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अधूरी तैयारी, इन घाटों पर कैसे पड़ेंगे अर्घ

अब भी पटना के छठ घाटों पर पहुंचना किसी जंग से कम नहीं है. छठ के पहले अर्घ को लेकर चार दिनों का समय ही बचा है, लेकिन न तो अभी घाटों का काम पूरा हुआ है और न ही संपर्क पथ बनाया जा सका है. बुनियादी सुविधाओं के स्तर पर भी काम लंबित है. […]

अब भी पटना के छठ घाटों पर पहुंचना किसी जंग से कम नहीं है. छठ के पहले अर्घ को लेकर चार दिनों का समय ही बचा है, लेकिन न तो अभी घाटों का काम पूरा हुआ है और न ही संपर्क पथ बनाया जा सका है. बुनियादी सुविधाओं के स्तर पर भी काम लंबित है.
वरीय प्रशासनिक अधिकारियों ने छठ घाटों को दुरुस्त करने के लिए कई निर्देश जारी किये, कई मीटिंग की, लेकिन जब चार दिन शेष बचे हैं, तो भी ज्यादातर कामआकार नहीं ले सका है. प्रभात खबर गुरुवार से छठ घाटों के हालात की पड़ताल कर रहा है. छठ घाटों की स्थिति पर पड़ताल की पहली कड़ी में आज हम बुडको को सौंपे गये छठ घाटों पर एक नजर डाल रहे हैं. बुडको को कुर्जी से महेंद्रू घाट तक को बनाने का काम सौंपा गया था. इसके लिए सरकार ने बुडको को एक करोड़ से ऊपर की राशि दी है.
कुर्जी घाट
पुलिया बनी, पहुंच पथ नहीं
कुर्जी घाट पर अभी पहुंचना बहुत मुश्किल भरा काम है. यहां गंगा चैनल पर पुलिया निर्माण का काम तो पूरा हो गया है, लेकिन सड़क नहीं पूरी हो सकी है. कुर्जी के 92 तथा 93 नंबर घाट के साथ 83 और 88 नंबर घाट की सड़क की हालत खस्ता है.
इस पर नौ नवंबर को जाकर काम शुरू हो सका, जो दो दिनों के बाद भी पूरा होगा इसमें संशय है. किसी भी घाट पर संपर्क पथों पर लाइटिंग की व्यवस्था अभी नहीं हुई है. इन इलाकों में शाम होते ही अंधेरा पसर जाता है. छठ में इन घाटों पर व्रतियों की भीड़ जुटती है. लोग दूर-दूर से यहां अर्घ देने आते हैं.
एलसीटी घाट
बैरिकेडिंग अब तक नहीं
एलसीटी घाट से गंगा की ओर जानेवाले रास्ते पर पुलिया का निर्माण तो पूरा हो गया है. यहां पहुंच पथ भी पूरा हो गया है, लेकिन लाइट, बैरिकेडिंग व पार्किंग का काम अभी शुरू ही हुआ है. इसे पूरा करने में अभी निर्माण एजेंसी को और भी मेहनत करनी पड़ेगी, जबकि इसे पूरा करने की जिम्मेदारी गुरुवार तक ही थी. अब जब शुक्रवार को अधिकारी जमीनी निरीक्षण करेंगे तो फिर कौन से अधिकारी पर गाज गिरेगी, यह देखने लायक होगी.
राजापुर पुल
लाइट का काम अधूरा
राजापुर पुल पर पुलिया का काम पूरा हो गया है. यहां ह्यूम पाइप डाल कर पुलिया बनायी गयी है. एप्रोच रोड को पूरा करने के नाम पर जैसे-जैसे काम किया गया है. यहां बैरिकेडिंग, लाइटिंग और पार्किंग का काम शुरू ही किया गया है.
बांस घाट
खतरे से खाली नहीं है एप्रोच रोड पर चलना
