अब घर में मिलेगा मां के हाथ का खाना

अब घर में मिलेगा मां के हाथ का खानालाइफ रिपोर्टर पटनायार, जल्दी चलो ऐसा न हो कि ट्रेन छूट जाये…शॉपिंग करने में पहले से ही लेट हो चुकी है… ओये, ट्रेन खुलने में अभी टाइम है. तू इतनी जल्देबाजी में क्यों है? घर जाना है, ऐसे में एक्साइटमेंट तो बढ़ ही जाती हैं यार. क्योंकि […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | October 17, 2015 6:36 PM

अब घर में मिलेगा मां के हाथ का खानालाइफ रिपोर्टर पटनायार, जल्दी चलो ऐसा न हो कि ट्रेन छूट जाये…शॉपिंग करने में पहले से ही लेट हो चुकी है… ओये, ट्रेन खुलने में अभी टाइम है. तू इतनी जल्देबाजी में क्यों है? घर जाना है, ऐसे में एक्साइटमेंट तो बढ़ ही जाती हैं यार. क्योंकि घर में मम्मी के हाथ का खाना मिलेगा. पूरे साढ़े चार महीने पर घर जा रही हूं. मैं तो इससे पहले होली में घर गयी थी. इन दिनों सड़कों पर कुछ ऐसे ही गॉसिप सुनने को मिल रहे हैं. कोई हॉस्टल से तो कोई किराये के घर से अपना बैग ले कर निकल रहा था. ऐसे में हर किसी के चेहरे पर अपने घर जाने की एक्साइटमेंट झलक रही थी. लोग गॉसिप करते हुए रेलवे स्टेशन, बस स्टैंड जा रहे थे. दुर्गापूजा के अवसर पर पटना में रहने वाले लोग अपने-अपने घर जाने के लिए पूरी तरह से तैयार थे. हाथ में बैग टांगे बार-बार टाइम देख रहे थे. छुट्टी मनाने वाले लोगों ने बताया कि त्योहारों में ही तो घर जाने का मौका मिलता है, इसलिए खुशी बढ़ते जा रही है. लोगों से बातचीतदुर्गापूजा आने से पहले मुझे घर जाने की एक्साइटमेंट होने लगती है. मैं होली और दशहरा दो बार लंबे समय के लिए घर जा पाता हूं. इसके अलावा अगर कभी सेमेस्टर ब्रेक हुआ, तो छुट्टी मिल जाती है. इसलिए मुझे घर जाने की बहुत जल्दबाजी है. मैंने दो दिनों पहले ही अपना बैग पैक कर लिया था. 10 दिनों की छुट्टी है. इसलिए मैंने पहले ही प्लानिंग कर ली है कि किस दिन क्या करना है. घर जाने के बाद मेरा समय बहुत कीमती हो जाता है. क्योंकि दस दिनों को मैं बहुत प्यार से जीता हूं. आने के दिन आने का मन नहीं करता, लेकिन आरा में ढंग की पढ़ाई नहीं हो पाती. इसलिए घर से बाहर रहना पड़ता है. फिलहाल अब फेस्टिवल एंज्वाय करना है. विकास, आरा जाने के लिए सौम्या और इंदू दोनों कटिहार में रहते हैं. इसलिए अपनी छुट्टी में दोनों हॉस्टल से साथ-साथ निकल रहे हैं. उन्होंने बताया कि जब भी हमारी छुट्टी होती है. हम साथ में ही घर जाते हैं. ऐसे में घर जाने से पहले हम दोनों साथ मिल कर शॉपिंग किये हैं. दोनों ने नवरात्रा का स्पेशल ड्रेस भी लिया है. हम लोग 29 को वापस पटना आ रहे हैं, तब तक मस्ती ही मस्ती होने वाली है. दोनों फ्रेंड कॉलेज के अलावा वहां भी साथ में प्लानिंग करते हैं. घर में भी खूब मस्ती होगी. दुर्गापूजा में पूरी फैमिली के लोग इकट्ठा होने वाले हैं. इसलिए प्लानिंग पहले से है. कटिहार में भी दुर्गापूजा काफी अच्छे तरीके से सेलिब्रेट किया जाता हैै.