सहरसा : जनता दल यू के राष्ट्रीय अध्यक्ष शरद यादव ने कहा है कि बिहार का चुनाव परिणाम आरक्षण के मुद्दे का कोटा लाभार्थियों के पक्ष में स्थायी रुप से निर्णय कर देगा. जदयू नेता ने कहा कि बिहार के चुनाव में सामाजिक गैर बराबरी और विकास दोनों ही मुद्दा महत्वपूर्ण है और इस बात पर जोर दिया कि बिहार में बहुसंख्यक लोग आरक्षित श्रेणी से आते हैं. यादव ने कहा, ‘‘बिहार का चुनाव वंचित वर्ग को हमारे संविधान द्वारा प्रदान किये गये आरक्षण के अस्त्र की रक्षा करेगा. मैं लोगों से अपील करता हूं कि वह अपने मताधिकार के जरिये इस तंत्र की रक्षा करें.
सही बटन को दबायें और इसकी रक्षा करें. बिहार का चुनावी परिणाम आरक्षण के मुद्दे को हमेशा के लिए हल कर देगा. अगर लोग सही बटन को दबायेंगे तो कोई भी आरक्षण को हटा नहीं सकेगा.’ उन्होंने कहा कि आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत ने आरक्षण के मुद्दे पर जो कुछ कहा है उसका दलितों और पिछडे वर्ग जैसे आरक्षण के लाभार्थियों पर व्यापक प्रभाव पडा है. इसके अलावा सामाजिक न्याय में विश्वास करने वाले जागृत उच्च वर्ग के मतदाताओं पर भी इसका बडा प्रभाव पडा है. यह उन लोगों के लिए एक खास अवसर है जो आरक्षण को बचाना चाहते हैं. उन्हें बस अपने मताधिकार का इस्तेमाल करना है और उन लोगों को पराजित करना है जो आरक्षण को खत्म करना चाहते हैं.
यह पूछे जाने पर कि क्या मुस्लिम-यादव गठजोड इस बार जदयू राजद कांग्रेस महागठबंधन के पक्ष में एकजुट है जो लालू प्रसाद की मुख्य ताकत रही है और जिसके सहारे उन्होंने 15 वर्षों’ तक बिहार पर शासन किया, यादव ने दावा किया कि न सिर्फ मुस्लिम यादव, बल्कि सभी गरीब जातियां और उंची जाति का जागरुक तबका पूरी तरह से महागठबंधन के प्रति एकजुट है. उन्होंने यह भी कहा कि बिहार में कोई तीसरा मोर्चा नहीं है और चुनावी मुकाबला सीधा है. बिहार के मधेपुरा से सांसद रहे शरद यादव ने पप्पू यादव की ओर से किसी तरह की चुनौती की बात को खारिज किया.
पिछले लोकसभा चुनाव में पप्पू यादव ने उन्हें मधेपुरा में पराजित किया था. राजद से निकाले जाने के बाद पप्पू यादव ने जनअधिकार पार्टी बनायी है. जदयू नेता ने कहा, ‘‘यहां कोई तीसरा मोर्चा नहीं है. बिहार में सीधी लडाई है. सहरसा और मधेपुरा का यह इलाका समाजवादियों की भूमि रही है. सभी समाजवादी शक्तियां एकजुट हुई हैं और इसलिए महागबबंधन विधानसभा चुनाव आसानी से जीतेगा. उनकी यह टिप्पणी पप्पू यादव द्वारा इस बात पर जोर दिये जाने के बाद आयी है कि बिहार में किसी गठबंधन को बहुमत नहीं मिलेगा और सरकार बनाने में तीसरे मोर्चे की महत्वपूर्ण भूमिका होगी.