नीतीश ने ट्वीट कर कहा आरक्षण पर कर लें बहस

नीतीश ने ट्वीट कर प्रधानमंत्री को दी चुनौती, कहा पटना : मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने शनिवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को आरक्षण के मुद्दे पर बहस करने की चुनौती दी. उन्होंने आरोप लगाया कि प्रधानमंत्री लोगों को गुमराह कर रहे हैं और बिहार चुनाव को सांप्रदायिक रंग दे रहे हैं. नीतीश कुमार ने अपने ट्वीट […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | November 1, 2015 6:43 AM
नीतीश ने ट्वीट कर प्रधानमंत्री को दी चुनौती, कहा
पटना : मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने शनिवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को आरक्षण के मुद्दे पर बहस करने की चुनौती दी. उन्होंने आरोप लगाया कि प्रधानमंत्री लोगों को गुमराह कर रहे हैं और बिहार चुनाव को सांप्रदायिक रंग दे रहे हैं.
नीतीश कुमार ने अपने ट्वीट में कहा, मोदी जी, मैं आपके साथ किसी भी दिन आरक्षण के मुद्दे पर चर्चा करने को तैयार हूं. लोगों को गुमराह करने और बिहार चुनाव को सांप्रदायिक रंग देने का अपना प्रयास छोड़ दें. मुख्यमंत्री ने पाकिस्तानी अखबार डॉन के नेट एडिशन में चल रहे जदयू के विज्ञापन पर भी ट्वीट किया. उन्होंने लिखा है कि डिजिटल इंडिया की बात करनेवाली केंद्र सरकार के नेता और मंत्री बिहार में हार सामने देख कर बौखला गये हैं और गुगल के विज्ञापन को पाकिस्तानी अखबार डॉन का विज्ञापन बता रहे हैं. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी, कम-से-कम अपने नेताओं को डिजिटल दुनिया के बुनियादी पहलुओं से तो अवगत कराइए. इस काम में गुगल के सीइओ सुंदर पचाई जी आपकी मदद कर ही सकते हैं.
नीतीश कुमार ने लिखा है कि ऐसे हास्यास्पद बयान देने से पहले भाजपा नेताओं व मंत्रियों को मोदीजी के 2014 लोकसभा चुनाव के गुगल के विज्ञापन पर नजर जरूर डाल लेना चाहिए, जिसमें नरेंद्र मोदी और राजनाथ सिंह पाकिस्तान के उसी डॉन अखबार में डोनेशन मांग रहे थे.
उधर, दिल्ली में पार्टी महासचिव केसी त्यागी ने कहा, नीतीश कुमार दिल्ली, पटना या अहमदाबाद में मोदी के साथ आरक्षण मुद्दे पर चर्चा करने को तैयार हैं. प्रधानमंत्री के ‘महागठबंधन’ के नेताओं के आरक्षण से पांच फीसदी एक खास समुदाय को देने का प्रयास करने के आरोपों का खंडन करते हुए उन्होंने कहा, महागठबंधन के किसी भी नेता ने धर्म के नाम पर आरक्षण की मांग नहीं की है.
उन्होंने कहा, ‘‘कोई इसकी मांग कैसे कर सकता है, जब यह स्पष्ट है कि धार्मिक आधार पर आरक्षण तब तक संभव नहीं है, जब तक कि संविधान में संशोधन नहीं किया जाये.

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