3959 करोड़ का नहीं मिला हिसाब

पटना: सूबे के मुफस्सिल कार्यालयों यानी प्रखंड, अनुमंडल व जिलों में सरकार से जारी राशि खर्च तो हो गयी, लेकिन उसका बिल व वाउचर गुम हो गया. बिल व वाउचर लाख-दो लाख का नहीं, करोड़ों रुपये का है. लाख कोशिश के बावजूद 3,959 करोड़ का हिसाब महालेखाकार कार्यालय को नहीं मिल रहा है. हालांकि, उन […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | October 25, 2013 7:51 AM

पटना: सूबे के मुफस्सिल कार्यालयों यानी प्रखंड, अनुमंडल व जिलों में सरकार से जारी राशि खर्च तो हो गयी, लेकिन उसका बिल व वाउचर गुम हो गया. बिल व वाउचर लाख-दो लाख का नहीं, करोड़ों रुपये का है. लाख कोशिश के बावजूद 3,959 करोड़ का हिसाब महालेखाकार कार्यालय को नहीं मिल रहा है.

हालांकि, उन बिल व वाउचरों की खोज अब भी जारी होने की बात कही जा रही है, लेकिन जिलों से जो रिपोर्ट आ रही है उसके अनुसार कुछ बिल बाढ़ में नष्ट हो गये हैं. खासकर कोसी क्षेत्र क्षेत्र में इस तरह का मामला ज्यादा है. मामला एसी बिल पर निकासी की गयी राशि के डीसी बिल में समायोजन का है. मुख्य सचिव अशोक कुमार सिन्हा ने डीसी बिल शून्य करने के लिए विभागों को एक बार फिर कड़ा निर्देश दिया है.

बाढ़ में नष्ट हो गये बिल: मुख्य सचिव की अध्यक्षता में हुई बैठक में अधिकारियों ने बताया कि जिला से निकासी कर प्रखंडों में जो राशि भेजी गयी है, उसका बिल व वाउचर मिलने में परेशानी हो रही है. कई जिलों से रिपोर्ट मिली है कि बाढ़ में अधिकांश बिल व वाउचर नष्ट हो गये हैं. कुछ बिल को दीमक चाट गया है, जो पठनीय नहीं रह गया है. जो पठनीय है उसके आधार पर डीसी बिल तैयार कर समायोजन कराया जा रहा है.

28,013 करोड़ का मिला हिसाब
वित्त विभाग के अधिकारियों के अनुसार, 2002 से लेकर 31 मार्च, 2013 तक की अवधि में एसी बिल के आधार पर 32 हजार करोड़ रुपये की निकासी की गयी है. इसमें से 11 अक्तूबर तक 28013 करोड़ के डीसी बिल का समायोजन हुआ है. यानी 3959 करोड़ रुपये का समायोजन होना शेष है. जिन विभागों का हिसाब नहीं मिल रहा है, उसमें शिक्षा, स्वास्थ्य, गृह, आपदा प्रबंधन, समाज कल्याण, कृषि, उद्योग, श्रम संसाधन, अल्पसंख्यक कल्याण, पंचायती राज, योजना एवं विकास, ग्रामीण विकास, राजस्व एवं भूमि सुधार, पथ निर्माण, एससी/एसटी कल्याण व भवन निर्माण प्रमुख है.

रिपोर्ट के मुताबिक एनडीए शासन के पहले यानी राबड़ी देवी के शासन के समय में निकासी की गयी 238.80 करोड़ रुपये का हिसाब अब तक महालेखाकार को नहीं मिला है. शेष 3720 करोड़ का हिसाब इस शासनकाल का है. 2012 के बाद से व्यवस्था में बदलाव किया गया है. एक बार एसी बिल से निकासी की गयी राशि का जब तक डीसी बिल जमा नहीं होगा, तब तक दूसरा एसी बिल के आधार पर राशि की निकासी नहीं होगी. दूसरी व्यवस्था यह है कि डीसी बिल अब कोषागार में जमा होगा और वह महालेखाकार कार्यालय में समायोजित करायेगा. इस व्यवस्था के लागू होने के बाद डीसी बिल समायोजन की समस्या का समाधान हो गया है.

जिन विभागों का डीसी बिल जमा कराने में प्रदर्शन खराब है, उन्हें कड़ी चेतावनी दी गयी है. जो जिम्मेवार अधिकारी हैं, उनकी पहचान कर उनके खिलाफ कार्रवाई करने को कहा गया है. जो अधिकारी रिटायर्ड हो गये हैं, उनकी भी जिम्मेवारी तय होगी और उनके खिलाफ कार्रवाई होगी.

अशोक कुमार सिन्हा, मुख्य सचिव

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