तेजस्वी ने पिछले दिनों राजनीति में आने पर विरोधियों के सवाल का जवाब देते हुए कहा था, क्रिकेट से राजनीति में आने पर उनसे राजनीति में परिवारवाद को लेकर प्रश्न पूछा जाता है, पर यही प्रश्न शरद पवार से अौर करुणानिधि ऐसे अनेक नेताओं के संतान की राजनीति में आने पर नहीं पूछा जाता है. चूंकि मैं सामाजिक न्याय की जाति से आता हूं, इसलिए यह प्रश्न हमलोगों से ही बार बार पूछा जाता है. यह अलग बात है कि शनिवार को जब तेजस्वी सरकार के दूसरे नंबर की हैसियत में मंत्री पद की शपथ ले रहे थे, करूणानिधि के पुत्र स्टालिन और खुद शरद पवार भी मंच पर मौजूद थे.
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क्रिकेटर तेजस्वी यादव ने राजनीति की पिच पर लगाया ‘छक्का’
पटना: क्रिकेट की पिच के बाद अब राजनीति के पिच पर तेजस्वी यादव हिट होंगे. महज 26 साल की उम्र में विधायक बनना और उपर से बिहार जैसे प्रांत के उप मुख्यमंत्री की कुरसी यह किसी युवा राजनेता का सपना हो सकता है लेिकन, लालू-राबड़ी के इस छाेटे बेटे के जीवन में सबकुछ हकीकत के […]
पटना: क्रिकेट की पिच के बाद अब राजनीति के पिच पर तेजस्वी यादव हिट होंगे. महज 26 साल की उम्र में विधायक बनना और उपर से बिहार जैसे प्रांत के उप मुख्यमंत्री की कुरसी यह किसी युवा राजनेता का सपना हो सकता है लेिकन, लालू-राबड़ी के इस छाेटे बेटे के जीवन में सबकुछ हकीकत के रूप में सामने आया है. यह अलग बात है कि तेजस्वी का लालन-पालन राजनीतिक परिवार में हुआ. लालू प्रसाद जैसे देश के कद्दावर राजनेता के पुत्र होना उनकी विरासत रही है. लेकिन, बाद के दिनों में जिस प्रकार लालू प्रसाद को चारा घोटाले में सजा हुई और उन्हें जेल जाना पड़ा. संकट की इस घड़ी में मां और भाई के साथ पार्टी और खुद को संभाल पाना एक चुनौती से कम नहीं रही थी.
दोनों भाईयों के बीच सामंजस्य, पार्टी के सीनियर नेताओं के साथ तालमेल और चुनाव में पार्टी के लिए प्रचार, यह सब उन्हें करना पड़ा. अब इस बार सरकार की बड़ी जिम्मेवारी उनके कंधों पर आयी है. सत्ता के खुशियों के साथ-साथ अपने उम्र से दो गुने से अधिक उम्र के नेताओं के साथ तालमेल बिठाना और राजनीति में लंबी पारी खेलने की चुनौती भी उनके सामने आयी है.
तेजस्वी के संसदीय जीवन की इंट्री क्रिकेट के पिच पर छक्के मारने जैसा ही रहा. वे पहली बार ही चुनाव लड़े और अच्छी मार्जिन से चुनाव जीतकर बड़े-बड़े राजनीतिक विश्लेश्कों की बोलती बंद कर दी. अब वे बिहार की सरकार में पथ निर्माण, भवन निर्माण और पिछड़ा वर्ग व अति पिछड़े वर्ग कल्याण जैसे महत्वपूर्ण विभाग की जिममेवारी मिली है.
राजनीतिक जानकार बताते हैं, भले ही तेजस्वी को भारतीय क्रिकेट टीम में खेलने का मौका न मिला हो, पर उन्होंने राजनीति में शानदार तरीके से प्रवेश किया है. पहली बार में ही विधानसभा चुनाव जीते और बिहार की सत्ता के शिखर पर दूसरे पायदान पर पहुंच गये. तेजस्वी यादव ने विधानसभा चुनाव में जहां अपनी जीत सुनिश्चित किया, वहीं राजद और गंठबंधन दल के दूसरे उम्मीदवारों के लिए जमकर प्रचार किया. इनकी वाकपटुता के कारण ही चुनाव में लालू प्रसाद और नीतीश कुमार के बाद महागंठबंधन के उम्मीदवारों के बीच उनकी सबसे अधिक अधिक मांग रही. राजनीति में आने के पूर्व मूल रूप से क्रिकेट खिलाड़ी तेजस्वी बिहार के चौथे उप मुख्यमंत्री बने हैं.
क्रिकेट में रहे चर्चित
राजनीति में प्रवेश के पूर्व ये झारखंड टीम के लिए क्रिकेट खेलते थे. क्रिकेट के बेहतर खिलाड़ी होने के कारण ही इन्हें आइपीएल मैच में दिल्ली डेयरडेविल्स के लिए टीम में माौका मिला. तेजस्वी यादव ने चार आइपीएल खेले. वे दिल्ली डेयरडेविल की टीम से 2008, 2009, 20011 और 2012 में खेला. दाहिने हाथ के बल्लेवाज तेजस्वी दिल्ली के आरके पूरम स्थित डीपीएस से नौवीं तक की पढ़ाई पूरी कर सके. तेजस्वी ने कहा कि उन्हें भारतीय क्रिकेट टीम में खेलने का मौका नहीं मिला, पर उन्हें बड़े खिलाड़ियों का सानिध्य मिला.
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