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केन बीयर से मिला फिंगर प्रिंट, कराया जा रहा मिलान

केन बीयर से मिला फिंगर प्रिंट, कराया जा रहा मिलान प्रभात पड़ताल—–फ्लैग पुलिस के लिए चुनौती. वारदात के बाद आठ दिन के बाद भी पुलिस के हाथ खाली- एएसपी और बाॅडीगार्ड को गोली मारने का मामला- चार संदिग्धों को हिरासत में लेकर मिलाये गये अंगुलियों के छाप संवाददाता, पटना फुलवारी एएसपी राकेश कुमार पर फायरिंग […]

केन बीयर से मिला फिंगर प्रिंट, कराया जा रहा मिलान प्रभात पड़ताल—–फ्लैग पुलिस के लिए चुनौती. वारदात के बाद आठ दिन के बाद भी पुलिस के हाथ खाली- एएसपी और बाॅडीगार्ड को गोली मारने का मामला- चार संदिग्धों को हिरासत में लेकर मिलाये गये अंगुलियों के छाप संवाददाता, पटना फुलवारी एएसपी राकेश कुमार पर फायरिंग मामले में बरामद सील पैक केन बीयर पर मिले फिंगर प्रिंट पुलिस के पास आ गये हैं. अब संदिग्धों की अंगुलियों के छाप का मिलान कराया जा रहा है. अब तक चार संदिग्ध लोगों को हिरासत में लेकर फिंगर प्रिंट से मिलान कराया गया है. हालांकि इसमें पुलिस को सफलता नहीं मिली है. इसके अलावा एएसपी के चालक व बाॅडीगार्ड से पुलिस ने दोबारा पूछताछ की है. पूरे मामले पर पुलिस खामोश है और अनुसंधान जारी है. गौरतलब है कि आठ अक्तूबर की रात पटना म्यूजियम के पास एएसपी व उनके बाॅडीगार्ड को गोली मार दी गयी थी. घटना स्थल से आगे नहीं बढ़ पा रही जांचपुलिस का अनुसंधान घटना स्थल से आगे नहीं बढ़ पा रहा है. पटना म्यूजियम के पास से मिले खाेखे, पिलेट, केन बीयर, ब्लड सैंपल पर पुलिस की जांच टिकी हुई है. पुलिस की कोशिश है कि तकनीकी जांच के आधार पर कोई ठोस साक्ष्य मिले, ताकि मामले की हकीकत तक पहुंचा जा सके. आज की तारीख तक पुलिस के पास बड़े सबूत के रूप में फिंगर प्रिंट हैं, जो केन बीयर से लिये गये हैं. इसे सीआइटी को उपलब्ध कराया गया है. कुछ भी कहना जल्दबाजी होगी : एसएसपीएएसपी राकेश कुमार के बॉडीगार्ड और चालक जसवीर से दोबारा पूछताछ की गयी है. पुलिस द्वारा जारी किये गये स्केच पर भी कोई प्रतिक्रिया वाट्सएेप या फेसबुक के माध्यम से नहीं आयी है. मामला पूरी तरह से रहस्य बना हुआ है. एसएसपी विकास वैभव का कहना है कि अनुसंधान तक कुछ भी कहना जल्दबाजी होगी. कुछ प्वांइट पर लीड मिली थी, लग रहा था कि मामला खुल जायेगा, पर जब गहरायी से जांच की गयी, तो संदेह गलत निकला. अब अन्य बिंदुओं पर जांच की जा रही है.ये भी हैं सवाल – क्या पुलिस पदाधिकारी मामले की हकीकत जान कर खामोश हो गये हैं? – क्या कोई अपराधी आया ही नहीं था, घटना के तुरंत बाद शहर की नाकेबंदी क्यों नहीं करायी गयी? – किसी भी गैंग में एक-डेढ़ दर्जन सदस्य होते हैं, थानेदार सबको जानते हैं, फिर भी पहचान में देरी? – अापराधिक गैंग एक-दूसरे की सूचना लीक करते हैं, पर इससे भी नहीं खुल रहे राज?

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