नये रिसर्च में खुलासा भूकंप के कारण बदल सकती है पृथ्वी की परत वाशिंगटन. एक नये अध्ययन में पाया गया है कि भूकंपों के कारण पृथ्वी की परत की विशेषता 6000 किलोमीटर दूर तक बदल सकती है. इसके चलते कुछ हफ्तों तक तनाव झेलने की सामर्थ्य बदल सकती है. अध्ययन से पता चला है कि पृथ्वी एक गतिशील और आपस में जुटी प्रणाली है. अध्ययनकर्ताओं ने पाया कि इसके कारण हजारों किलोमीटर दूर प्रभावकारी घटनाएं हो सकती हैं. मैसाच्यूसेट्स इंस्टीट्यूट आफ टेक्नालाजी के पृथ्वी, वायुमंडलीय एवं ग्रहीय विज्ञान विभाग के स्नातकोत्तर डाक्टर और लास एलामास नेशनल लेबोरेटरी में डेलोरे के नेतृत्व वाली अनुसंधान टीम के सदस्य कविन चाओ ने कहा, ‘‘भूकंप से पृथ्वी की परत में 6000 किमी दूर तक के क्षेत्र में लचीलापन क्षमता में मूलभूत बदलाव आ सकता है जिससे कुछ हफ्ते तक तनाव झेलने की उसकी क्षमता बदल सकती है. चाओ ने कहा कि जब एक भूकंप की सतह तरंग एक अन्य फाल्ट क्षेत्र से गुजरती है तो यह सतहों को आपस में जुडे रखने की घर्षण वाली विशेषताओं के संतुलन को बदल देती है. साथ ही वह लचीलापन जिससे सतह तनाव को झेलती है वह भी बदल जाता है. यह नया अध्ययन जर्नल साइंस एडवांसेस में प्रकाशित हुई है. इसमें हिन्द महासागर के उत्तरी सुमात्रा तट पर 2012 में आये भूकंप का अध्ययन किया गया था. यह भूकंप 8.6 तीव्रता की है. इसके बाद जापान में दो भूकंप आये जिनकी तीव्रता 5.5 से अधिक थी.
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नये रिसर्च में खुलासा
नये रिसर्च में खुलासा भूकंप के कारण बदल सकती है पृथ्वी की परत वाशिंगटन. एक नये अध्ययन में पाया गया है कि भूकंपों के कारण पृथ्वी की परत की विशेषता 6000 किलोमीटर दूर तक बदल सकती है. इसके चलते कुछ हफ्तों तक तनाव झेलने की सामर्थ्य बदल सकती है. अध्ययन से पता चला है कि […]
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