बांस घाट से यदि आप गंगा के घाट तक जायेंगे, तो यहां पर सबसे बड़ी समस्या एप्रोच रोड के घटिया स्तर की है. घाट से ठीक चैनल तक पहुंचने के बाद रोड बनाने के नाम पर ईंट के बोल्डर डाल दिये गये हैं.
इसके कारण गाड़ी से भी चलना मुश्किल है. पैदल की तो बात ही छोड़ दीजिए. जैसे-जैसे घाट की तरफ बढ़ते जायेंगे, वैसे-वैसे केवल धूल उड़ रही है. रास्ते के कुश और घास काट कर नहीं हटाये गये हैं. घाट तक पहुंचने के पहले बनाये गये रोड को रोल किया जा रहा है. वॉच टावर बना दिया गया है और चेंजिंग रूम का काम शुरू है. हालांकि पार्किंग का काम शुरू नहीं हो सका है.
बुद्ध घाट
लाइटिंग का काम नहीं हुआ पूरा
बुद्ध घाट पर तालाब में ही अर्घ्य दिया जाता है. इस कारण तालाब के रिपेयरिंग का काम अंतिम चरण में है. लाइटिंग का काम पूरा नहीं हुआ है. यहां बुनियादी सुविधाओं के स्तर पर काफी कम काम हुआ है. इसका कारण यह है कि घाट पर ही ज्यादातर लोग अर्घ देते हैं. इस कारण एजेंसी की लेट-लतीफी साफ दिख रही है.
कलेक्ट्रेट घाट
लंबा सफर, इस बार पीपा पुल भी नहीं
इस घाट पर सर्वाधिक भीड़ रहती है, लेकिन इस बार पूजा के लिए दूरी भी ज्यादा ही तय करनी पड़ेगी. गंगा चैनल बनने के कारण इस बार पीपा पुल भी नहीं बन रहा है. एप्रोच रोड बनाने का काम अभी चल ही रहा है. घासों को पूरी तरह नहीं हटाया गया है. रोड को चौड़ा करने का काम भी चल ही रहा है. वॉच टावर तो बने हैं, लेकिन चेंजिंग रूम, यूरिनल और शौचालय का काम नहीं हो सका है. लाइटिंग का काम भी नहीं शुरू हो सका.
पहलवान घाट
पहलवान घाट पर पुलिया का काम पूरा कर लिया गया है. यहां पुलिया के दोनों ओर बैरिकेडिंग का काम चल ही रहा था. घाट और पार्किंग पहले से ही पूरा करने का दावा किया गया है, लेकिन काम अधूरा पड़ा हुआ है. बिजली का काम लटका पड़ा है, अब आनेवाले दिनों में यहां पर बाकी सुविधाओं को लेकर काम शुरू होने की उम्मीद है.
बुद्ध घाट
लाइटिंग का काम अब तक नहीं
बुद्ध घाट पर तालाब में ही अर्घ्य दिया जाता है. इस कारण तालाब के रिपेयरिंग का काम अंतिम चरण में है. लाइटिंग का काम पूरा नहीं हुआ है. यहां बुनियादी सुविधाओं के स्तर पर काफी कम काम हुआ है. इसका कारण यह है कि घाट पर ही ज्यादातर लोग अर्घ देते हैं. इस कारण एजेंसी की लेट-लतीफी साफ दिख रही है
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कलेक्ट्रेट घाट
इस बार पीपा पुल भी नहीं
इस घाट पर सर्वाधिक भीड़ रहती है, लेकिन इस बार पूजा के लिए दूरी भी ज्यादा ही तय करनी पड़ेगी. गंगा चैनल बनने के कारण इस बार पीपा पुल भी नहीं बन रहा है. एप्रोच रोड बनाने का काम अभी चल ही रहा है.
घासों को पूरी तरह नहीं हटाया गया है. रोड को चौड़ा करने का काम भी चल ही रहा है. वॉच टावर तो बने हैं, लेकिन चेंजिंग रूम, यूरिनल और शौचालय का काम नहीं हो सका है. लाइटिंग का काम भी नहीं शुरू हो सका.

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