नेताओं से नाराजगी पर पड़ी नोटा की मार

रविशंकर उपाध्याय पटना : विधानसभा चुनाव में ऊल जुलूल बोलते नेताजी भले अपने आपको वोट के लिए पीठ ठोक रहे हों लेकिन उनके बेमतलब के बोल से मतदान के प्रति उदासीनता ही नहीं बढ़ी है बल्कि कई उम्मीदवारों को तो मतदाताओं ने पूरी तरह नकार भी दिया. पटना जिले में भी जब हम इस पर […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | November 9, 2015 6:52 AM
रविशंकर उपाध्याय
पटना : विधानसभा चुनाव में ऊल जुलूल बोलते नेताजी भले अपने आपको वोट के लिए पीठ ठोक रहे हों लेकिन उनके बेमतलब के बोल से मतदान के प्रति उदासीनता ही नहीं बढ़ी है बल्कि कई उम्मीदवारों को तो मतदाताओं ने पूरी तरह नकार भी दिया. पटना जिले में भी जब हम इस पर नजर डालते हैं तो यह साफ तौर पर दिखाई दे रहा है कि नन ऑफ द एवव यानी नोटा का पक्ष मजबूत होता जा रहा है.
नेता जी को दिखाया आईना
मतदाताओं ने इस विधानसभा चुनाव में पूरी गंभीरता से नोटा दबाकर नेताजी को आइना दिखाया है.नेताओं से सबसे ज्यादा नाराजगी फुलवारी में देखने को मिली और यहां के 6670 वोटरों ने नोटा को ही चुना. यह आंकड़ा ऐसा था जो छोटे विधानसभाओं में जीत का नंबर बन सकता था. मनेर और बाढ़ विधानसभा में तो नोटा तीसरे नंबर पर उम्मीदवारों को टक्कर देता रहा. मनेर में 5122 वोटरों ने नोटा का बटन दबाया. यह आरजेडी के उम्मीदवार भाई विरेंद्र और बीजेपी के श्री कांत निराला के बाद सबसे ज्यादा वोट का नंबर था. मसौढ़ी में 4235 मतदाताओं ने नोटा को चुना.
फतुहा विधानसभा, जहां आरजेडी के रामानंद यादव ने तीस हजार से ज्यादा वोटों से बाजी मारी वहां के 3937 मतदाताओं ने नोटा को चुना. मोकामा में निर्दलीय अनंत सिंह की सीट पर 3275 लोगों ने तो कांटे के मुकाबले वाले सीट दानापुर में 3264 ने नोटा को चुना. यदि यह नंबर आरजेडी के राजकिशोर यादव को मिल जाती तो फिर तसवीर ही दूसरी हो सकती थी.
नोटा के मत
फुलवारीशरीफ 6670
मनेर 5122
मसौढ़ी 4235
फतुहा 3937
बाढ़ 3933
मोकामा 3175
दानापुर 3264
बिक्रम 2113
बांकीपुर 2057
बख्तियारपुर 2041
दीघा 1383
पालीगंज 1352
कुम्हरार 1352
पटना साहिब 743

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