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आरटीआइ के तहत नहीं दी जा रही जानकारी

पटना: शिक्षा विभाग के अंतर्गत नियम के विरुद्ध होनेवाले कार्यों की जानकारी न तो विभागीय स्तर पर दी जा रही है और न ही सूचना के अधिकार के तहत. इसका असर स्कूलों के पठन-पाठन पर पड़ रहा है. स्कूलों में व्याप्त शिक्षकों की कमी के बावजूद बिहार विद्यालय परीक्षा समिति द्वारा मूल्यांकन और स्क्रूटनी के […]

पटना: शिक्षा विभाग के अंतर्गत नियम के विरुद्ध होनेवाले कार्यों की जानकारी न तो विभागीय स्तर पर दी जा रही है और न ही सूचना के अधिकार के तहत. इसका असर स्कूलों के पठन-पाठन पर पड़ रहा है. स्कूलों में व्याप्त शिक्षकों की कमी के बावजूद बिहार विद्यालय परीक्षा समिति द्वारा मूल्यांकन और स्क्रूटनी के नाम पर तय समय-सीमा के विरुद्ध काम लिया जा रहा है. इससे बच्चे पूरे वर्ष शिक्षक के इंतजार में बीता रहे हैं.

नियम के अनुसार स्क्रूटनी और मूल्यांकन कार्य में शिक्षकों को दस दिनों तक प्रतिनियुक्ति पर रखने का प्रावधान है. कार्य पूरे नहीं होने पर शिक्षकों के कार्य का विस्तार विभाग द्वारा अनुमति लेने के बाद की जाती है. बावजूद इसके समिति द्वारा शिक्षकों से महीनों कार्य लिये जा रहे हैं. यहां तक कि आरटीइ के तहत मांगी गयी जानकारी दो माह बाद भी नहीं मिल सकी है. जिला कार्यालय के पास भी इन शिक्षकों की कोई जानकारी नहीं है. शिक्षा विभाग के अादेशाें के बाद भी स्थानांतरित शिक्षक अब तक मूल विद्यालय में योगदान नहीं दे सके हैं.
बिहार विद्यालय परीक्षा समिति द्वारा कई कार्य नियम के विरुद्ध कराये जा रहे हैं. यहां तक कि सूचना के अधिकार के तहत मांगी गयी जानकारी भी नहीं दी जा रही है.
शैलेंद्र कुमार शर्मा, बिहार माध्यमिक शिक्षक संघ
सूचना के अधिकार के द्वारा समिति द्वारा कोई जानकारी नहीं दी जा रही है. प्रोजेक्ट विद्यालय नगमा के भौतिकी शिक्षक के रूप में कार्यरत हूं. निगरानी विभाग की जांच के दौरान की गयी जानकारी सही पायी गयी है या नहीं, इसकी मांग करने पर भी कोई जानकारी नहीं दी जा रही है.
डाॅ प्रभाकर, नियोजित शिक्षक प्रोजेक्ट विद्यालय, नगमा

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