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दाल पर नीतीश कर रहे बयानबाजी : राधामोहन

पटना : दाल पर चल रहा राजनीति थमने का नाम नहीं ले रही है. केंद्रीय कृषि मंत्री राधा मोहन सिंह ने कहा है कि बिहार में जमाखोरों के खिलाफ छापे क्यों नहीं मारे गये. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार इसका उत्तर दें. उन्होंने कहा कि नीतीश कुमार का यह कहना कि बिहार ही नहीं दूसरे अन्य राज्यों […]

पटना : दाल पर चल रहा राजनीति थमने का नाम नहीं ले रही है. केंद्रीय कृषि मंत्री राधा मोहन सिंह ने कहा है कि बिहार में जमाखोरों के खिलाफ छापे क्यों नहीं मारे गये. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार इसका उत्तर दें.
उन्होंने कहा कि नीतीश कुमार का यह कहना कि बिहार ही नहीं दूसरे अन्य राज्यों में भी दाल की कीमतें बढी हुई हैं उनकी यह बात ठीक है लेकिन जिन राज्यों में दालों की कीमतें बढी हैं राज्य सरकारें छापे मार रही हैं. नीतीश बयानबाजी कर रहे हैं.
श्री सिंह ने कहा है कि नीतीश कुमार बस इतना बता दें कि उनकी सरकार ने एक भी कार्रवाई क्यों नहीं की. उपभोक्ता मामलों से संबंधित मंत्रालय की 20 अक्टूबर का तैयार एक्शन रिपोर्ट यह बताता है कि बिहार में आलू, प्याज, दाल आदि आवयश्यक वस्तुओं की जमाखोरी करने वालों और कालाबाजारी करने वालों के खिलाफ न तो एक भी मामला दर्ज किया गया और न किसी को पकडा गया. इस वर्ष अब तक जमाखोरी और कालाबाजारी रोकने के लिए अलग अलग राज्यों से मिली रिपोर्ट के मुताबिक गुजरात, हिमाचल प्रदेश, केरल, उत्तर प्रदेश, पश्चिम बंगाल, तेलंगाना, हरियाणा, गोवा, मेघालय, ओडिसा, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र लगभग हर राज्य ने कुछ न कुछ कार्रवाई की है.
यदि दाल की बात की जाए तो महाराष्ट्र में 19 अक्टूबर एक ही दिन में जामाखोरी और कालाबाजारी करनेवालों के खिलाफ 51 छापे मारे गए जबकि तेलंगाना में 1820 छापे मार दाल बरामद की गई। आंध्र प्रदेश में 56 मध्य प्रदेश में 25 हरियाणा में 191, दिल्ली में पांच छापे मारे गए. छापेमारी में 36000 टन दाल जब्त की गयी है.
राधा मोहन सिंह ने कहा कि छापे क्यों नही मारे जा रहे हैं इसका सच नीतीश कुमार नहीं बता पाएंगे. असल में आवश्यक वस्तु सेवा अधिनियम के तहत कालाबाजरी रोकने के नियम हैं. स्टॉक लिमिट राज्य तय करते हैं कि होलसेल व स्टॉकस्टि और खुदरा व्यापारी कितना माल रखेंगे.
बिहार में स्टॉक लिमिट की अवधि 30 सिंतबर को समाप्त हो गई लेकिन नीतीश कुमार ने इसका नवीनीकरण न कर बिहार को कालाबाजारियों के हवाले कर दिया.अन्य राज्य सरकारें सस्ती दाल बेच रही हैं तो बिहार में क्यों नहीं. नीतीश कुमार सिर्फ बयानबाजी कर रहे हैं. दाल की कीमतों को काबू करने के लिए सभी राज्य सरकारें जमाखोरों के खिलाफ छापेमारी की कार्रवाई कर रही है.
विदेश से पांच हजार टन दाल देश में पहुंच चुका है. राज्य सरकारें इस आयातित दाल को भी ले रही है.इसके अतिरक्ति तीन हजार टन दालें और आयातित की जा रही हैं. जिस प्रकार से छापेमारी की कार्रवाई में दाल बरामद हो रही है उससे साबित होता है कि बढी हुई कीमतों की वजह जमाखोरी है. आप भी अपने राज्य में छापेमारी की कार्रवाई कराए व छापे से जब्त दाल और आयातित दाल को अपभोक्ताओं में बांटने का कार्य करें.

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