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पढ़िए, भाजपा के अंदर चल रहे हंगामें की पूरी रिपोर्ट

पटना / नयी दिल्ली : बिहार के चुनाव परिणाम के बाद भाजपा में उथल-पुथल जारी है. पार्टी सांसद शत्रुघ्न सिन्हा तथा भोला सिंह ने चुनाव में हार के लिए जिम्मेदारी तय करने की बात कही है. इन सांसदों पर ‘गैरजिम्मेदाराना’ बयान देने वाले नेताओं के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की चेतावनी का कोई असर नहीं दिखाई […]

पटना / नयी दिल्ली : बिहार के चुनाव परिणाम के बाद भाजपा में उथल-पुथल जारी है. पार्टी सांसद शत्रुघ्न सिन्हा तथा भोला सिंह ने चुनाव में हार के लिए जिम्मेदारी तय करने की बात कही है. इन सांसदों पर ‘गैरजिम्मेदाराना’ बयान देने वाले नेताओं के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की चेतावनी का कोई असर नहीं दिखाई देता. सिन्हा ने कहा कि हमें जिम्मेदारी तय करने से बचना नहीं चाहिए. वहीं भोला सिंह ने बुनियादी नाकामियों के लिए आत्मनिरीक्षण की बात कही.

विरोध के स्वर हुए तेज

हालांकि केंद्रीय गृहमंत्री राजनाथ सिंह इस बात के पक्षधर बताये जाते हैं कि पार्टी को अंसतोष के स्वरों को दबाना नहीं चाहिए और वरिष्ठ नेताओं के विचारों की पड़ताल करनी चाहिए ताकि सुधारात्मक कदम उठाये जा सकें. बिहार में हार की जवाबदेही तय करने की वरिष्ठ नेताओं लालकृष्ण आडवाणी और मुरली मनोहर जोशी की मांग का स्वागत करते हुए सिन्हा ने आज ट्वीट किया और कहा कि फैसला आ गया है और हम इस निराशाजनक हार से दुखी हैं, उसके बावजूद हमें जिम्मेदारी तय करने से नहीं बचना चाहिए. उन्होंने वरिष्ठ नेताओं के बयान के संदर्भ में एक और ट्वीट कियाकि मित्र, दार्शनिक, गुरु, मार्गदर्शक और उनकी चार नेताओं की टीम की बात सुनने का सही समय. आडवाणी, जोशी के साथ शांता कुमार और यशवंत सिन्हा ने बिहार में पार्टी की हार के मद्देनजर बयान जारी कर मोदी और शाह पर निशाना साधा था और कहा था कि पार्टी पिछले एक साल में कमजोर हुई है और कुछ लोग उसे अपने हिसाब से चलाने पर मजबूर कर रहे हैं. उन्होंने हार की संपूर्ण समीक्षा की मांग भी की थी.

सिन्हा ने यह भी कहा कि उन्होंने कभी यह नहीं कहा था कि अगर उन्हें मुख्यमंत्री पद का पार्टी का उम्मीदवार घोषित किया जाता तो बिहार विधानसभा चुनाव के नतीजे अलग होते. उनके मुताबिक उन्होंने केवल इतना कहा था कि अगर उन्होंने चुनाव में प्रचार किया होता तो चीजें बेहतर हो सकती थीं.

पार्टी को कैंसर : भोला सिंह

इस बीच बेगूसराय से भाजपा सांसद भोला सिंह ने कहा कि बिहार के चुनाव परिणामों से साबित हो गया है कि मोदी का जादू स्थाई नहीं है. बिहार चुनाव प्रचार में मोदी के भाषणों को अशोभनीय करार देते हुए सिंह ने कहा कि लोकसभा चुनावों के दौरान जो हालात बने थे उससे मोदी के जादू का मतदाताओं पर असर पड़ने में मदद मिली थी. लेकिन हालात सामान्य होने पर अब यह कहीं नहीं दिखाई देता. बिहार के चुनावों ने साबित कर दिया है कि मोदी का जादू स्थाई नहीं है. भोला सिंह ने पार्टी अध्यक्ष अमित शाह पर परोक्ष हमले में कहा कि सत्ता के नशे में चूर शीर्ष पार्टी नेतृत्व को हमेशा चापलूसों से घिरा देखा गया.

