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सब जगह फेल हो गये मोदी, तो आरक्षण में घोल रहे सांप्रदायिकता

राजद अध्यक्ष लालू प्रसाद विधानसभा चुनाव में अपनी आक्रामक चुनाव प्रचार शैली से सुर्खियों में हैं. उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर हमला करते हुए उन्हें डर्टी आदमी कहा. साथ ही दावा किया कि महागंठबंधन दो तिहाई बहुमत से सरकार बनायेगा. लालू प्रसाद से मिथिलेश ने ताजा राजनीतिक स्थिति पर बात की. – भाजपा चुनाव में […]

राजद अध्यक्ष लालू प्रसाद विधानसभा चुनाव में अपनी आक्रामक चुनाव प्रचार शैली से सुर्खियों में हैं. उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर हमला करते हुए उन्हें डर्टी आदमी कहा. साथ ही दावा किया कि महागंठबंधन दो तिहाई बहुमत से सरकार बनायेगा. लालू प्रसाद से मिथिलेश ने ताजा राजनीतिक स्थिति पर बात की.
– भाजपा चुनाव में विकास का मुद्दा उठा रही है. आपका मुद्दा क्या है?
भाजपा वालों का कोई मुद्दा नहीं है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने पद की गरिमा को गिरा दिया है. विलो स्टैंडर्ड बातें कर रहे हैं. पहले के प्रधानमंत्री चुनावी सभाओं में कभी इस तरह की बात नहीं करते थे. मुङो लगता है कि यही हाल रहा, तो वह कुछ दिन में मेंटल केस बन जायेंगे.
जो इश्यू है देश में, मुद्दा है, जिन मुद्दों को लेकर उन्होंने लोकसभा के चुनाव में जनता का वोट लिया, उन सबसे अब भाग रहे हैं. इन मुद्दों पर उनका बयान नहीं आ रहा है. अब गाली-गलौज पर उतर आये हैं. बात तब भी नहीं बन रही, तो अब तांत्रिक की हवा उड़ा रहे हैं. तांत्रिक और औघड़ का अफवाह फैला कर नीतीश कुमार और हम में डिफरेंसेज करवाने का प्रयास कर रहे हैं. हमने पता किया है. कोई बात नहीं है. हम तो खुद ही औघड़ के औघड़ हैं. महातांत्रिक हैं.
– प्रधानमंत्री ने कहा है, उन्हें बिहार के चुनावी नतीजे को लेकर काफी उम्मीदें हैं?
सपना देखते हैं, तो देखें, मगर चुनाव में बिहार की जनता उनको सबस सिखा रही है. वह बिहार से नफरत करते हैं. इसलिए उनकी चुनावी सभाओं में उपयोग होने वाले साज और सामान भी बिहार के नहीं होते. हम मांग करते हैं कि नरेंद्र मोदी सार्वजनिक करें कि उनकी सभाओं में कहां से लाउडस्पीकर आदि मंगाये जाते हैं? हमारी सूचना है कि सारे लाउडस्पीकर आदि गुजरात के सूरत साउंड से लाये गये हैं.
ऐसा इसलिए कि वह नहीं चाहते कि बिहार के गरीब और युवकों की जेब में इस काम का भी एक पाई जाये. नरेंद्र मोदी को बताना चाहिए कि वह यहां के युवकों को इस लायक भी नहीं समझते कि उनसे चुनाव प्रचार के बाजा आदि सामान किराये पर लिया जाये. प्रधानमंत्री को अपनी सभाओं के लिए हवाई जहाज पर होने वाले खर्च का भी हिसाब देना चाहिए.
– उन्होंने आपके बेटों की योग्यता पर सवाल उठाये हैं.
मेरे बेटे के बारे में कहने के पहले अपनी मंत्री स्मृति इरानी की योग्यता के बारे में उन्हें बताना चाहिए. देश यह जानना चाहता है कि भारत सरकार की शिक्षा मंत्री की योग्यता क्या है? मोदी जी सभाओं में कहते फिर रहे हैं कि मेरे बेटों को सवा लाख रुपया गिनना नहीं आता है! अरे, पहले आप तो बताओ, आपकी मंत्री स्मृति इरानी को यह आता है क्या? मेरे बेटे पर अंगुली उठाने से पहले स्मृति इरानी की डिग्री के बारे में सभाओं में क्यों नहीं बताते? नरेंद्र मोदी बिलकुल डिस्प्रेड हो गये हैं.
– आरक्षण पर प्रधानमंत्री की नयी टिप्पणी आयी है. आपकी राय?
नरेंद्र मोदी डर्टी आदमी हैं. आरक्षण की बात करते हैं? पकड़ में आ गये, तो बात बदलने में लगे हैं! बंच ऑफ थॉट जो गुरु गोलवलकर का है, उसमें जो बातें लिखी हैं, सबको कह रहे हैं.
