बिहार से तीन सौ करोड़ की लेवी वसूल रहा पीएलएफआइ

बिहार व झारखंड में पीएलएफआइ ने फैला रखा है वसूली का नेटवर्क, भय बनाकर चला रहा दहशत का कारोबार पटना : राज्य में उग्रवादी संगठन पीएलएफआइ (पीपुल्स लिबरेशन फ्रंट ऑफ इंडिया) का नेटवर्क तेजी से फैलता जा रहा है. गरीबों के हक की लड़ाई लड़ने का नारा लगाने वाले इस संगठन का मुख्य मकसद दहशत […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | December 6, 2015 6:23 AM
बिहार व झारखंड में पीएलएफआइ ने फैला रखा है वसूली का नेटवर्क, भय बनाकर चला रहा दहशत का कारोबार
पटना : राज्य में उग्रवादी संगठन पीएलएफआइ (पीपुल्स लिबरेशन फ्रंट ऑफ इंडिया) का नेटवर्क तेजी से फैलता जा रहा है. गरीबों के हक की लड़ाई लड़ने का नारा लगाने वाले इस संगठन का मुख्य मकसद दहशत का कारोबार खड़ा करके मोटी लेवी वसूल करना है. इन पैसों से इसके सरगना ऐश-मौज करते और अपनी संपत्ति बढ़ाते हैं.
खुफिया विभाग की रिपोर्ट के अनुसार, बिहार और झारखंड में इस संगठन ने लेवी वसूली का बड़ा कारोबार खड़ा कर रखा है. दोनों राज्यों में सालाना 250-300 करोड़ की लेवी प्रत्येक वर्ष यह संगठन वसूलती है. वर्ग संघर्ष का नारा बुलंद करने वाला यह उग्रवादी संगठन संगठित अपराध के क्षेत्र में प्रवेश कर चुका है.
अापराधिक गतिविधियों के मिले कई प्रमाण : पिछले कुछ महीनों की छानबीन, कई ठिकानों पर छापेमारी और कुछ कुख्यातों की गिरफ्तारियों से यह बात स्पष्ट हो गयी है कि पीएलएफआइ संगठित अपराध को अंजाम देता है. दहशत का बाजार स्थापित करने के बाद लेवी वसूलने का काम शुरू करता है. पटना में कुछ समय पहले बरामद हुए बमों के सबसे बड़े जखीरे और इस दौरान गिरफ्तार हुए अपराधी सोनू के बयान से भी इस बात की पुष्टि होती है.
सोनू ने बताया था कि पटना में कंकड़बाग, राजेन्द्र नगर, हनुमान नगर, अशोक नगर, मुन्नाचक चौराहा, बोरिंग रोड, कृष्णा नगर समेत अन्य कई मोहल्लों के चुनिंदा व्यवसायिक स्थानों पर इन बमों को विस्फोट करने की योजना थी. इस तरह दहशत बनाने के बाद इन स्थानों पर मौजूद व्यापारियों से मनमानी लेवी वसूल करते, परंतु समय रहते छापेमारी होने के कारण पीएलएफआइ की योजना विफल हो गयी, नहीं तो पटना शहर में भी लेवी का कारोबार बड़े स्तर पर शुरू हो जाता.
छोटे शहरों को बनाते हैं सॉफ्ट टारगेट : पीएलएफआइ छोटे शहरों या बाजारों को ज्यादा निशाना बनाते हैं. यहां घटनाओं को अंजाम देना और लेवी वसूलना इनके लिए सॉफ्ट टारगेट होता है.
इसका सबसे हालिया उदाहरण नालंदा जिला का हिलसा अनुमंडल बाजार है. यहां कुछ दिन पहले दो व्यापारियों की हत्या कर दी गयी थी. इसके बाद मारे गये व्यापारी के परिवारवालों से लगातार लेवी की मांग की जा रही है. इसके अलावा इस कांड के आधार पर अन्य स्थानीय व्यापारियों से भी लेवी की जोरदार मांग शुरू हो गयी है. हिलसा बाजार में व्यापारियों को आसानी से टारगेट बनाया जा रहा है. इसी तरह पीएलएफआइ अन्य कई छोटे बाजारों के व्यापारियों को आसानी से टारगेट कर रहा है.
क्या है पीएलएफआइ
इसका गठन झारखंड में 2005-06 में हुआ था. माना जाता है कि झारखंड में नक्सलियों के खिलाफ आंदोलन चलाने के लिए समानांतर तौर पर पुलिस की मदद से इसे खड़ा किया गया था.
इसका नक्सली संगठन से सीधे तौर पर कोई लेना-देना नहीं है, परंतु यह बहुत कामयाब साबित नहीं हुआ और इसमें शामिल लोग इससे दूर हो गये. जो कुछ उग्रवादी इसमें बच गये, उन्होंने संगठित अपराध का काम शुरू कर दिया. यह धीरे-धीरे फैलता जा रहा है.
इन स्थानों पर नेटवर्क ज्यादा मजबूत
पीएलएफआइ के ऑपरेशन और उत्पत्ति का मुख्य केंद्र झारखंड है. यहां के खूंटी जिला इसका सबसे प्रमुख केंद्र माना जा रहा है. रामगढ़, रांची के आसपास के तमाम इलाकों में इसकी सक्रियता बहुत ज्यादा है. बिहार क्षेत्र में इसका ऑपरेशन हेड गणेश शंकर है, जो हिलसा के पास चिकसोहरा गांव का रहने वाला है. इस पूरे इलाके में इसका जाल तेजी से फैलता जा रहा है.
ग्रामीण युवाओं को गुमराह करके इसमें भर्ती कराया जाता है और फिर इनके माध्यम से संगठित अपराध को अंजाम दिया जाता है. लेवी का पूरा कारोबार चलता है. नालंदा के अलावा नवादा, गया, जमुई तथा झारखंड से सटे जिलों में इसकी मौजूदगी काफी बढ़ी है. जमुई के सिकंदरा से चोरी हुई भगवान महावीर की 2600 साल पुरानी मूर्ति के पीछे भी इसकी संलिप्तता मानी जा रही है.

Next Article

Exit mobile version