शराब ने छीन ली दुनिया, कोई नहीं रहा अपना
शराब ने छीन ली दुनिया, कोई नहीं रहा अपनासंवाददाता, पटनाशराब का उपयोग भले कुछ लोग मानसिक शांति या तनाव कम करने के लिए करते हैं. लेकिन, इससे मानसिक शांति कम नहीं, बल्कि अधिक होती है. इसका पता भी नहीं चलता है और तनाव बढ़ जाता है. आज हम ऐसे ही एक व्यक्ति के बारें में […]
शराब ने छीन ली दुनिया, कोई नहीं रहा अपनासंवाददाता, पटनाशराब का उपयोग भले कुछ लोग मानसिक शांति या तनाव कम करने के लिए करते हैं. लेकिन, इससे मानसिक शांति कम नहीं, बल्कि अधिक होती है. इसका पता भी नहीं चलता है और तनाव बढ़ जाता है. आज हम ऐसे ही एक व्यक्ति के बारें में पढ़ेंगे, जो अपनी सोसाइटी और परिवार में हर किसी का चहेता था. लेकिन, उसकी एक गलती ने सारी इज्जत पानी में मिला दी. नौकरी नहीं मिलने के कारण लोग उसे ताने देते थे, लोगों के ताने ने उसे शराब का आदी बना दिया. लोगों से भाग कर शराब की लत लगी. आज न तो उसके पास नौकरी है और न ही अच्छी जिंदगी ही. आज वो अफसोस करता है, बिजनेस करके भी दो पैसे कमाना चाहता है. अपनी इस इच्छा शक्ति को वो तभी पूरा कर पाया, जब उसने खुद शराब को छोड़ना चाहा. कैसे उसने खुद को शराब से छुटकारा दिलाया, कैसे आज वो अपने पांव पर खड़ा है. सुनते है उन्हीं की जुबानी… शराब ने बदल दी मेरी दुनिया, कोई नहीं रहा अपनामुझे नहीं पता था कि शराब के कारण मेरा इतना बुरा हाल होगा. मैं बचपन से ही इमोशनल व्यक्ति था. हमेशा हर किसी की मदद करता था. बस अपनी पढ़ाई पर ध्यान रखता था. किसी से कभी कोई झगड़ा मेरा नहीं हुआ. लेकिन, भाग्य का दोष कहिये या मेरा कमजोरी. मैं कई बार लिखित परीक्षा में पास तो हुआ. लेकिन, इंटरव्यू में छंट जाता था. मैं डिप्रेशन में चला गया. इससे आसपास के लोग मेरा मजाक उड़ाने लगे. इससे मैं और परेशान रहने लगा. एक दोस्त के सलाह पर मैंने एक दिन शराब पी ली. मुझे काफी सुकून मिला. इसके बाद मैं हर दिन शराब पीने लगा. इससे थोड़ी देर तक तो ठीक रहता था. लेकिन, बाद में मैं पढ़ नहीं पाता था. कितना भी कोशिश कर लूं, हमेशा सिर भारी लगता था. इससे मेरी पढ़ाई भी छूटने लगी. शराब की ऐसी लत लगी कि मैं उससे पीछा नहीं छुड़ा पा रहा था. इससे परिवार और सोसाइटी दोनों में ही बदनामी होने लगी. इसी बीच परिवारवालों ने मेरी शादी कर दी़ शुरुआत में तो पत्नी से खूब लड़ाई होती थी. लेकिन, बाद में मैं खुद शराब को छोड़ना चाह रहा था. पत्नी ने साथ दिया, हितैशी हैप्पीनेश नशा विमुक्ति केंद्र पर साथ लेकर गयी. वहां डाक्टर से बातें हुई. इसके बाद मैं छह महीने तक वहां पर भरती रहा. अब मैं ठीक हूं. अभी भी कभी-कभी शराब पीने का मन करता है, लेकिन मैं नहीं पीता हूं. अब मैंने एक कपड़े की दुकान पटना में ही खोल लिया है. कमाने लगा हूं,राहुल सिंह बदला हुआ नाम कोटशराब का नशा, तो लग जाता है. लेकिन, वो मरीज बना देता है. मानसिक बीमारी तो रहती ही है. शारीरिक रूप से भी बीमार कर देता है. ऐसे में हमें काफी सावधानी से मरीज की देखभाल करनी होती है.डाॅ विवेक विशाल, संचालक, हितैशी हैप्पीनेस होम