मनेर का ‘लड्डू’ किसके हाथ, वक्त बतायेगा

पटना/मनेर/बिहटा : लड्डू के लिए प्रसिद्ध मनेर में लोकतंत्र के पर्व में लोगों ने बढ़-चढ़ कर भाग लिया. शुरू में रफ्तार धीमी रही, पर बाद में लोग जुटे. मनेर विधानसभा के चेतनामा स्थित मध्य विद्यालय में बूथ संख्या 140, 141, 142 और 143 में सुबह के 8.30 बजे शांतिपूर्वक मतदान जारी था. यहां पंचटोला, बिंद […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | October 29, 2015 5:22 AM
पटना/मनेर/बिहटा : लड्डू के लिए प्रसिद्ध मनेर में लोकतंत्र के पर्व में लोगों ने बढ़-चढ़ कर भाग लिया. शुरू में रफ्तार धीमी रही, पर बाद में लोग जुटे. मनेर विधानसभा के चेतनामा स्थित मध्य विद्यालय में बूथ संख्या 140, 141, 142 और 143 में सुबह के 8.30 बजे शांतिपूर्वक मतदान जारी था. यहां पंचटोला, बिंद टोला, गोबर टोला समेत करीब चार-पांच बस्तियों के लोग बड़ी संख्या में कतार में खड़े होकर अपनी बारी का इंतजार कर रहे थे.
यहां कुछ ऐसे भी थे, जो धीमी रफ्तार से वोटिंग की चलने की शिकायत कर रहे थे. जोगिंदर पासवान ने बताया कि वे करीब डेढ़ घंटे से लाइन में लगे हैं. सुबह 8.50 तक यहां लगभग दस प्रतिशत वोट पड़े थे. 11.25 बजे सोन नदी के करीब हाथीटोला गांव स्थित मध्य विद्यालय पहुंचा. वहां शांतिपूर्ण वोटिंग हो रही थी.
अब का करें, समझ में नहीं आता : चेतनामा में त्रिभुवन साव (55) एेसे व्यक्ति थे, जिनका फोटो की जगह किसी लड़के का फोटो लगा था. वे इस दुविधा में घूम रहे थे कि उन्हें वोट देने को मिलेगा या नहीं. वे बताते हैं कि उन्हें जानकारी ही नहीं कि कैसे फोटो में सुधार होगा. वे कहते हैं, ‘मास्टर जी कहिन थे कि सुधार देंगे पर नहीं सुधारा. अब का करें समझ में नहीं आता.’
नाम ही कट गया तो कैसे दें वोट : एेसे भी कई मतदाता मिले, जिनके पास वोटर कार्ड तो थे, लेकिन उनका नाम ही लिस्ट से गायब था. उन्हें यह भी पता नहीं था कि उनका नाम कैसे कट गया. उन्हें मायूस होकर लौटना पड़ा. खासपुर में बूथ संख्या 139 में वोटर कार्ड ने नाम काटे जाने पर नाराज सिद्धनाथ राय कहते हैं, लगता है कि जानबूझ कर किसी ने नाम कटवा दिया है.
एक बूथ पर शाम 7 बजे तक चली वोटिंग : मनेर में कुल 297 बूथ बनाये गये थे. वहीं पश्चिमी सुअरमरवां स्थित मतदान केंद्र संख्या 29 पर करीब सात बजे तक मतदान जारी रहा. निर्वाची पदाधिकरी बी लाल ने बताया कि 64 प्रतिशत मतदान हुआ है.
बॉलिंग व बैटिंग में दिखा जोश : माधोपुर गांव में लोकतंत्र के पर्व को क्रिकेट खेल कर मनाया. सड़क पर ही लगाये चौके-छक्के. सेानू, विनोद, आकाश, रंजू, प्रमोद, दीपक सब जुट गये थे इस मनोरंजन में.
पोता बना ‘श्रवण’, बूथ पर पहुंचा दिलाया वोट
मनेर के महिनावां टोले गांव में वोट डाल कर 105 वर्षीया अजनसिया देवी काफी खुश थीं. उनके पोते गिरिजा यादव, दीपक व अन्य लोग उन्हें वोट दिलाने के लिए खटिया पर लाद कर मतदान संख्या 57 पर ले गये. सरकार बनैयवै. इसी तरह वैतरणी देवी को उनका बेटा अपनी गोद में उठा कर वोट दिलाने आया था. बताती हैं, हर चुनाव में उसने दायित्व निभाया है.
विकलांगता नहीं आयी आड़े, पहुंचा केंद्र पर
वोटिंग में विकलांगता भी आड़े नहीं आया. हाथीटोला के बूथ नंबर 15 पर वोट डाल कर बाहर आये शंभू साव कहते हैं कि मैं चौथी बार वोट डालने आया हूं, लेकिन मेेरे पास एक ट्रायसाइकिल भी नहीं है. विधायक जीतते हैं, लेकिन विकलांगों के लिए कुछ नहीं करते हैं. पिता जा नाव चलाते हैं, उसी से परिवार का गुजर बसर होता है.
हिंदू-मुसलिम की दिखी मिल्लत
पटना : भले ही हिंद देश के अनेकों रंग हों, लेकिन हम सभी एक हैं. बिहार विधानसभा के तीसरे चरण के मतदान में मनेर विधानसभा में कुछ ऐसा ही नजारा देखने को मिला. जहां यही राजनीतिज्ञ अपने फायदे के लिए हिंदू और मुसलिम को लड़ाने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ते, लेकिन जब बात लोकतंत्र की हो और वोट करके अपने अधिकारों के लिए लड़ने की हो, तो मंदिर हो या मसजिद, क्या फर्क पड़ता है. मनेर विधानसभा के चार हजार मोहल्लाें के जामा मस्जिद स्थित मदरसे के बूथ संख्या 34 में कुछ ऐसा ही मिल्लत का नजारा देखने
को मिला. मसजिद के दरवाजे से होकर भीतर स्थित मदरसे में बूथ बनाया गया था. यहां वोट डालनेवाली ज्यादातर महिलाएं हिंदू थीं, लेकिन वोट डालने को लेकर उनके भीतर जरा-सी भी झिझक नहीं थी. यहां पर कुछ मुसलिम महिलाएं भी वोट दे रही थीं और वे ‌उनके साथ ही कतारबद्ध काफी शालीनता से एक साथ खड़ी थीं. इसी तरह हिंदू पुरुष भी कतार में खड़े होकर वोट देने का इंतजार कर रहे थे. यह पूरा इलाका मुसलिम बहुल है, लेकिन यहां हिंदू भी बड़ी संख्या में रहते हैं. सुनीता देवी ने कहा कि हर बार यही हमारा बूथ पड़ता है और यहीं पर वोट देते हैं.
इसी तरह का नजारा एक मंदिर में भी दिखा. बिहटा के श्रीरामपुर के सूर्यमंदिर परिसर में ही स्थित ‌उत्क्रमित मध्य विद्यालय स्थित बूथ संख्या 221 और 222 में हिंदू व मुसलिम एक साथ वोट दे रहे थे. यहां भी लोगों को कोई बहुत परेशानी नहीं थी और वे साथ-साथ वोट के लिए लाइन में लगे हुए थे. लोकतंत्र के पर्व को सभी भाईचारे और प्रेमभाव से मना रहे थे.

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