बिहार को इंदिरा आवास में 44 हजार आवासों का घाटा सहना पड़ेगा : संजय सिंह
बिहार को इंदिरा आवास में 44 हजार आवासों का घाटा सहना पड़ेगा : संजय सिंह मोदी सरकार बिहार के साथ लगातार कर रही हकमारी, बिहार सरकार चुप नहीं बैठेगी महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना की राशि भी नहीं मिल रही बिहार कोबिना तथ्यों के आधार पर बयान देते हैं सुशील मोदी संवाददाता, पटना […]
बिहार को इंदिरा आवास में 44 हजार आवासों का घाटा सहना पड़ेगा : संजय सिंह मोदी सरकार बिहार के साथ लगातार कर रही हकमारी, बिहार सरकार चुप नहीं बैठेगी महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना की राशि भी नहीं मिल रही बिहार कोबिना तथ्यों के आधार पर बयान देते हैं सुशील मोदी संवाददाता, पटना केंद्र सरकार द्वारा छह महीने के अंदर संशोधित किये गये टारगेट के अनुसार बिहार को इंदिरा आवास में 44 हजार आवास का घाटा सहना पड़ेगा. केंद्र द्वारा अप्रैल में तय किये गये कोटे के अनुसार बिहार में चालू वित्तीय वर्ष 2015-16 में 2,80,255 इंदिरा आवास बनाने थे, परंतु अब इसे घटाकर 2,36,271 कर दिया गया है. बिहार सरकार ने 25.18 लाख से अधिक बेघर परिवारों को घर देने की योजना बनायी गयी है, इनमें से मात्र 2,36,271 आवास बिहार के लिए स्वीकृत किये गये हैं, जबकि अप्रैल में 2,80,255 आवास बिहार के लिए स्वीकृत किये गये थे. बिहार को मिले टारगेट में से अनुसूचित जाति के लिए 63,960, अनुसूचित जनजाति के लिए 6496, अल्पसंख्यक के लिए 40,762 और अन्य श्रेणी की जातियों के लिए 1,25,053 आवास आवंटित किये गये हैं. उक्त बातें मंगलवार को जेडी(यू) मुख्य प्रवक्ता व विधान पार्षद संजय सिंह ने कही. उन्होंने कहा है कि भाजपा नेता सुशील मोदी बिना तथ्यों के आधार पर बयान देते हैं. वे सिर्फ दलील पर अपनी बातों को रखते हैें. सुशील मोदी केंद्र सरकार का पक्ष ले रहे हैं, लेकिन उनको बिहार की स्थिती के बारे में नही पता है. बिहार की गरीब जनता के लिए सरकार नये- नये स्कीम ला रही है, लेकिन केंद्र सरकार बिहार के साथ सौतेला व्यवहार कर रही है. इससे बिहार जैसे गरीब राज्यों पर आर्थिक बोझ बढ़ेगा. केंद्र सरकार से इस भेदभाव पूर्ण नीति को तत्काल बदलने और पूर्व की भांति राशि आवंटित करने की जरुरत हैं. केंद्र सरकार राज्यों के साथ नाइंसाफी बंद करे. मोदी सरकार बिहार के साथ लगातार हकमारी कर रही है. इस हकमारी के खिलाफ बिहार सरकार चुप बैठने वाली नहीं है. इसका विरोध तो केंद्र सरकार के पास करेंगे ही साथ ही, साथ ही इस मुद्दे को जनता के बीच भी ले जायेंगे. उन्होंने कहा है कि एक तरफ केंद्र सरकार 2022 तक सभी ग़रीबों को आवास देने की बातें कर रही है,तो दूसरी तरफ लगातार आवासों में कटौती भी जा रही है. इससे योजना पर कुप्रभाव पड़ना लाजमी है. महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना की राशि नहीं मिली है. इसके कारण दोनों योजनाएं राज्य में ठप पड़ गयी है. केंद्रीय मंत्री राशि दिलाने के बजाय राजनीति कर रहे हैं. इसे बिहार की जनता बरदाश्त नहीं करेगी. वित्तीय वर्ष 2014-15 में मनरेगा के मद में केंद्र से 2200 करोड़ रुपये मिलने थे, पर मिले 1,100 करोड़ रुपये ही, जबकि चालू वित्तीय 2015-16 में अभी तक फूटी कौड़ी नहीं मिली है. इसको ले कर राज्य में मनरेगा का कार्य ठप पड़ा है. लोग एक बार फिर पलायन को मजबूर हैं. सुशील मोदी किस मुंह से केंद्र सरकार का पक्ष लेते हैं, जबकि बिहार की जनता ने बिहार चुनाव में इसका जबाब दे दिया है.