ग्राम वार्ता से महिलाएं कर रही सामाजिक मुद्दों पर काम
ग्राम वार्ता से महिलाएं कर रही सामाजिक मुद्दों पर कामसंवाददाता, पटनामहिला सशक्तीकरण कि दिशा में ‘ग्राम वार्ता’ ग्रामीण महिलाओं को न केवल दिशा दे रही है, बल्कि सामाजिक मुद्दों पर भी काम कर रही हैं. जी हां, महिलाओं व बच्चों को कुपोषण मुक्त बनाने के उद्देश्य से महिला विकास निगम की ओर से छह जिलों […]
ग्राम वार्ता से महिलाएं कर रही सामाजिक मुद्दों पर कामसंवाददाता, पटनामहिला सशक्तीकरण कि दिशा में ‘ग्राम वार्ता’ ग्रामीण महिलाओं को न केवल दिशा दे रही है, बल्कि सामाजिक मुद्दों पर भी काम कर रही हैं. जी हां, महिलाओं व बच्चों को कुपोषण मुक्त बनाने के उद्देश्य से महिला विकास निगम की ओर से छह जिलों में संचालित कार्यक्रम ‘ग्राम वार्ता’ महिलाओं को स्वास्थ्य के प्रति जागरूक कर रहा है. इसके अलावा योजना के तहत वैसी महिलाएं जो गर्भवती है,उन्हें सरकारी योजनाओं के लाभ से जोड़ा जा रहा है. जहानाबाद की मखदुमपुर ब्लॉक की इंदू देवी वर्ष 2012 से काम कर रही हैं. वे ब्लॉक की महिलाओं के क्षमतावर्द्धन के साथ-साथ उनकी बेटियों को भी स्कूल से जोड़ रही हैं. अब तक लगभग हजार से अधिक ड्रापआउट बेटियों को स्कूल में इनरॉल करा चुकी हैं. वहीं, पूर्णिया जिले के रूपौली ब्लॉक की आशा देवी तो स्वच्छता की मिसाल पेश कर रही हैं. वे अपने ब्लॉक में लगभग 200 से अधिक शौचालय बनवा चुकी हैं. साथ ही लोगों को इसके इस्तेमाल के बारे में भी जागरूक कर रही हैं. मनेर के बयांपुर की रूबी देवी महिलाओं को स्वास्थ्य केंद्रों से जोड़ रही हैं. अब तक वे ब्लॉक के करीब 2000 महिलाओं का संस्थागत प्रसव करा चुकी हैं. ऐसे हुई थी शुरुआत वर्ष 2011 में मनेर से पायलेट प्रोजेक्ट के रूप में इसकी शुरुआत की गयी थी. इसकी सफलता को देखते हुए बिहार के छह जिलों में इसका विस्तार किया गया. इसमें गया, औरंगाबाद , रोहतास, खगड़िया, जहानाबाद व पटना शामिल है. इन जिलों के 22 ब्लॉक में ग्राम वार्ता कार्यक्रम संचालित हो रहे है. इसमें स्वयं सहायता समूहों को जोड़ा गया है, जो ‘ग्राम वार्ता’ के जरिये सरकार की स्वास्थ्य संबंधी योजनाओं की जानकारी दे रही हैं. फेडरेशन की महिलाएं आंगनबाड़ी केंद्रों से किशोरियों व गर्भवती महिलाओं को जोड़ने का काम कर रही है. साथ ही घर-घर में शौचालय निर्माण आदि कार्यों को भी कर रही है. वहीं, फेडरेशन के जरिये गर्भवती महिलाओं को कम-से-कम ब्याज पर लोन भी दिया जा रहा है.कोटपायलेट प्रोजेक्ट के तहत मनेर में इस योजना की शुरुआत की गयी थी. जिससे मातृत्व मृत्यु दर में काफी कमी आयी. इसके बाद अन्य जिलों में भी इसका विस्तार किया गया है.रूपेश कुमार, परियोजना निदेशक, महिला विकास निगमयोजना का मुख्य उद्देश्य – बच्चों को कुपोषण से मुक्त करना- मातृत्व मृत्यु दर में कमी लाना- स्तनपान को बढ़ावा देना- किशोरियों को स्वास्थ्य संबंधी सुविधाएं उपलब्ध कराना- संपूर्ण व संतुलित आहार के लिए प्रेरित करना