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बडी विपक्षी एकता प्रदर्शित करना चाहता है जदयू

नयी दिल्ली : आगामी 20 नवंबर को नीतीश कुमार के शपथ ग्रहण समारोह का भव्य आयोजन करने की तैयारी चल रही हैं जिसमें जदयू राजनीतिक दलों की बडी एकता प्रदर्शित करना चाहती है और इसके साथ महागठबंधन खुद को राष्ट्रीय स्तर पर राजग के मुकाबले के लिए तैयार भी करेगा. बडी संख्या में विभिन्न दलों […]

नयी दिल्ली : आगामी 20 नवंबर को नीतीश कुमार के शपथ ग्रहण समारोह का भव्य आयोजन करने की तैयारी चल रही हैं जिसमें जदयू राजनीतिक दलों की बडी एकता प्रदर्शित करना चाहती है और इसके साथ महागठबंधन खुद को राष्ट्रीय स्तर पर राजग के मुकाबले के लिए तैयार भी करेगा. बडी संख्या में विभिन्न दलों के नेताओं ने शपथ ग्रहण समारोह में अपने शामिल होने की पुष्टि की है, ऐसे में पार्टी का मानना है कि 26 नवंबर से शुरू हो रहे संसद के शीतकालीन सत्र पर इसकी छाप दिखाई देगी.

जहां राजग के कुछ सहयोगी दलों ने भी नीतीश की तारीफ की है, ऐसे में जदयू संघवाद के मुद्दे पर राजनीतिक दलों से संपर्क साधते हुए केंद्र-राज्य के संबंधों जैसे मुद्दों को उठा सकता है. जदयू महासचिव के सी त्यागी ने कहा, ‘‘लोगों ने बिहार में नीतीश कुमार के नेतृत्व वाले महागठबंधन को बडी जीत दिलाई है. इसलिए शपथ ग्रहण समारोह भी भव्य होगा. इस महाआयोजन का प्रभाव शीतकालीन सत्र पर भी पडेगा.’ उन्होंने कहा, ‘‘संसद सत्र के शुरु होते ही असहिष्णुता, महंगाई और केंद्र-राज्य संबंध जैसे मुद्दों पर राजनीतिक दलों की व्यापक एकता दिखाई देगी.

हम राजग से मुकाबला करने के लिए बडी विपक्षी एकता के लिए प्रयासरत हैं.’ उन्होंने कहा कि शिवसेना से महाराष्ट्र के दो मंत्री नीतीश के शपथ ग्रहण समारोह में भाग लेंगे, वहीं पार्टी अध्यक्ष उद्धव ठाकरे ने बिहार के मुख्यमंत्री को फोन कर उन्हें बताया कि वह दिसंबर में पटना जाकर उनसे मुलाकात करेंगे. शिवसेना ने नीतीश कुमार की जीत की तारीफ करते हुए उन्हें महानायक कहा था. पंजाब के उप मुख्यमंत्री और अकाली दल के नेता सुखबीर सिंह बादल ने जदयू नेताओं से बात की है और वह भी समारोह में शिरकत कर सकते हैं. त्यागी ने कहा कि जदयू 15 साल तक राजग में रहा और सुखबीर सिंह बादल तथा उनके पिता व पंजाब के मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल से पार्टी के संबंध अच्छे रहे हैं.

नीतीश के शपथ ग्रहण समारोह में शामिल होने वाले मुख्यमंत्रियों में दिल्ली से आम आदमी पार्टी के नेता अरविंद केजरीवाल, पश्चिम बंगाल से तृणमूल कांग्रेस अध्यक्ष ममता बनर्जी, सपा की ओर से उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव, कांग्रेस शासित राज्यों के मुख्यमंत्रियों में असम से तरण गोगोई, कर्नाटक से सिद्धरमैया, उत्तराखंड से हरीश रावत और नगालैंड से टी आर जेलियांग शामिल होंगे.