बिहारी बाबू का बचाव

उन्होंने शत्रुघ्न सिन्हा के इस बयान से सहमति जताई और कहा कि ताली कप्तान को तो गाली भी कप्तान को. सिंह ने कहा कि नेतृत्व ऐसा होना चाहिए जिसमें सभी की आस्था हो. फिलहाल ऐसा नहीं है. हार के लिए शाह को जिम्मेदार ठहराये जाने के सवाल पर सिंह ने कहा कि क्यों नहीं. जब आप जीत के लिए दावा करते हो और उस आधार पर अध्यक्ष बनते हो तो क्या हार के लिए आडवाणी को जिम्मेदार ठहराया जाएगा. उन्होंने कहा कि पार्टी को हार की जड़ में जाना चाहिए. पार्टी में कैंसर फैल गया है. हमें इसका आत्मनिरीक्षण करने की जरुरत है ताकि बुनियादी नाकामियों से निपटा जा सके. जाहिर तौर पर हिंदूवादी नेताओं के कुछ बयानोंं का जिक्र करते हुए सिंह ने कहा, ‘‘पार्टी की छवि को नुकसान पहुंचाने वाले बयानों की समीक्षा की जानी चाहिए और उल्लंघन के हिसाब से कार्रवाई होनी चाहिए. भोला सिंह ने पार्टी के उठाये जाने वाले कदमों के लिए राष्ट्रीय स्तर पर बैठक बुलाने की मांग की. उन्होंने कहा, ‘‘अगर इसमें अनुमति नहीं मिलती तो व्यक्ति को अपना पद छोड देना चाहिए.”

पार्टी के अंदर एक राय नहीं

इस बीच बिहार में हार को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और भाजपा अध्यक्ष अमित शाह पर निशाना साधने वाले वरिष्ठ पार्टी नेताओं के खिलाफ कार्रवाई को लेकर भाजपा के शीर्ष हलकों में राय बंटी हुई है जहां गृहमंत्री राजनाथ सिंह असंतोष प्रकट करने वाले नेताओं के खिलाफ किसी भी कार्रवाई के पक्षधर नहीं बताये जाते. केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने कल मोदी और शाह का मजबूती से बचाव करते हुए गैरजिम्मेदाराना बयान देने वाले और पार्टी की छवि को नुकसान पहुंचाने वालों के खिलाफ कडी कार्रवाई की मांग की थी.
पार्टी सूत्रों के मुताबिक राजनाथ सिंह की राय है कि लालकृष्ण आडवाणी और मुरली मनोहर जोशी के पास अनुभव है और उन्होंने भाजपा के विकास में बहुत योगदान दिया है इसलिए पार्टी को उनकी बात सुननी चाहिए. बताया जाता है कि गृहमंत्री वरिष्ठ नेताओं की कही बात की पडताल और विश्लेषण कराने के पक्ष में हैं. वह चाहते हैं कि जो फैसले लिये जाएं वे कुल मिलाकर भाजपा के हित में हों.

सभी को रखनी चाहिए बात

पूर्व पार्टी अध्यक्ष सिंह पार्टी के अंदर अंसतोष के स्वर उठाये जाने के विरोध में नहीं लगते और उनका मानना है कि इन आवाजों को दबाने के बजाय सुधारात्मक कदम उठाये जाने चाहिए. बहरहाल उनका मानना है कि पार्टी में वरिष्ठों समेत सभी नेताओं को अपनी बात सार्वजनिक रुप से नहीं रखनी चाहिए बल्कि पार्टी मंच पर रखनी चाहिए क्योंकि कुछ चीजें सार्वजनिक करना सही बात नहीं है. आडवाणी, जोशी के साथ शांता कुमार और यशवंत सिन्हा ने बिहार में पार्टी की हार के मद्देनजर बयान जारी कर मोदी और शाह पर निशाना साधा था और कहा था कि पार्टी पिछले एक साल में कमजोर हुई है और कुछ लोग उसे अपने हिसाब से चलाने पर मजबूर कर रहे हैं. उन्होंने हार की संपूर्ण समीक्षा की मांग भी की थी.

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