बेहतर जिंदगी, बेहतर आंकड़े की महत्ता को बताया

बेहतर जिंदगी, बेहतर आंकड़े की महत्ता को बताया- विश्व सांख्यिकी दिवस के मौके पर अर्थ एवं सांख्यिकी निदेशालय में आयोजित हुआ कार्यक्रम- आंकड़े के महत्व को बताते हुए इसे संग्रहित करने के बेहतर तरीके अपनाने पर हुई चर्चासंवाददाता, पटनापूरी दुनिया में आंकड़ों या सांख्यिकी की बढ़ती जरूरत को देखते हुए संयुक्त राष्ट्र (यूएन) ने 2010 […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | October 20, 2015 11:07 PM

बेहतर जिंदगी, बेहतर आंकड़े की महत्ता को बताया- विश्व सांख्यिकी दिवस के मौके पर अर्थ एवं सांख्यिकी निदेशालय में आयोजित हुआ कार्यक्रम- आंकड़े के महत्व को बताते हुए इसे संग्रहित करने के बेहतर तरीके अपनाने पर हुई चर्चासंवाददाता, पटनापूरी दुनिया में आंकड़ों या सांख्यिकी की बढ़ती जरूरत को देखते हुए संयुक्त राष्ट्र (यूएन) ने 2010 में प्रत्येक वर्ष 20 अक्टूबर को विश्व सांख्यिकी दिवस मनाने की घोषणा की. इसके तहत मंगलवार को राज्य सूचना आयोग के सभागार में योजना एवं विकास विभाग के अर्थ एवं सांख्यिकी निदेशालय ने विश्व सांख्यिकी दिवस का आयोजन किया. इसका विषय ‘बेहतर आंकड़े, बेहतर जिंदगी’ रखा गया था. निदेशक जेकेपी सिंह ने कार्यक्रम का उद्घाटन करते हुए कहा कि जिस तरह साहित्य समाज का दर्पण होता है. उसी तरह सांख्यिकी उसके विकसित मानसिकता का परिचायक है. समाज की वास्तविक स्थिति को उजागर करने का यह सटीक तरीका है. यह समाज की वास्तविक स्थिति को उजागर कर भविष्य के लिए दिग्दर्शन करने का काम करता है. निदेशालय जनमानस में सांख्यिकी को आत्मसात करने के उदेश्य से समाज के विभिन्न वर्गों से संबंधित तथ्यों को उजागर करने का कार्यक्रम चलाता है. इस मौके पर 20 मूल सांख्यिकी विषयों पर गंभीरतापूर्वक चर्चा की गयी. इन मूल विषयों में शिक्षा, स्वास्थ्य, पर्यावरण, उद्योग समेत अन्य विषयों को शामिल किया गया है. इन विषयों से संबंधित तमाम आंकड़ों का संकलन कर इसकी प्रस्तुति की जायेगी, ताकि इसके आधार पर सशक्त जन कल्याणकारी योजनाएं बनायी जा सके. इन आंकड़ों की मदद से योजनाओं का क्रियान्वयन बेहतर तरीके से हो सकेगा और योजनाओं में किसी तरह की त्रुटी होने की संभावना बेहद कम हो सकेगी. आंकड़ों के आधार पर ही बेहतर योजना का निर्माण किया जा सकता है. इस कार्यक्रम के दौरान इस बात पर खासतौर से ध्यान देने को कहा गया कि आंकड़े तैयार करते समय इसकी उपयोगिता का पूरी तरह से ख्याल रखा जाये. आंकड़े लोगों की सामाजिक और आर्थिक स्थिति की वास्तविकता को बताने वाले होने चाहिए. इस दौरान वरीय संयुक्त निदेशक उपेन्द्र कुमार दास, उप निदेशक निर्भय कुमार, संयुक्त निदेशक प्रमोद कुमार वर्मा, सांख्यिकी पर्यवेक्षक मिथिलेश कुमार मेहता समेत अन्य लोगों ने सांख्यिकी के बारे में विस्तार से जानकारी दी.

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