बिहार विधानसभा चुनाव : महिलाओं का बढ़ता प्रतिनिधित्व

।।शिकोह अलबदर।। बिहार विधानसभा के पहले चरण के मतदान ने पिछले रिकॉर्ड को तोड़ा है. यह बात भी उल्लेखनीय है कि मतदान में पुरुषों की तुलना में महिलाओं की भागीदारी अधिक रही. महिला प्रतिनिधित्व के मामले में उत्तरप्रदेश के बाद बिहार एक बेहतर राज्य के रूप में उभरा है. राजनीति में महिलाओं के बढ़े प्रतिनिधित्व […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | October 13, 2015 4:02 PM

।।शिकोह अलबदर।।

बिहार विधानसभा के पहले चरण के मतदान ने पिछले रिकॉर्ड को तोड़ा है. यह बात भी उल्लेखनीय है कि मतदान में पुरुषों की तुलना में महिलाओं की भागीदारी अधिक रही. महिला प्रतिनिधित्व के मामले में उत्तरप्रदेश के बाद बिहार एक बेहतर राज्य के रूप में उभरा है. राजनीति में महिलाओं के बढ़े प्रतिनिधित्व के बाद भी महिला मतदाताओं की भूमिक बड़ी शांत और गुपचुप लेकिन निर्णायक होती जा रही है.
भारत के बीमारू राज्यों में शामिल बिहार में महिला प्रतिनिधित्व की स्थिति अन्य राज्यों की तुलना में अधिक बेहतर है. राज्य के 243 सीटों वाले विधानसभा में 34 महिला एमएलए हैं. उत्तरप्रदेश के बाद बिहार का स्थान आता है. उत्तरप्रदेश में 35 महिलाएं एमएलए हैं. बिहार की 2.8 करोड़ महिलाएं निरक्षर हैं. महिला साक्षरता का प्रतिशत सबसे कम 53 प्रतिशत है. श्रम में महिलाओं की पुरुषों की तुलना में हिस्सेदारी 62 प्रतिशत कम है. वर्ष 2005 में राज्य में महिलाओं का प्रतिनिधित्व बढ़ा था. 45 सालों के बाद महिलाओं के प्रतिनिधित्व में 31.5 प्रतिशत की वृद्धि हुई थी. यह 2000 के बाद का समय था.
2005 में दो बार विधानसभा चुनाव कराये गये थे. पहला चुनाव फरवरी तथा दूसरा अक्तूबर में कराया गया था. बिहार-झारखंड के बंटवारे के बाद महिलाओं का राज्य के विधानसभा में हिस्सेदारी 10.3 प्रतिशत रही थी. आखिर साल 2000 के बाद महिला एमएलए के संख्या में हुई बढ़ोतरी का क्या कारण माना जाये? इस सवाल का जवाब हमें साफ मिल सकता है. महिलाओं का चुनावों में हिस्सेदारी लगातार बढ़ी थी. दूसरा कारण विधानसभा क्षेत्र की संख्या में इजाफा माना जाता है. 1995 में 52.5 प्रतिशत विधानसभा सीटों से महिलाओं ने चुनाव लड़ा था. साल 2000 में 42 प्रतिशत विधानसभा सीटों से महिलाओं ने चुनाव लड़ा. यह आंकड़ा 2005 में 43 प्रतिशत तक पहुंच गया था. साल 2010 में कुल विधानसभा के 74 प्रतिशत सीटों से महिलाओं ने चुनाव लड़े.
तब क्या यह हमें मानना चाहिए कि महिला प्रत्याशियों की संख्या बढ़ने से महिला एमएलए की संख्या में भी बढ़ोतरी हुई. आंकड़े की गणना करने वाली वेबसाइट इंडिया स्पेंड डॉट कॉम व शोध संस्था जेंडर इन पॉलिटिक्स के मुताबिक 59 सालों में बिहार विधान सभा के लिए हुए चुनावों में180 महिलाएं चुनाव जीती हैं. 52 महिलाएं एक बार से अधिक एमएलए के लिए चुनी गयी हैं. साल 2010 में 182 सीटों से महिला प्रत्याशियों ने चुनाव लड़ा जिनमें 34 सीटों में महिलाओं ने कब्जा जमाया. बिहार में महिलाओं की बढ़ी हिस्सेदारी का एक कारक पंचायत में महिलाओं के 50 प्रतिशत आरक्षण भी है.

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