बिहार : जेलों में कानून का पालन नहीं

पटना: जस्टिस वीएन सिन्हा ने कहा कि जेलों में कैदियों को मिले अधिकार नहीं मिल रहा है. राज्य के जेलों में मानवाधिकार के उल्लंघन सहित कई अनियिमतता जांच में मिली हैं. इससे निबटने के लिए सरकार को आवश्यक निर्देश दिये गये हैं. उन्होंने कहा कि जेलों में मेडिकल सुविधा का अभाव है. यह कैदियों का […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | November 16, 2015 12:08 PM

पटना: जस्टिस वीएन सिन्हा ने कहा कि जेलों में कैदियों को मिले अधिकार नहीं मिल रहा है. राज्य के जेलों में मानवाधिकार के उल्लंघन सहित कई अनियिमतता जांच में मिली हैं. इससे निबटने के लिए सरकार को आवश्यक निर्देश दिये गये हैं. उन्होंने कहा कि जेलों में मेडिकल सुविधा का अभाव है. यह कैदियों का कानूनी अधिकार है. आवश्यकतानुसार मेडिकल की सुविधा कैदियों को नहीं मिलती है. वे मानवािधकार कार्यकर्ता स्मिता चक्रवर्ती की राज्य के सभी 58 जेलों की जांच से संबंधित 84 पेज में तैयार रिपोर्ट को जारी करने के मौके पर बोल रहे थे.

काम लिया जाये, तो पैसे मिले
बिहार राज्य विधिक सेवा प्राधिकार द्वारा जारी रिपोर्ट के कई तथ्यों की चर्चा करते हुए उन्होंने कहा कि जेलों में विचाराधीन कैदी से काम लेने की जानकारी मिली है. वैसे कैदियों से काम लेना गैरकानूनी है. यदि उनसे काम लिया ही जाता है, तो उसे न्यनूनतम मजदूरी का भुगतान किया जाये. सिन्हा ने कहा कि जेलों में 476 बाल कैदी हैं. उनकी उम्र का सत्यापन कर रिमांड होम में शिफ्ट करने की जरूरत है. उन्होंने कहा कि जेल में कानून का पालनके लिए पूरे सिस्टम को ठीक करने की जरूरत है. इसके लिए प्रयास शुरू हो गये हैं. जस्टिस सिन्हा ने इस पर भी चिंता जतायी कि भूकंप के दौरान जेलों में कैदियों के लिए कोई व्यवस्था नहीं रहती है.

जांच में लग गये पांच माह
मानवािधकार कायर्कर्ता स्मिता चक्रवर्ती ने कहा कि सभी जेलों की जांच में पांच माह का समय लगा. 30070 कैदियों से मुलाकात की गयी. इनमें चार गभर्वती सहित महिला कैदियों की संख्या 1083 है. जांचके काम में 102 कैदी मानसिक रोग की चपेट में रहे. 176 ऐसे कैदी मिले, जिन्हें मेडिकल सहायता की आवश्यकता थी. 476 ऐसे कैदी मिले जो जुवेनाइल होने का दावा किया. जेलों में 497 बुजुर्ग कैदी मिले

जेलों की हकीकत
-बगहा जेल में दस साल से बन रहे हैं चार वार्ड, अब तक पूरा नहीं
-बेऊर जेल में स्टाफ ही नहीं, जेल अधीक्षक को भी नियमित वेतन नहीं
-मधेपुरा जेल की दीवार क्षितग्रस्त
-जमुई जेल की क्षमता 188 की, कैदी की संख्या है 450
– बाढ़ जेल की क्षमता 167, कैदी हैं 376
-औरंगाबाद जेल की बनावट ऐसी कि नहीं मिलती है धूप और हवा
-अधिकांश जेलों में पानी की समस्या, पेयजल के लिए मुल्ला कमेटी ने कहा था कि पानी की नियमित जांच हो
-अधिकांश जेलों में नौ कैदियाें पर एक पंखा उपलब्ब्ध
-जेलों में शौचालय की भारी कमी
-मुलाकातियों से मिलने की व्यवस्था ठीक नहीं, मानक का नहीं रखा जाता ख्याल

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