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बिहार चुनाव : पढ़िए पहले चरण के हाई प्रोफाइल सीटों का हाल

पटना : बिहार विधानसभा चुनाव के प्रथम चरण में भाग्य आजमा रहे 583 उम्मीदवारों के भाग्य का फैसला सोमवार को मतदान के बाद इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीनों में बंद हो गया. इसके साथ बिहार राजनीति में कद्दावर माने जाने वाले कुछ नेताओं के साथ उनके बेटों की किस्मत भी ईवीएम में कैद हो गयी. किस्मत इसलिए […]

पटना : बिहार विधानसभा चुनाव के प्रथम चरण में भाग्य आजमा रहे 583 उम्मीदवारों के भाग्य का फैसला सोमवार को मतदान के बाद इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीनों में बंद हो गया. इसके साथ बिहार राजनीति में कद्दावर माने जाने वाले कुछ नेताओं के साथ उनके बेटों की किस्मत भी ईवीएम में कैद हो गयी. किस्मत इसलिए कि सियासत की गोटी बिना सत्ता के नहीं खेली जाती और उसके लिए सत्ता जरूरी है. सत्ता की चाबी जनता के हाथ में और जनता ने अपना मन-मिजाज ईवीए में कैद कर दिया है.

पहले चरण में जिन बिहार के कद्दावर नेताओं की किस्मत ईवीएम में कैद हुई है उनमें बिहार सरकार के मंत्री विजय कुमार चौधरी के साथ बिहार प्रदेश कांग्रेस के वरिष्ठ नेता सदानंद सिंह भी शामिल हैं. साथ ही लोजपा के प्रदेश अध्यक्ष पशुपति नाथ पारस भी शामिल हैं.

राजनीति के मैदान में अपने दो बेंटों को उतार चुके हम के नेता और पूर्व मंत्री नरेंद्र सिंह की प्रतिष्ठा भी दांव पर लगी है. पहले चरण में उनके दोनों बेटों की किस्मत ईवीएम में कैद हुई है. चकाई से चुनाव लड़ रहे नरेंद्र सिंह के छोटे बेटे सुमित कुमार को लेकर हम और लोजपा में विवाद तक हुआ. लेकिन नरेंद्र सिंह नहीं माने और बेटे को चुनाव लड़वा दिया. जबकि जमुई से चुनाव लड़ रहे नरेंद्र सिंह के बड़े बेटे अजय प्रताप की प्रतिष्ठा भी दांव पर लगी है.

भागलपुर से सांसद अश्विनी चौबे के पुत्र अरिजित शास्वत भी चुनाव लड़ रहे हैं. जबकि अंदरखाने से खबर आ रही है कि एनडीए के ही एक नेता ने अश्विनी चौबे के पुत्र को पराजित करने के लिए भागलपुर में डमी उम्मीदवार को खड़ा कर दिया है. हालांकि इस सीट से अश्विनी चौबे कई बार चुनाव जीत चुके हैं और वह पूरे विश्वास के साथ दुबारा जीतने की आशा रखते हैं.

इन बिहार के कद्दावर नेताओं की किस्मत का फैसला महिलाओं के हाथ में भी दिख रहा है क्योंकि चुनाव आयोग की रिपोर्ट की मानें तो पुरुषों से ज्यादा महिलाओं ने मतदान में बढ़ चढ़कर हिस्सा लिया है. लेकिन सवाल यह है कि जबतक ईवीएम अपना मत जनता के सामने नहीं रखेगा तब तक इन कद्दावर नेताओं की किस्मत के बारे में पता चलना मुश्किल है.

बिहार विधानसभा चुनाव में इसबार भाजपा नीत एनडीए, प्रदेश में सत्तासीन जदयू महागंठबंधन और भाकपा पांच अन्य वामदलों माकपा, भाकपा-माले, फारवर्ड ब्लॉक, एसयूसीआई सी और आरएसपी के साथ जबकि मुलायम सिंह यादव की समाजवादी पार्टी शरद पवार की पार्टी राकांपा सहित चार अन्य दलों के साथ तीसरा मोर्चा भी इस चुनावी मैदान में कूदे हैं. स्वाभाविक है परिणाम काफी दिलचस्प होने वाला है.

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