बहुमत के बहुत नजदीक है महागंठबंधन : संजय सिंह

बहुमत के बहुत नजदीक है महागंठबंधन : संजय सिंहसंवाददाता, पटनाजदयू के मुख्य प्रवक्ता और विधान पार्षद संजय सिंह ने दावा किया है कि बिहार विधानसभा चुनाव के तीसरे चरण के मतदान में महागंठबंधन बहुमत के बहुत नजदीक पहुंच गया है. तीसरे चरण में 50 सीटों के लिए हुए मतदान में 44 सीटों पर महागंठबंधन के […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | October 28, 2015 10:20 PM

बहुमत के बहुत नजदीक है महागंठबंधन : संजय सिंहसंवाददाता, पटनाजदयू के मुख्य प्रवक्ता और विधान पार्षद संजय सिंह ने दावा किया है कि बिहार विधानसभा चुनाव के तीसरे चरण के मतदान में महागंठबंधन बहुमत के बहुत नजदीक पहुंच गया है. तीसरे चरण में 50 सीटों के लिए हुए मतदान में 44 सीटों पर महागंठबंधन के उम्मीदवार अपनी जीत हासिल करेंगे. महागंठबंधन के इस जीत को देख कर एनडीए के नेताओं की हालत खस्ती हो गयी है, खासकर भाजपा नेता सुशील मोदी की. उन्होंने कहा कि जिस उम्मीद और झांसे के साथ भाजपा के नेता बिहार को मूर्ख बनाने की सोच रहे थे, उन्हें बिहार की जनता ने नकार दिया है. अब महागंठबंधन अपने लक्ष्य से महज कुछ कदम की ही दूरी पर है. भाजपा नेता सुशील मोदी और तमाम भाजपा के नेता ये सोचे की आठ नवंबर के बाद वो कौन सा काम करेंगे, क्योंकि जो स्थिति है उसमें तो भाजपा को विपक्ष का भी दर्जा नहीं मिलने जा रहा है. सुशील मोदी अपने नंदकिशोर यादव से भी हाल चाल ले ले तो बेहतर होगा. पटना की शहरी सीटों पर दावा करने वाली भाजपा की हालत पटना साहिब में ही खराब दिख रही है. नंदकिशोर यादव भारी मतों से हार के शिकार हो रहे हैं. जाहिर सी बात है इसमें नंदकिशोर यादव की गलती तो है ही, साथ ही सुशील मोदी ने भी उनके साथ गेम कर दिया है. कहा ये जा रहा है कि नंदकिशोर यादव को सेट करने के लिए सुशील मोदी ने उनके हार की पूरी बिसात बिछायी थी और उसके मुताबिक नंदकिशोर यादव औंधे मुंह गिर गये हैं. सुशील मोदी ने ये काम सिर्फ नंदकिशोर यादव के साथ ही नहीं, बल्कि सीपी ठाकुर के बेटे और अश्विनी चौबे के बेटे और भी कई बड़े नेताओं के साथ किया है, ताकि इनका कद भाजपा में बरकरार रहे. सुशील मोदी का दावा है कि उनका राजनीति के संसदीय जीवन का 25 साल हो गया है, लेकिन उनके इस 25 साल के अनुभव का कोई असर नहीं दिख रहा है. संविधान का क-ख-ग-घ भी सुशील मोदी को नहीं पता है. लगता है सुशील मोदी ने संविधान का एक पन्ना भी नहीं पलटा है और न ही सुप्रीम कोर्ट के इस मसले पर दिये गये रुल को पढ़ा है. सुशील मोदी सिर्फ अपने आका प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बहकावे में चल रहे हैं और उन्हें अब भले-बुरे का ज्ञान नहीं रह गया है.

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