करोड़ों खर्च के बावजूद लाभ नहीं
एक पारा मेडिकल स्टाफ के भरोसे है मनेर अस्पताल की इमरजेंसी मनेर : सूबे में राज्य सरकार स्वास्थ्य व्यवस्था को बेहतर बनाने के लिए करोड़ों रुपये खर्च कर रही है. बाबजूद ग्रामीणों को इस व्यवस्था का बेहतर लाभ नहीं मिल पा रहा है. इसी तरह का हाल मनेर अस्पताल का है. जहां पर एक पारा […]
एक पारा मेडिकल स्टाफ के भरोसे है मनेर अस्पताल की इमरजेंसी
मनेर : सूबे में राज्य सरकार स्वास्थ्य व्यवस्था को बेहतर बनाने के लिए करोड़ों रुपये खर्च कर रही है. बाबजूद ग्रामीणों को इस व्यवस्था का बेहतर लाभ नहीं मिल पा रहा है. इसी तरह का हाल मनेर अस्पताल का है. जहां पर एक पारा मेडिकल स्टाफ के भरोसे इमरजेंसी व्यवस्था चल रही है. इस कारण डॉक्टरों को इमरजेंसी में आने वाले मरीजों को पीएमसीएच रेफर करना पड़ता है, जिससे कई मरीजों की रास्ते में ही मौत हो जाती है.
अगर इस अस्पताल में और पारा मेडिकल की व्यवस्था करती है तो दुर्घटना से घायल लोगों की जान बचायी जा सकती है. किसी तरह पारा मेडिकल कर्मचारी जख्मी लोगों का आनन-फानन में इलाज तो कर देते है, लेकिन स्थिति बेहतर के वजाय और बिगड़ जाती है. आक्रोशित लोगों का कहना है कि इससे अच्छा था कि विभाग अस्पताल ही बंद कर दे.
जब सुविधा नहीं है , अस्पताल का प्रभारी क्या करेगें. वहीं मनेर अस्पताल में कर्मचारियों की कमी है. ऐसे में यहां से एएनएम को दूसरे जगह पर प्रतिनियुक्त कर दिया जाता है. एएनएम प्रीति कुमारी, कुमारी अर्चना, प्रतिमा शर्मा, स्टाफ लक्ष्मण प्रियरंजन व लैब टेक्निशियन अवधेश श्रीवास्तव को मनेर अस्पताल की जगह दूसरे जगह प्रतिनियुक्त कर दी गयी है. मनेर अस्पताल में इस समस्या का देखते हुए डीएम ने प्रतिनियुक्त लोगों को मूल स्थान पर योगदान देने का निर्देश दिया है.
बाबजूद अभी तक एएनएम व लैब टेक्निशियन ने योगदान नहीं दिया है. उधर अस्पताल के चिकित्सा प्रभारी कर्मचारियों की कमी के बाद भी बेहतर सुविधा देने में जुटे है. इस सबंध में पीएचसी चिकित्सा प्रभारी डॉ रंजीत जमियार ने बताया कि कर्मचारियों, एएनएम को कही भी भेजना विभाग का काम है. लेकिन यहां कर्मचारियों के नही रहने से समस्या तो आ ही रही है.