‘आखिर कौन-सा सबूत नहीं मिला कि सभी को रिहा करने का आदेश आ गया’
पटना : पटना हाइकोर्ट से आशियाना नगर मुठभेड़ मामले में सभी को रिहा करने के आदेश की जानकारी मिलते ही मृतक छात्रों के परिजन रुआंसे हो गये. परिजनों ने एक ही बात कही कि आखिर कौन से सबूत नहीं मिले, जिसके कारण आरोपित रिहा हो गये. परिजनों ने यह भी सवाल उठाया है कि जिस […]
पटना : पटना हाइकोर्ट से आशियाना नगर मुठभेड़ मामले में सभी को रिहा करने के आदेश की जानकारी मिलते ही मृतक छात्रों के परिजन रुआंसे हो गये. परिजनों ने एक ही बात कही कि आखिर कौन से सबूत नहीं मिले, जिसके कारण आरोपित रिहा हो गये. परिजनों ने यह भी सवाल उठाया है कि जिस दारोगा ने खुद अपनी कलम से तीनों को डकैत बताया और सात राउंड फायरिंग की जानकारी दी. प्रभात खबर से मृतक छात्रों के परिजनों ने व्यक्त की पीड़ा.
छात्र को डकैत बना दिया : विकास की मां
मुठभेड़ में मारे गये छात्र विकास रंजन की मां कुंदन देवी ने बताया कि उनका बेटा इंजीनियरिंग की पढ़ाई कर चुका था और उसे डकैत बना कर हत्या कर दी गयी.
डकैत होने की जानकारी दारोगा शम्शे आलम ने अपनी पुलिस डायरी में भी की थी, लेकिन सभी जांच में यह बात गलत पायी गयी. उन्होंने बताया कि सीबीआइ की कोर्ट से आरोपितों को सजा भी सुनायी गयी, लेकिन ऐसा कौन-सा सबूत की कमी हो गयी कि उन सभी को रिहा करने का आदेश न्यायालय को देना पड़ा. उन्होंने कहा कि उनके बेटे की मौत के बाद पूरा परिवार बरबाद हो गया. दुकान भी बंद हो गयी.
सुबह चरित्र सत्यापन शाम में मौत : लक्षमण
मृतक प्रशांत के पिता व इलाहाबाद से रिटायर्ड बैंक अधिकारी लक्षमण सिंह ने भी फैसले पर आश्चर्य व्यक्त किया और कहा कि किस सबूत की कमी हो गयी कि उन लोगों को छोड़ दिया गया.
उन्होंने बताया कि घटना के दिन वे अपने बेटे को खुद बाइक पर बैठा कर चरित्र सत्यापन के लिए शास्त्रीनगर थाना ले गये थे और वहां दारोगा शम्से आलम से मुलाकात हुई थी और उन्होंने आगे की प्रक्रिया के लिए मुंशी के पास भेजा था. अगले दिन सत्यापन का आश्वासन मिला था. उसी शाम में यह घटना हो गयी. इस फैसले पर वे लोग अब विचार करेंगे कि आगे क्या करना है.