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जिन्होंने दाल काला किया जनता उन्हें करेगी काला : विजेंद्र चौधरी

पटना : कृषि मंत्री विजय कुमार चौधरी ने केंद्र सरकार को दाल के मुद्दे पर घेरते हुए जमकर हमला किया है. जदयू कार्यालय में आयोजित प्रेस वार्ता में उन्होंने कहा कि केंद्रीय कृषि मंत्री राधामोहन सिंह और केंद्रीय खाद्य उपभोक्ता मंत्री राम विलास पासवान दोनों राज्य की जनता को गुमराह करने वाले बयान लगातार दे […]

पटना : कृषि मंत्री विजय कुमार चौधरी ने केंद्र सरकार को दाल के मुद्दे पर घेरते हुए जमकर हमला किया है. जदयू कार्यालय में आयोजित प्रेस वार्ता में उन्होंने कहा कि केंद्रीय कृषि मंत्री राधामोहन सिंह और केंद्रीय खाद्य उपभोक्ता मंत्री राम विलास पासवान दोनों राज्य की जनता को गुमराह करने वाले बयान लगातार दे रहे हैं. दोनों केंद्रीय मंत्रियों के बयान को गैर-जिम्मेदाराना बताते हुए कहा कि राज्य सरकार को इस मुद्दे पर घेरना निंदनीय और शर्मनाक है.
ये लोग जिस ढीठई से झूठ बोल रहे हैं, एक जिम्मेवार पद पर बैठे व्यक्ति को ऐसा नहीं बोलना चाहिए. मंत्री चौधरी ने बताया कि केंद्रीय उपभोक्ता एवं संरक्षण मंत्रालय ने दाल की आपूर्ति के लिए जुलाई के अंत में पत्र आया था, जिसका जवाब राज्य ने अगस्त के पहले सप्ताह में दे दिया. बिहार के साथ-साथ तमाम राज्यों ने दाल की खरीद से मना कर दिया था. इसका कारण था कि समूचे दाल को खरीद कर इसकी मिलिंग, संग्रहण और मार्केटिंग करनी पड़ती, जो संभव नहीं था. इतनी अधिक मात्रा में दाल की कूटाई करवाना बेहद मुश्किल था.
इसके लिए बिहार ने एनएएफइडी को पत्र भी लिखा था. परंतु केंद्र ने इस पर कोई पहल नहीं की. केंद्र ने मायंमार और अफ्रीका से पांच हजार मेट्रिक टन दाल का आयात किया था. इसके मूल्य पर नियंत्रण और विपणन करने के लिए समय पर निर्णय नहीं लिया. इससे कीमतें काफी बढ़ गयी. इसके लिए कोई प्लान ही नहीं तैयार किया गया. सिर्फ राज्यों को यह कह कर खानापूर्ति कर दी गयी कि राज्य उठाव कर लें.
उन्होंने कहा कि बिहार सरकार पर जमाखोरों पर कार्रवाई नहीं करने का आरोप केंद्र लगा रही है, जो पूरी तरह से गलत है. अगर बिहार में जमाखोरी के कारण दाल की कीमतें बढ़ रही हैं, तो गुजरात, मध्य प्रदेश समेत अन्य राज्यों में भी दाल इतनी महंगी क्यों हो गयी है. दूसरे राज्यों में जमाखोरों पर क्यों नहीं कार्रवाई हो रही है.
जहां तक दिल्ली की बात है, तो वहां केंद्र सरकार अपने केंद्रीय भंडारण एजेंसी समेत 450 से ज्यादा ऑउटलेटों से इसकी बिक्री कर रही है. इसलिए यह नियंत्रित दर पर मिल रहा है. अगर दाल के मूल्य नियंत्रण की इतनी ही केंद्र को चिंता है, तो बिहार समेत अन्य राज्यों में भी यह बंदोबस्त करना चाहिए था.

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