी बग्घी
पटना और राजगीर में पर्यटकों को बग्घी पर सैर कराने के लिए सितंबर, 2011 में 12 लाख रुपये में छह बग्घी खरीदी गयी. राजगीर में पहले ही दिन एक बग्घी टूट गयी. इसकी क्वालिटी पर भी सवाल उठाया गया. इसके लिए शेड तक नहीं बनवाये गये. चार बग्घी को राजगीर में चलाया जाना था, जबकि दो को पटना में. अब यह योजना फेल हो गयी है.

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