पटना: बख्तियारपुर में प्रमुख टक्कर महागंठबंधन के प्रत्याशी अनिरूद्ध यादव और एनडीए प्रत्याशी रणविजय सिंह उर्फ लल्लू मुखिया के बीच है. दोनों एक ही जाति से आते हैं, लेकिन दोनों ही प्रत्याशियों को अपनों से ही नुकसान है. कभी राजद में रहे जितेंद्र यादव इस बार निर्दलीय चुनाव लड़ रहे हैं और यादव मतदाताओं में सेंध लगाने के प्रयास में हैं.
जितेंद्र यादव को इस बात की उम्मीद थी कि इस बार उन्हें ही महागंठबंधन का उम्मीदवार बनाया जायेगा, लेकिन यह नहीं हुआ और अनिरूद्ध यादव को उम्मीदवार बना दिया गया. इससे नाराज वे निर्दलीय ही चुनाव के मैदान में उतर गये. जितेंद्र यादव की भी अपनी जाति के मतदाताओं में अच्छी पकड़ है. जबकि एनडीए प्रत्याशी रणविजय सिंह उर्फ लल्लू मुखिया के उम्मीदवार होने से भाजपा से कई सालों से जुड़े नेताओं व कार्यकर्ताओं में उदासीनता है. वे शांत हैं. बसपा से अखिलेश जायसवाल चुनाव लड़ रहे हैं और इनकी अपने जाति विशेष में काफी अच्छी पकड़ है. आमतौर पर इस जाति के मतदाता भाजपा के साथ में रहे हैं. फिलहाल यह संभावना जतायी जा रही है कि दोनों ही प्रत्याशियों को अपने ही लोगों से नुकसान हो सकता है. भाजपा के कुछ कार्यकर्ताओं में अंदर ही अंदर नाराजगी है़.
क्या है बख्तियारपुर विस क्षेत्र की स्थिति : इस विधानसभा में बख्तियारपुर, खुसरूपुर व दनियांवा आता है. बख्तियारपुर बाजार से सटे गांवों में दो जातियों की बहुलता है और दियारा में एक जाति की बहुलता है, जबकि टाल क्षेत्र में मिली-जुली जातियां है और दनियांवा में एक जाति विशेष की बहुलता है. महागंठबंधन और एनडीए के प्रत्याशी एक ही जाति के हैं और उस जाति की संख्या बख्तियारपुर में काफी है. यहां भी इस बार जातिगत समीकरण के आधार पर ही दोनों प्रत्याशियों के पक्ष व विपक्ष में मतदाता गोलबंद हो चुके हैं. विकास की बात पर कोई विशेष चरचा नहीं करना चाहता है.
स्पष्ट दिख रही मतदाताओं की गोलबंदी
बख्तियारपुर बाजार से सटे बड़की मुहम्मदपुर, बख्तियारपुर, रवैइच, करनौती आदि गांवों में एक प्रत्याशी के पक्ष में लोग गोलबंद है, तो दियारा के रूपस महाजी, काला दियारा, हरिदास पुर, चिरैयां व टाल क्षेत्र में एक प्रत्याशी के पक्ष में मतदाता की गोलबंदी स्पष्ट दिख रही है. बड़की मुहम्मदपुर अभिषेक, अनमोल, निखिल भी समीकरण के हिसाब से एक प्रत्याशी के पक्ष में है और बताते हैं कि वे लोग विकास के पक्ष में हैं. बख्तियारपुर में एक कॉलेज है और वहां भी सही से पढ़ाई नहीं होती है. स्वास्थ्य सुविधा भी बेहतर नहीं है़ दियारा के नया टोला माधोपुर के रामबाबू बताते हैं कि दियारा में सड़क का निर्माण हुआ और उस पार जाने के लिए पीपा पुल भी बना.