तुम्हारी नीयत ठीक होती, तो कहते यह किताब गलत है. मोहन भागवत के बयानों की आलोचना करते. बंच ऑफ थॉट को जलाते और सार्वजनिक निंदा करते. आरक्षण पर देश का प्रधानमंत्री कम्युनल बातें बोल रहा है. जिस प्रकार की भाषा का उन्होंने सीवान और बक्सर में प्रयोग किया है, इस तरह की बातें कोई प्रधानमंत्री कह सकता है? देश के संविधान की उन्होंने शपथ ली है. धर्म के नाम पर आरक्षण की बात नहीं कर सकते हैं.
जब सभी मोरचे पर फेल हो गये, तब आरक्षण का सांप्रदायिकीकरण करने जा रहे हैं. एक कम्युनिटी के बारे में देश का प्रधानमंत्री, जिसने संविधान की कसम खायी है, इस प्रकार ऐसी बातें कर सकता है? लेकिन, वह कर रहे हैं. आरक्षण के नाम पर जब आरएसएस चीफ मोहन भागवत की बातों से देश में आग लग गयी, तब इन चीजों से मुद्दे को डायवर्ट करना चाह रहे हैं. मगर, इससे कुछ होने वाला नहीं है. नीयत साफ नहीं है. बंच ऑफ थॉट में लिखा है नरेंद्र मोदी के गुरु ने कि काशी विश्वनाथ मंदिर में जब कोई दलित आदमी प्रवेश करे, तो सवर्णों को इसका विरोध करना चाहिए. इस तरह की बातें लिखी गयी है.
जब संविधान बना तो उस जमाने में भी गुरु गोलवलकर ने कहा, संविधान उलूल-जुलूल कागजों का संग्रह है. बाबा साहेब भीमराव आंबेडकर को भी अपमानित किया गया. उस जमाने में भी कई महानुभाव थे, जिनका मैं नाम नहीं लेना चाहता. उन लोगों ने कहा था कि जो व्यक्ति ग्रेजुएट नहीं होगा, उसे वोट करने और चुनाव में खड़े होने का अधिकार नहीं होगा. लेकिन, बाबा साहेब ने इसका विरोध किया. तब जाकर यह सब संविधान के मूल अंग से हट पाया. प्रधानमंत्री जी, आप इसे कंडेम करिए. हम तभी मानेंगे और देश व बिहार की जनता तभी मानेगी कि आप आरक्षण के पक्षधर हैं, जब आप बंच ऑफ थॉट को जला देंगे.
– प्रधानमंत्री की धुआंधार सभाएं कर रहे है. उनका इस चुनाव पर कितना असर होता आप देख रहे हैं?
चुनाव भाजपा कहीं नहीं जीत रही है. हमारा महागंठबंधन चुनाव जीत रहा है. दो तिहाई बहुमत से हम सरकार बनायेंगे. बिहार के चुनाव में कितनी भी सभा नरेंद्र मोदी कर लें, कोई फर्क नहीं पड़ने वाला है.
लोग समझ गये हैं. बात अंदर तक चली गयी है. गांव के गरीब और युवा यह जान गये हैं कि नरेंद्र मोदी और उनकी केंद्र सरकार आरक्षण खत्म करना चाहती है. बात पकड़ी गयी, तो अब कह रहे हैं कि हम भी पिछड़ा हैं. रिझाने का प्रयास कर रहे हैं. वोट नहीं मिला तो कहने लगे हैं कि हम भी अति पिछड़ा और यहां मुख्यमंत्री भी पिछड़ा ही होगा. अरे, भाजपा जीत कहां रही है, जो उसका कोई मुख्यमंत्री बनेगा.
चारा फेंक रहे हैं. अब तो अपर कास्ट में भी भाजपा के खिलाफ गुस्सा है. उनका हथियार भोथर हो गया है. कोई काम तो किये नहीं. अब किस मुंह से अपर कास्ट से वोट मांगने जायेंगे? हरियाणा में पुलिस की मौजूदगी में जिस तरह से दलित लोगों को जलाया, उससे लोग दहल गये हैं. दलितों में भय और दहशत है. वहीं, गुस्सा भी है. जेनरज वीके सिंह ने क्या कहा? भाजपा का एक नेता भी उसका खंडन नहीं कर रहा. प्रधानमंत्री भी चुप हैं. ऐसे में कोई अनुसूचित जाति वर्ग का व्यक्ति कैसे इन पर भरोसा करेगा? उनकी नजर में यही है दलित और पिछड़ों का स्थान?
– प्रधानमंत्री ने धर्म आधारित आरक्षण की बात कही है.
वह इस चुनाव में कम्युनल वायरस फैलाया जा रहा है. उनके वायरस को हम दवा छींट कर दाब दे रहे हैं. फैलने नहीं देंगे. हम पर बोलता है कि हम वायरस फैला रहे हैं. वायरस तो आप हो नरेंद्र मोदी जी. आपकी पार्टी सांप्रदायिक रंग दे रही है. हम चलने नहीं देंगे.