महागठबंधन के शपथ ग्रहण समारोह में कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी और उपाध्यक्ष राहुल गांधी के भी शामिल होने की संभावना है. हालांकि इस बारे में कांग्रेस की ओर से अभी पुष्टि नहीं हुई है. त्यागी ने कहा कि नेशनल कांफ्रेंस अध्यक्ष फारक अब्दुल्ला, उनके बेटे तथा जम्मू कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला भी समारोह में मौजूद रहेंगे. बिहार चुनावों के परिणाम को धर्मनिरपेक्षता की जीत और सांप्रदायिक ताकतों की हार बताने वाले एआईयूडीएफ अध्यक्ष और असम के नेता बदरद्दीन अजमल भी समारोह में भाग लेंगे. असम उन चार राज्यों में है जहां 2016 में विधानसभा चुनाव होने हैं.

बिहार चुनावों से ऐन पहले महागठबंधन से अलग होने वाले सपा अध्यक्ष मुलायम सिंह यादव के साथ ही जेडीएस अध्यक्ष एचडी देवगौडा और इनेलो नेता अभय चौटाला भी समारोह में शामिल हो सकते हैं. हालांकि त्यागी ने कहा कि फिलहाल व्यापक जनता परिवार के गठन की कोई बात नहीं है क्योंकि उनका ध्यान केवल नई सरकार के गठन पर है. झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्रियों शिबू सोरेन :जेएमएम: और बाबूलाल मरांडी :जेवीएम-पी: ने भी कार्यक्रम में आने की पुष्टि की है. नीतीश तीसरी बार बिहार के मुख्यमंत्री के तौर पर 20 नवंबर को अपने नये मंत्रिमंडल के साथ शपथ लेंगे. महागठबंधन में राजद सबसे बडा दल है जिसे 243 सदस्यीय विधानसभा में गठजोड को मिलीं 178 सीटों में से 80 सीटें मिली हैं. जदयू के 71 विधायक और कांग्रेस के 27 सदस्य चुने गये हैं.

पटना में तीनों दलों के विधायक दलों की संयुक्त बैठक में राजद संसदीय बोर्ड की अध्यक्ष राबडी देवी ने 64 वर्षीय नीतीश के नाम का प्रस्ताव रखा था और कांगे्रस महासचिव सी पी जोशी ने उसका समर्थन किया था. जदयू, तृणमूल और आप को कई मुद्दों पर समान विचारों वाला बताते हुए त्यागी ने कुछ दिन पहले कहा था कि जदयू को लगता है कि देश में सहयोगात्मक संघवाद को मजबूत करने का समय आ गया है. त्यागी ने कहा था, ‘‘संघीय ढांचे को मजबूत करने के अलावा हम राज्यों में केंद्र द्वारा नियुक्त राज्यपालों की भूमिका के मुद्दे को भी उठाएंगे. हम भाजपा के खिलाफ अपनी लडाई में करीबी तालमेल से काम करेंगे.’ पार्टी अगले साल पश्चिम बंगाल में होने वाले विधानसभा चुनाव में तृणमूल कांग्रेस और ममता बनर्जी को समर्थन की घोषणा पहले ही कर चुकी है.

उधर असम में 2014 के लोकसभा चुनावों में 14 में से सात सीटों पर जीत हासिल करने वाली भाजपा को काफी उम्मीदें हैं. उसके वोट प्रतिशत में इजाफा हुआ है. हालांकि कांग्रेस का मानना है कि विधानसभा चुनाव में गणित अलग होता है. त्यागी ने कहा, ‘‘बदरद्दीन अजमल का शपथ ग्रहण समारोह में शामिल होना महत्वपूर्ण है.’ समारोह में असम के मुख्यमंत्री तरण गोगोई और बदरद्दीन अजमल दोनों शामिल हो रहे हैं. बिहार चुनाव के नतीजे आने के फौरन बाद गोगोई ने सभी धर्मनिरपेक्ष ताकतों में व्यापक समझ विकसित होने की जरुरत बताई थी। इस तरह की अटकलें हैं कि एआईयूडीएफ असम में कांग्रेस के साथ आ सकती है. हालांकि इस मामले में कांग्रेस का केंद्रीय नेतृत्व सावधानी से आगे बढ रहा है.

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