शराब कर रही जिंदगी बर्बाद

शराब कर रही जिंदगी बर्बादसंवाददाता, पटना शराब की लत एक बार लगे तो कुछ भी हो जाये, यह छूटनेवाली नहीं है. अब चाहे इसके लिए वह परिवार को छोड़ दे या फिर जिंदगी दावं पर लग जाये. कुछ ऐसे भी लाेग हैं, जिनका शराब के कारण सब कुछ खत्म हो गया. संपत्ति चली गयी, एक-एक […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | December 6, 2015 8:26 PM

शराब कर रही जिंदगी बर्बादसंवाददाता, पटना शराब की लत एक बार लगे तो कुछ भी हो जाये, यह छूटनेवाली नहीं है. अब चाहे इसके लिए वह परिवार को छोड़ दे या फिर जिंदगी दावं पर लग जाये. कुछ ऐसे भी लाेग हैं, जिनका शराब के कारण सब कुछ खत्म हो गया. संपत्ति चली गयी, एक-एक पैसे के लिए मुहताज हो गये. परिवार उन्हें अच्छी नजर से नहीं देखता है. बच्चे इंट्रोवर्ट हो गये हैं, लेकिन इसके बावजूद वह शराब को नहीं छोड़ना चाहते. आज हम ऐसे ही एक व्यक्ति के बारे में पढ़ेंगे, जिन्हें परिवार तो छोड़ा ही, दोस्त भी नहीं है, यहां तक की सॉफ्टवेयर इंजीनियर की नौकरी भी चली गयी. शराब पीकर ऑफिस का माहौल खराब करने के कारण एक दिन डायरेक्टर ने सारे स्टाफ के सामने बेइज्जती कर उसे कंपनी से निकाल दिया. लो, मैंने पीना छोड़ दिया… मैं बचपन से ही पढ़ने में बहुत ही अच्छा था. 12वीं करने के बाद तुरंत इंजीनियरिंग कॉलेज में नामांकन हो गया. चार साल के कोर्स करने के बाद मेरी नौकरी बेंगलुरु में ही सॉफ्टवेयर कंपनी में लग गयी. यहां तक मेरा सारा कुछ सही चल रहा था. कंपनी में ही कुछ ऐसे दोस्त बन गये, जो शराब के शौकीन थे. शुरुआत में तो मैं एकदम नहीं पीता था. बाद में थोड़ा बहुत पीने लगा. इसी बीच मेरी शादी हो गयी. पत्नी को मेरा शराब पीना पसंद नहीं था. इस बात को लेकर आपस में अक्सर लड़ाई भी होती थी. हमेशा वह मायके जाने की धमकी भी देती थी. एक दिन मैं घर में ही बैठ कर काफी शराब पीने लगा, यह देख कर पत्नी मुझे छोड़ कर चली गयी. इसके बाद भी मेरा शराब पीने की आदत नहीं छूटी. मैं शराब पीता रहा. कुछ दिन में तो यह हालत हो गयी 24 घंटे शराब के नशे में ही रहता था. एक दिन सुबह शराब पीकर मैं आॅफिस चला गया. ऐसे में एक महिला सहकर्मी ने मेरी शिकायत डायरेक्टर से कर दी. इसके बाद डायरेक्टर सभी स्टाफ के सामने मेरी काफी बेइज्जती की. इसके बाद तुरंत नौकरी से सस्पेंड कर दिया गया. मैं काफी परेशान हो गया. घर भी गया और नौकरी भी चली गयी. इसके बाद मैं शराब से पीछा छुड़ाने का उपाय करने लगा. छह महीने इलाज होने के बाद मेरी हालत कुछ ठीक हुई. एक साल इलाज के बाद पत्नी भी मेरे पास आ गयी. अभी नौकरी का प्रयास दुबारा शुरू किया हूं. उम्मीद है कि अच्छी नौकरी मिल जायेगी. करण (बदला हुआ नाम)कोटइस तरह के केस हमारे लिए मुश्किल होते हैं, क्योंकि ऐसे केस में मरीज शरीर के साथ मानसिक रूप से भी काफी कमजोर हो जाता है. ऐसे में हमें मरीज के साथ काफी दोस्ताना व्यवहार करना पड़ता है. उसकी काउंसेलिंग करनी होती है. – राखी, संचालक, दिशा नशा विमुक्ति केंद्र\\\\B

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