सौम्या और इंदू- कटिहार जाने के लिएपटना में हॉस्टल में रहती हूं. ऐसे में घर जाने का मौका मिलता है, तो मेरी खुशी बढ़ती जाती है. दुर्गापूजा में जहानाबाद अपने घर जाना है. दुर्गापूजा के अवसर पर घर जाते हुए अनामिका कुछ इसी अंदाज में अपनी खुशी जाहिर करती हैं. वे कहती हैं कि मैं जहानाबाद अकेले नहीं जाती हूं. इसलिए पापा मेरे भाई सौरव को पटना भेजे हैं, ताकि उसके साथ घर जाने में आसानी होती है. घर जाने के नाम से ही उछलने का मन करता है. घर जाने की तैयारी कई दिनों से थी मैंने सारी शॉपिंग पटना से ही की है. घर सिर्फ मस्ती करती हूं. वहीं सौरव ने बताया कि दीदी के बिना मन नहीं लगता. इसलिए उन्हें घर ले जाने के लिए आया हूं. घर जाने के बाद मैं दीदी से पार्टी लूंगा़अनामिका और सौरव- जहानाबाद जाने के लिएमुझे त्योहार इसलिए ज्यादा पसंद हैं क्योंकि इस मौके पर घर जाने का अवसर मिलता है. हॉस्टल से आरा अपने घर जाते हुए नेहा कहती हैं कि मैं आरा की रहने वाली हूं. पटना में पढ़ाई की वजह से हॉस्टल में रहना पड़ता है. इस वजह से घर जाने का मौका छुट्टियों में मिलता है. मुझे घर ले जाने के लिए मम्मी खुद आयी हैं. अब 29 तक मम्मी के हाथ का खाना मिलेगा. इन छुट्टियों में पूरी फैमिली से भी मिलने का मौका मिलता है. इसलिए मैं बहुत खुश हूं. वहीं मम्मी वीदिता सिंह कहती हैं कि नेहा के बिना घर में रौनक नहीं रहती. इसके बिना मन नहीं लगता. इसके घर आने की खुशी मुझे सबसे ज्यादा है. इसलिए आरा से पटना इसे घर ले जाने के लिए खुद आयी हूं. नेहा और विदिता- आरा जाने के लिए हॉस्टल से स्टेशन जाते हुए भव्या और नेहा कहती हैं कि हम दोनों एक ही हॉस्टल में रहते हैं, लेकिन दोनों को अलग-अलग जगह जाना है. इस बारे में भव्या ने बताया कि मुझे मुंगेर जाना है. मैं ट्रेन से जा रही हूं. हॉस्टल से बाहर निकलते मन खुश हो जाता है. क्योंकि त्योहारों के मौके पर हॉस्टल में मन नहीं लगता. मैं ज्यादातर त्योहारों के मौके पर ही घर जा पाती हूं. वहीं नेहा ने बताया कि हम दोनों एक साथ स्टेशन जा रहे हैं, लेकिन दोनों का रास्ता अलग है. मैं मोकामा जा रही हूं. घर जाने के लिए कई तरह की शॉपिंग की है. 29 को पटना वापस आना हैै. इसलिए जितने दिन के लिए भी जा रही हूं, बहुत अच्छे से बिताऊंगी.भव्या और नेहा, मोकामा और मुंगेर जाने के लिएपिछली बार मेरी ट्रेन मिस हो गयी थी. इसलिए इस बार मैं स्टेशन पहले पहुंचने वाली हूं. इसलिए रिक्शा से स्टेशन जाना सही समझा. दुर्गापूजा में अपने घर जाने वाली विदुशी कहती हैं कि मैं साढ़े तीन महीने के बाद मोतिहारी अपने घर जा रही हूं. घर में रहना मुझे सबसे ज्यादा पसंद है. इसलिए छुट्टियों में घर में ही रहती हूं. शॉपिंग वगैरह पटना से ही कर लिया है. भाई-बहन बहुत एक्साइटेड हैं. इसलिए उनके लिए भी शॉपिंग की है. इस बार छुट्टी 25 तक ही है. इसलिए कम दिनों की छुट्टी में ज्यादा एंज्वाय करना है. विदुशी, मोतिहारी जाने के लिए

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