स्कूटी से घूम रही हैं ऋषिका, फैला रहीं जागरूकता
पटना : कन्या भ्रूण हत्या, दहेज प्रथा, महिलाओं को प्रताड़ना, महिलाओं के साथ मारपीट आदि समस्याओं से निजात दिलाने के लिए आर्ट ऑफ लिविंग की सीनियर टीचर ऋषिका साहु ने एक पहल की है. समाज के लोगों को समाज के लिए जागरूक करना है. समाज में आये दिन इस तरह की घटनाएं देखने को मिल […]
पटना : कन्या भ्रूण हत्या, दहेज प्रथा, महिलाओं को प्रताड़ना, महिलाओं के साथ मारपीट आदि समस्याओं से निजात दिलाने के लिए आर्ट ऑफ लिविंग की सीनियर टीचर ऋषिका साहु ने एक पहल की है. समाज के लोगों को समाज के लिए जागरूक करना है. समाज में आये दिन इस तरह की घटनाएं देखने को मिल रही हैं. इसी क्रम में इन्होंने समाज के हित में काम करने का बीड़ा उठाया है.
उड़ीसा आर्ट ऑफ लिविंग में सीनियर टीचर होने के बाद भी ट्रेवलिंग करके लोगों को जागरूक करती हैं. विभिन्न शहरों में जाकर शहरों की कमियों पर लोगों को जागरूक करती हैं. इस तरह से उन्होंने छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश, राजस्थान, गुजरात, हरियाणा, महाराष्ट्र, कर्नाटक, केरल, तमिलनाडु, उड़ीसा, आंध्र प्रदेश, नॉर्थ इस्ट के सात स्टेट, झारखंड, बिहार के अलावा और भी जगहों का दौरा किया है. आर्ट ऑफ लिविंग पटना में आयी ऋषि का साहु ने खास बातचीत में अपने अनुभव बताये.
उन्होंने बताया कि सिलीगुड़ी में विजिट के दौरान आर्ट ऑफ लिविंग के सदस्य पारथु वर्मा के साथ मिल कर उन्होंने लोगों को विभिन्न मुद्दों के प्रति जागरूक किया. ऋषि का कहना है कि शादी के बाद पति रतन कुमार साहु, सिविल इंजीनियर का पूरा सहयोग मिलता है. स्कूटी से अकेले ट्रेवल करना बहुत कठिन होता है. फिर भी घरवालों से बहुत सपोर्ट मिलता है.
कैसे करती हैं ट्रेवल
ऋषिका का कहना है, करीब 26 स्टेट का दौरा कर चुकी हूं. सभी जगह अपनी स्कूटी से जाती हूं. पहले सभी
जगहों की रूट लिस्ट बनाती हूं. जाने का रास्ता तय करती हूं. अकेले ट्रेवल करने के कारण जरूरत का सभी
सामान रख लेती हूं. वहीं 200 से 250 किलोमीटर ड्राइव करने के बाद किसी स्थान पर रुक जाती हूं.
होती है परेशानी भी
किसी भी स्टेट में ट्रेवलिंग से पहले काफी स्टडी करनी पड़ती है. ट्रेवलिंग के दौरान काफी परेशानियां भी आती
हैं. कभी-कभी लोगों की बुरी नीयत के कारण सही रास्ता का पता नहीं चलता है. अनजान शहर होने के कारण रास्ता भटकने का भी डर बना रहता है. लेकिन फिर भी कभी कदम नहीं डगमगाये. वे कहती हैं, मैं इतनी लंबी-लंबी ट्रेवलिंग के बाद भी कभी थकती नहीं हूं. इसका मुख्य कारण यह है कि नियमित तौर पर ध्यान और आराधना करती हूं. पद्मा साधना एवं सुदर्शन क्रिया प्रत्येक दिन करती हूं. कहीं न कहीं इससे ही शक्ति मिलती है. सुबह में ध्यान करने के बाद ही ड्राइव पर निकलती हूं.