शाम-ए-गजल में खोये रहे श्रोता

शाम-ए-गजल में खोये रहे श्रोतामशहूर शायर अहमद फराज की याद में हुआ आयोजननवरस स्कूल ऑफ परफॉर्मिंग आर्ट ने आयोजित किया कार्यक्रमलाइफ रिपाेर्टर पटनामौसम में रफ्ता-रफ्ता दस्तक दे रही गुलाबी शाम हो, जाहिद हुसैन की मखमली आवाज हो और उस पर उर्दू के मशहूर शायरों में शुमार होने वाले अहमद फराज के गजलों की पेशगी हो, […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | October 17, 2015 10:37 PM

शाम-ए-गजल में खोये रहे श्रोतामशहूर शायर अहमद फराज की याद में हुआ आयोजननवरस स्कूल ऑफ परफॉर्मिंग आर्ट ने आयोजित किया कार्यक्रमलाइफ रिपाेर्टर पटनामौसम में रफ्ता-रफ्ता दस्तक दे रही गुलाबी शाम हो, जाहिद हुसैन की मखमली आवाज हो और उस पर उर्दू के मशहूर शायरों में शुमार होने वाले अहमद फराज के गजलों की पेशगी हो, तो भला श्रोता क्यों ने खाे जाये. कुछ ऐसा ही देखने को मिला नवरस स्कूल ऑफ परफॉर्मिंग आर्ट की तरफ से आयोजित शाम-ए-गजल के बज्म-ए-सूखां, बज्म-ए-मौशिकी में, जहां मध्यप्रदेश से तशरीफ लाये गायक जाहिद हुसैन ने अहमद फराज के लिखे गजलों को सुना कर पूरे माहौल को खुशनुमा बना दिया. इससे पहले कार्यक्रम का संचालन कर रहे नवरस स्कूल ऑफ परफॉर्मिंग आर्ट के सचिव डाॅक्टर अजीत प्रधान ने कार्यक्रम के बारे में जानकारी देने के साथ ही तशरीफ लाये सभी मेहमानों के बारे में जानकारी दिया. रवींद्र भवन में आयोजित इस कार्यक्रम में इस मौके पर शहर की कई नामी हस्तियां मौजूद थी.फरहत शहजाद ने सुनायी यादेंकार्यक्रम के शुरूआत में पाकिस्तान के करांची के रहने वाले और सीधे अमेरिका से पटना पहुंचे फरहत शहजाद ने आने और अहमद फराज के रिश्तों के बारे में बताया. इन यादों के शुरूआत में जब उन्होंने हमारे घर को यह रोशनी मयस्सर कहा थी, हुजूर ये आपके कदमों की मेहरबानी है, कहा तो हर तरफ से वाह-वाह की आवाज आने लगी. उन्होंने कहा कि अहमद फराज पर आधारित कार्यक्रम में हिस्सा लेने को वह अपनी खुशकिस्मती समझते हैं. उन्होंने अहमद फराज के जीवन के कई संस्मरणों को बताया. इस दौरान वह बीच-बीच में वह अलग-अलग गजलों की लाइनों जैसे तन्हा-तन्हा मत सोचा कर, मर जायेगा मत सोचा कर, जुल्फ रातों से है रंगत है उजालों जैसी, पर तबियत होगी घुलने वालों जैसी को भी सुनाते रहे. रंजीशे ही सही दिल को दुखाने के लिए आकार्यक्रम का अगला हिस्सा मध्यप्रदेश से आये फनकार जाहिद हुसैन के नाम रहा. कई मशहूर गजल कंसर्ट में हिस्सा ले चुके जाहिद ने अपने कार्यक्रम की शुरूअात अहमद फराज के मशहुर गजल रंजीशे ही सही दिल को दुखाने के लिए आ, आ फिर से मुझे छोड़ के जाने के लिए से की. जिसे सुन कर पूरा हॉल तालियाें से गूंज उठा. जाहिद ने अगली पेशकश उनके एक और मशहूर गजल अब के हम बिछड़े तो शायद ख्वाबों में मिले, जिस तरह सूखे हुए फूल किताबों में मिले को गाया तो पूरा माहौल वाह-वाह कहने को मजबूर हो गया. उनकी अगली प्रस्तुति दोस्त बन कर भी नहीं साथ निभाने वाला, वहीं अंदाज है जालिम का जलाने वाला थी. जाहिद के हर एक पेशकश पर लोग दाद दिये बिना नहीं रह पा रहे थे. इस कार्यक्रम में जाहिद ने इसके अलावा थोड़ी दूर साथ चलो, शोला था जल बुझा हुं जैसे और भी कई गजलों को पेश किया.

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