जानिए : आखिर क्यों हो रहा बिहार में शांतिपूर्ण मतदान
आशुतोष के पांडेय पटना : उपर की तस्वीर में मतदान के बाद सेप्फी ले रही महिलाएं. उनके चेहरे पर आत्मविश्वास. यह संकेत है लोकतंत्र के महापर्व का आयोजन पूरी चाक-चौबंद व्यवस्था के बीच संपन्न हो रहा है. बदलते वक्त ने तस्वीरों को बदला है. अब खून से लथपथ और उजड़े बूथों की तस्वीरें कहीं नहीं […]
आशुतोष के पांडेय
पटना : उपर की तस्वीर में मतदान के बाद सेप्फी ले रही महिलाएं. उनके चेहरे पर आत्मविश्वास. यह संकेत है लोकतंत्र के महापर्व का आयोजन पूरी चाक-चौबंद व्यवस्था के बीच संपन्न हो रहा है. बदलते वक्त ने तस्वीरों को बदला है. अब खून से लथपथ और उजड़े बूथों की तस्वीरें कहीं नहीं दिखती. यह सकारात्मक परिवर्तन है. पांच चरणों में होने वाला बिहार विधानसभा चुनाव का तीसरा चरण समाप्त हो चुका है. सबकुछ ऐसे चल रहा है मानों जैसे मुख्य निर्वाचन आयुक्त ने कहा था. शांतिपूर्ण और निष्पक्ष. जहां भी चुनाव हुए. जिस जिले में हुए, वहां से कोई अप्रिय वारदात या घटना की जानकारी नहीं मिली. बूथ पर कब्जा और बूथ लुटने की घटनाएं तो लगता है महज अब बस उन पन्नों का हिस्सा बनकर रह गयी हैं, जिन्हें जरूरत के हिसाब से संदर्भ के लिए लोग खोजते हैं.
चमत्कार हुआ कैसे
सवाल यह है कि यह चमत्कार हो कैसे रहा है. ऐसा क्या किया चुनाव आयोग ने कि चुनाव के नाकारात्मक चर्चे ही बंद हो गए. ऐसी कौन सी कोशिशें हुई जिसे पूर्व में नहीं किया गया. इस चुनाव के शांतिपूर्ण रफ्तार को देखकर उनलोगों की आंखों में एक सवाल पानी बनकर तैर रहा है. काश ऐसी व्यवस्था पहले भी हुई होती, तो उनके चुनाव के दौरान मारे गए परिजन उनके साथ होते. पूरी प्रक्रिया में एक खामोश सी कोशिश नजर आती है. जिसे चुनाव आयोग ने समय रहते पूरा कर लिया और अधिकारियों को मुस्तैदी के मायने समझा दिए.
क्या रहे इसके कारण
अब हम आपको बताते हैं आखिर कैसे यह संभव हुआ. इसके शांतिपूर्ण और निष्पक्ष होने के कारणों को तलाशते हैं. सबसे पहले चरण के चुनाव पर नजर डालते हैं जो 12 अक्टूबर को संपन्न हुआ. सबसे बड़ी बात यह की चुनाव में तीन चीजें हमेशा माहौल को बिगाड़ती हैं. पहली अंगूर की बेटी यानी शराब और दूसरा पैसा साथ ही तीसरा असमाजिक तत्व. आयोग ने सबसे पहली नजर इसपर गड़ायी और पूरी तरह से इसपर लगाम लगाने के उपाए किए. चुनाव आयोग से मिली जानकारी के मुताबिक पहले चरण में फ्लाइंग स्क्वायड और एसएसटी की टीम ने 2.48 करोड़ रुपए जब्त किए, वहीं लगभग 80 हजार देशी और विदेशी अवैध शराब की जब्ती की. प्रशासन ने इस दौरान 110 लोगों को गिरफ्तार भी किया जिनपर चुनाव में किसी तरह की गड़बड़ी फैलाने की आशंका थी. अब स्वयं ही अंदाजा लगाईए यदिआयोग इतना कुछ नहींकरता तो यह तत्व चुनाव में कैसा तांडव करते.
दूसरे और तीसरे चरण में भी कामयाबी
पहले चरण की बरामदगी ने आयोग को बता दिया कि चुनाव को निष्पक्ष और शांतिपूर्ण संपन्न कराने का मूलमंत्र क्या है. फिर क्या था आयोग ने अपने अधिकारियों को निर्देश दिए और छोटी बड़ी गाड़ियों से लेकर मैखाने तक छापेमारी होने लगी. 16 अक्टूबर को दूसरे चरण के चुनाव में भी आयोग को सफलता मिली और फ्लाइंड स्क्वॉयड के साथ एसएसटी ने मिलकर 2.50 करोड़ रुपए जब्त किए वहीं 64,505 लीटर अवैध शराब भी बरामद की. प्रशासनिक अधिकारियों ने दिन-रात एक कर कुल 34 लोगों को गिरफ्तार किया. दूसरा चरण नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में हुआ इसलिए पुलिस ने गया से 18, औरंगाबाद से 4, कैमूर से 2, रोहतास से4और जहानाबाद से 6 लोगों को हिरासत में लिया.
आयोग ने इसी क्रम को जारी रखा और तीसरे चरण की 50 सीटों के लिए 28 अक्टूबर को होने वाले मतदान के दिन मुस्तैदी दिखाते हुए 7.04 करोड़ रुपए जब्त किए वहीं 83,238 हजार लीटर शराब बरामद की. जिसकी कीमत 1.11 करोड़ रुपए बतायी गयी. निर्वाचन वाले जिलों में 418 शस्त्र जब्त भी किए गये.
आयोग के आंकड़े बताते हैं कि हमेशा कि तरह इस चुनाव में भी शराब की नदियां बहाकर मतदान को प्रभावित करने का पूरा प्लान था. पैसे बांटकर लोगों से वोट खरीदने और बवाल करने का पूरा प्लान बन गया था लेकिन ऐन मौके पर आयोग और अधिकारियों की चुस्ती काम आई जिसकी वजह से बिहार में शांतिपूर्ण और निष्पक्ष मतदान हो रहा है.