भाजपा बिलकुल नेस्तनाबूत हो जायेगी मुल्क में. बिहार में चुनाव हारेगी और हम यहीं से उनकी केंद्र की सरकार को नेस्तनाबूत कर देंगे. महात्मा गांधी ने जिस तरह अंगरेजों के खिलाफ बिहार से लड़ाई की शुरूआत की थी, हम भी यहीं से भाजपा के किले को ढाह देंगे. आंदोलन शुरू करेंगे, जो देश से भाजपा को उखाड़ फेंकेगा.
– प्रधानमंत्री के छह सूत्री विचारों को आप कैसे देखते हैं?
देखना क्या है? विचार ही कहां है? बिहार में लोग भाजपा के नेताओं से पूछ रहे हैं, कहां हैं जातीय जनगणना की रिपोर्ट? रिपोर्ट में कहा गया है, 51 प्रतिशत लोग दिहाड़ी मजदूर हैं. छह फीसदी लोग भीख मांग कर अपना पेट भरते हैं. उन्हें एक कमरा तक मयस्सर नहीं है. आप इस सच्चई को सार्वजनिक नहीं कर रहे.
अब गरीब पूछ रहा है कि नरेंद्र मोदी जी हमारे लिए हमारे अनुपात में आप बजट कैसे बनाइयेगा? जब पैसा ही नहीं आवंटित होगा, तो हमारा विकास किस प्रकार से होगा? हमारे जीवन स्तर में किस प्रकार बदलाव आयेगा? नरेंद्र मोदी जी, आपने कहा था, काला धन लायेंगे. विदेशी बैंकों में जमा साढ़े 26 लाख करोड़ रु पये लाने का वायदा किया था. कहां आया पैसा. एक रु पया नहीं आया. उलटे यहीं का पैसा बाहर भेज दिया. यू आर चीटर इन इंडियन पीपुल. आपने फ्राड किया है देश के लोगों के साथ. इन पर मुकदमा होना चाहिए. युवाओं को नौकरी की बात करते थे.
महंगाई खत्म करने का वायदा किया था. 56 इंच का सीना होने का दावा किया करते थे. चीन के राष्ट्रपति को घुमा रहे थे. उधर, चीनी सैनिकों ने हमारे देश में पांच किलोमीटर अंदर घुस कर हमारी सेना को रौंद दिया. आपने कुछ भी नहीं किया. इसके इनाम में जब आप चीन गये, तो वहां की सरकार ने आपका खूब स्वागत किया. चीन की सरकार सोचती है कि भारत में एक कठपुतली सरकार मिल गयी है.
– बिहार का चुनाव दूसरे प्रदेश के चुनावों से किस तरह अलग है?
बिहार के चुनाव में भाजपा ने लालू यादव को टारगेट किया है. उन्हें यह मालूम नहीं है कि यह बिहार है, कोई महाराष्ट्र नहीं कि शरद पवार को गाली देकर चले गये. खाली पैर लौटना होगा यहां से. 17 सभाएं करने से क्या होगा. मैने तो दो सौ से भी अधिक सभाएं अभी तक की हैं. उनकी सभाओं का कोई मतलब नहीं रह गया है. करारी हार का साइन है. कितना भी गाल बजायेंगे, लोग जान गये हैं इनकी सच्चाई.
– भाजपा खुद को गरीबों का असली हितैषी बता रही है.
बिल्कुल झूठ. यदि बाबा साहेब नहीं होते, तो उस समय भी गरीबों का हक छीन लिया जाता. गरीब कभी वोट नहीं कर पाता. राजस्थान में भाजपा की सरकार है. वहां की सरकार ने आदेश जारी कर दिया है कि जो आदमी दसवीं पास नहीं होगा, उसे चुनाव लड़ने का अधिकार नहीं होगा. यह तो ट्रेलर है.
अब वो दसवीं के बाद ग्रेजुएट करने वाले हैं. अगला कार्यक्र म यही है. गरीबों की थाली से भोजना तो छीन ही रहे हैं, उनके वोट का अधिकार भी छीन लेना चाहते हैं. लेकिन, इस चुनाव में इनको मालूम पड़ जायेगा. राजनीति का ककहरा भी सीख जायेंगे.
हम जीतेंगे. गरीब-गुरबे, अल्पसंख्यक, पिछड़े, अति पिछड़े और अपर कास्ट सारे वोट महागंठबंधन के पास हैं. अब भाजपा हार चुकी है. उसे हार का अहसास हो चला है इसलिए आरक्षण पर लोगों को बरगलाने लगी है. भाजपा का एक भी नेता चाहे प्रधानमंत्री हों या कोई और मोहन भागवत की बातों की निंदा नहीं कर रहे हैं जबकि, भागवत अभी भी अपनी बातों पर कायम हैं. यह आरएसएस की सोची-समझी रणनीति का हिस्सा है. मगर यह बिहार है यहां की जनता सबकुछ जानती है.

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