केंद्र सरकार ने योजनाओं का बदला पैटर्न
पटना: केंद्र सरकार की तरफ से राज्य में 52 सीएसएस (केंद्रीय प्रायोजित योजनाएं) चलती हैं. कुछ प्रमुख योजनाएं समेत 35 के आसपास योजनाएं ऐसी हैं, जो प्रमुखता से संचालित होती हैं. इस वित्तीय वर्ष से केंद्र सरकार ने अपनी सभी योजनाओं को संचालित करने का पैटर्न बदल दिया है. अब सभी सीएसएस को तीन श्रेणियों […]
पटना: केंद्र सरकार की तरफ से राज्य में 52 सीएसएस (केंद्रीय प्रायोजित योजनाएं) चलती हैं. कुछ प्रमुख योजनाएं समेत 35 के आसपास योजनाएं ऐसी हैं, जो प्रमुखता से संचालित होती हैं. इस वित्तीय वर्ष से केंद्र सरकार ने अपनी सभी योजनाओं को संचालित करने का पैटर्न बदल दिया है. अब सभी सीएसएस को तीन श्रेणियों में बांटकर राज्य को मैचिंग ग्रांट दिया जायेगा. यह नयी व्यवस्था नवगठित नीति आयोग की अनुशंसा के बाद की गयी है.
प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना (पीएमजीएसवाय) के लिए अलग से प्रावधान किया गया है. इस योजना को इन तीन श्रेणियों से अलग रखा गया है. इससे कई योजनाएं ऐसी हैं, जिसमें राज्य को ज्यादा मैचिंग ग्रांट देना होगा, तो कुछ में कम. पहले सभी श्रेणी के सीएसएस का लाभ लेने के लिए राज्य को 10 से 35 प्रतिशत तक का मैचिंग ग्रांट देना पड़ता था.
सभी विभागों को आकलन करने को कहा : इसके मद्देनजर योजना एवं विकास विभाग ने सभी सीएसएस की समीक्षा शुरू कर दी है. ताकि यह पता चल सके कि इन योजनाओं का लाभ लेने के लिए खजाने पर कितना वित्तीय बोझ बढ़ेगा. योजना एवं विकास विभाग ने सभी संबंधित विभागों खासकर जिन विभागों में श्रेणी दूसरी के तहत योजनाएं चलती हैं, उन्हें इसका अाकलन कर रिपोर्ट जमा करने को कहा गया है.
इस तरह तीन श्रेणियों में बांटी गयी सीएसएस
पहली श्रेणी- इस श्रेणी में सात योजनाओं को रखा गया है. इन सभी योजनाओं में किसी तरह का मैचिंग ग्रांट नहीं देना होगा. पूरी योजना केंद्रीय फंड से ही संचालित होंगी. इन सात योजनाओं में शामिल हैं- मनरेगा, राष्ट्रीय सामाजिक सुरक्षा कार्यक्रम, एससी और एसटी के लिए एकीकृत योजना, निशक्तों से जुड़ी एकीकृत योजना, अल्पसंख्यकों के लिए मल्टी सेक्टर डेवलपमेंट प्रोग्राम, मदरसा शिक्षण योजना और पिछड़ा वर्ग विकास के लिए एकीकृत योजना.
दूसरी श्रेणी- इस श्रेणी में 17 योजनाओं को रखा गया है. इसके तहत 60 और 40 का औसत राज्य तथा केंद्र के बीच रखा गया है. यानी इन योजनाओं का लाभ लेने के लिए संबंधित राज्यों को 40 फीसदी मैचिंग ग्रांट देना होगा. पहले यह योजनावार 10 से 35 फीसदी तक था. हालांकि आठ उत्तरी-पूर्वी और तीन हिमालय राज्यों (उत्तराखंड, जम्मू-कश्मीर और हिमाचल प्रदेश) में केंद्र और राज्यों के मैचिंग पैटर्न का प्रतिशत 90-10 रखा गया है. इन राज्यों को 10 फीसदी ही मैचिंग ग्रांट देना पड़ेगा. इस श्रेणी की 17 योजनाओं में कुछ प्रमुख योजनाएं हैं, राष्ट्रीय कृषि विकास योजना, प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना, राष्ट्रीय पशुधन विकास योजना, स्वच्छ भारत योजना, राष्ट्रीय ग्रामीण पेयजल योजना, राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन, रूसा, मध्याह्न भोजन, आइसीडीएस, अमृत (स्मार्ट सिटी मिशन) समेत अन्य शामिल हैं.
तीसरी श्रेणी- इस श्रेणी में शेष बची हुई करीब 29 सीएसएस आती हैं. इन योजनाओं का लाभ लेने के लिए राज्य और केंद्र के बीच 50-50 प्रतिशत का शेयर रखा गया है. यानी राज्य को जिन-जिन योजना का लाभ लेना है. उसमें जितनी की कुल योजना है. उसमें 50 फीसदी हिस्सेदारी राज्य को देना होगा. ताभी इस सीएसएस का पूरा लाभ राज्य को मिलेगा.