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तीन नक्सलियों ने किया आत्मसमर्पण

औरंगाबाद कार्यालय: प्रतिबंधित नक्सली संगठन भाकपा माओवादी के बिहार-झारखंड के तीन शीर्ष नक्सलियों ने बुधवार को हथियार के साथ औरंगाबाद पुलिस के समक्ष आत्मसमर्पण किया. मदनपुर खेल मैदान में सब जोनल कमांडर आनंदी सिंह उर्फ आनंद किशोर सिंह ने पुलिस से लूटी गयी राइफल व हार्डकोर नक्सली संजय यादव ने देसी कारबाइन व कारतूस, जबकि […]

औरंगाबाद कार्यालय: प्रतिबंधित नक्सली संगठन भाकपा माओवादी के बिहार-झारखंड के तीन शीर्ष नक्सलियों ने बुधवार को हथियार के साथ औरंगाबाद पुलिस के समक्ष आत्मसमर्पण किया. मदनपुर खेल मैदान में सब जोनल कमांडर आनंदी सिंह उर्फ आनंद किशोर सिंह ने पुलिस से लूटी गयी राइफल व हार्डकोर नक्सली संजय यादव ने देसी कारबाइन व कारतूस, जबकि एरिया कमांडर नागेश्वर सिंह ने बिना हथियार के ही एसपी बाबू राम, सीआरपीएफ व कोबरा के पदाधिकारियों के समक्ष सरेंडर किया.
एसपी के अनुसार, हार्डकोर नक्सली संजय यादव पर बिहार सरकार ने एक लाख रुपये व झारखंड सरकार ने तीन लाख रुपये का इनाम घोषित कर रखा है. वहीं, झारखंड सरकार ने सब जोनल कमांडर आनंदी सिंह पर तीन लाख रुपये व एरिया कमांडर नागेश्वर सिंह पर एक लाख रुपये का इनाम घोषित कर रखा है. संजय यादव पर 46, आनंदी सिंह पर आठ व नागेश्वर सिंह पर 12 मामले दर्ज हैं. नक्सली संजय यादव झारखंड में पांच कांडों में भी वांछित है.
इससे पहले बुधवार को तीन शीर्ष नक्सलियों के आत्मसमर्पण किये जाने को लेकर मदनपुर खेल मैदान में एक भव्य समारोह का आयोजन किया गया. समारोह में औरंगाबाद एसपी बाबू राम, सीआरपीएफ 153 बटालियन के कमांडेंट करमा भूटिया, सेकेंड इन कमांड एसपी त्रिपाठी, कोबरा बटालियन के सेकेंड इन कमांड विजय प्रताप, सीआरपीएफ 153 बटालियन के डिप्टी कमांडेंट टीएन सिंह, एएसपी (अभियान) राजेश भारती व एसडीपीओ पीएन साहू मंच पर मौजूद थेे. करीब एक बजे मंच पर सबसे पहले एरिया कमांडर नागेश्वर सिंह की पत्नी शकुंतला देवी व सब जोनल कमांडर आनंदी सिंह उर्फ आनंद किशोर सिंह की पत्नी रासमनी देवी पहुंचीं. कुछ देर बाद तीनों शीर्ष नक्सली मंच पर पहुंचे और एसपी के समक्ष अपने हथियार डाल कर समाज की मुख्यधारा में शामिल होने की घोषणा की, जिसका उपस्थित लोगों की भीड़ ने तालियाें की गड़गड़ाहट से स्वागत किया.

एसपी ने तीनों का माला पहना कर स्वागत किया. नागेश्वर सिंह व आनंदी सिंह की पत्नियों को शाॅल देकर सम्मानित करने के बाद एसपी ने कहा कि इन तीनों को नक्सली संगठन से बाहर निकाल कर आत्मसमर्पण कराने में इनकी भी महती भूमिका रही है. तीनों लोगों ने नक्सल का रास्ता छोड़ कर समाज की मुख्यधारा से जुड़ने की दिशा में एक एेतिहासिक कदम उठाया है. इनका आत्मसमर्पण करना सरकार व पुलिस -प्रशासन के साथ-साथ समाज के लिए भी महत्वपूर्ण है. यह सफलता औरंगाबाद जिले की पुलिस, सीआरपीएफ, कोबरा व मीडिया के योगदान से मिली है. तीनों नक्सलियों पर चल रहे मुकदमे में पुलिस द्वारा सहानुभूति अपनायी जायेगी और उनका सहयोग भी किया जायेगा.

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