कलेक्ट्रेट में गैंगरेप: पुलिस ने किया अपराध, क्या एसएसपी करेंगे कार्रवाई

पटना : पटना के जिस कलेक्ट्रेट परिसर में रोजाना आम लोग आला हुक्मरानों से इंसाफ मांगने आते हैं, उसी परिसर में रात के अंधेरे का फायदा उठा कर नाबालिग को खींचकर गैंगरेप किया गया. बेटी को लेकर थाने जा रहे बाप को बेरहमी से पीटा और कार्रवाई के बजाय गांधी मैदान पुलिस ने अपना मुंह […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | November 17, 2015 6:52 AM

पटना : पटना के जिस कलेक्ट्रेट परिसर में रोजाना आम लोग आला हुक्मरानों से इंसाफ मांगने आते हैं, उसी परिसर में रात के अंधेरे का फायदा उठा कर नाबालिग को खींचकर गैंगरेप किया गया. बेटी को लेकर थाने जा रहे बाप को बेरहमी से पीटा और कार्रवाई के बजाय गांधी मैदान पुलिस ने अपना मुंह पिटा लिया.

पीड़िता को ही तीन दिनों तक थाने में कैद रखा, जबकि उसे गृह संरक्षण आयोग भेजना चाहिए था. पुलिस ने खुलेआम कानून का उल्लंघन किया है. कानून के जानकारों की मानें तो पुलिस के खिलाफ बंधक बनाये जाने का आपराधिक मामला बनता है. अब सवाल यह है कि कानून के पालन की बात करनेवाले एसएसपी क्या गांधी मैदान थाने के खिलाफ कार्रवाई करेंगे.

गुनाह नंबर एक
नौ नवंबर की शाम सात बजे के अासपास किशोरी के साथ गैंगरेप की घटना घटी. लगभग आठ बजे जब मामला थाना पहुंचा तो पुलिस को तत्काल एक्टिव होना चाहिए था. लेकिन, पुलिस खोजबीन की खानापूर्ति करके रह गयी. पुलिस ने पूरी ताकत मामले को मैनेज करने में लगा दी. पीड़िता का तत्काल मेडिकल कराये जाने की बजाय थाने में ही कैद कर दिया, जबकि कानून के मुताबिक उसे बाल संरक्षण गृह भेजना चाहिए था.12 साल की लड़की को थाने में बिठा कर रखा गया. घरवालों से भी नहीं मिलने दिया गया. शारीरिक और मानसिक प्रताड़ना से जूझ रही पीड़िता से अपराधी जैसा व्यवहार किया गया.

गुनाह नंबर दो
गैंगरेप के करीब 20 मिनट बाद जब पीड़ित बेटी को लेकर पिता थाने जा रहे थे, तो गैंगरेप के ही चारों आरोपितों ने उन्हें पकड़ कर बेरहमी से पीटा. गैंगरेप और पीड़िता के पिता की पिटाई की घटना ताबड़तोड़ हुई और वह भी गांधी मैदान थाने से महज 300 मीटर की दूरी पर. लेकिन, पुलिस को भनक तक नहीं मिली. हद तो तब हो गयी, जब आरोपितों के चंगुल से छूट कर पिता घायल हालत में थाना पहुंचे, लेकिन पुलिस को उसकी चोट नहीं दिखी. उनकी दोनों आंखों में गहरे जख्म मौजूद थे. पुलिस ने यहां पर बड़ी गलती की. गैंगरेप की जगह रेप का केस किया, वहीं पिता के साथ हुई मारपीट का मामला पांच दिनों के बाद दर्ज किया गया.

गुनाह नंबर तीन
पीड़िता और उसके घरवालों की मानें तो पुलिस ने इतने गंभीर मामले को भी मैनेज करने में लग गयी. इसके लिए उसने अपनी सारी ताकत लगा दी. पीड़िता को जबरन बयान बदलने पर मजबूर किया गया. पुलिस ने पीड़िता को धमकी दी कि सिर्फ एक आरोपित सोनू का नाम लेना है. गैंगरेप की बात की, तो जेल भेज देंगे. पुलिस के लगातार प्रेशर के कारण पीड़िता ने 164 के तहत वही बयान दिया, जो पुलिस चाह रही थी. लेकिन जब घर लौटने पर लड़की से बात की गयी, तो उसने साफ बताया कि सोनू और बबलू ने उसके साथ रेप किया और नंदू तथा नन्हकी ने इसमें सहयोग किया. यही नहीं पुलिस गेस दर्ज करने के लिए पैसे भी मांग रही थी.

प्रभात खबर ने उठाया सवाल, तो एफएसएल को भेजे गये कपड़े
प्रभात खबर ने गैंगरेप के पूरे मामले को प्रमुखता से प्रकाशित किया है. रविवार के अंक में यह मामला उठाया गया था कि पुलिस ने पीड़िता के कपड़ों की जांच के लिए एफएसएल क्यों नहीं भेजा. दूसरे दिन (सोमवार को) गांधी मैदान पुलिस पीड़िता के घर पहुंची और उसका कपड़ा ले आयी. पुलिस ने इसकी रिसिविंग भी दी है. इसके अलावा माइक्राबायोलॉजिकल रिपोर्ट का इंतजार किया जा रहा है.

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