कहीं जगह नहीं, तो कभी मसाले व चावल का लगा रहता है टोटा
कहीं जगह नहीं, तो कभी मसाले व चावल का लगा रहता है टोटा – जिले में मिड डे मील का बुरा हालसंवाददाता, पटना कहीं जगह नहीं, तो कहीं चावल और मसाले कम. यह हाल है राजधानी के सरकारी स्कूलों का. वहां बच्चों के लिए बनने वाले मिड डे मील इन कारणों से बीते दो वर्षों […]
कहीं जगह नहीं, तो कभी मसाले व चावल का लगा रहता है टोटा – जिले में मिड डे मील का बुरा हालसंवाददाता, पटना कहीं जगह नहीं, तो कहीं चावल और मसाले कम. यह हाल है राजधानी के सरकारी स्कूलों का. वहां बच्चों के लिए बनने वाले मिड डे मील इन कारणों से बीते दो वर्षों से बंद पड़े हैं. ऐसे में भला सरकार के सब पढ़े, सब बढ़े का सपना कैसे पूरा हो, जब बच्चों के मिलने वाले मिड डे मील ही उनकी पहुंच से दूर हो.कागज पर 3299 विद्यालयों में चल रहा मिड डे मीलपटना जिले में प्राथमिक व मध्य स्कूलों की संख्या 3339 हैं. इनमें कागज पर 3299 स्कूलों में मिड मील बनाये जा रहे हैं, जबकि वास्तविक स्थिति में 2984 स्कूलों में ही मिड डे मील बनाये जा रहे हैं. इनमें 237 विद्यालयों में जगह व पानी के अभाव में, तो 78 विद्यालयों में चावल और मसाले के अभाव में पूरी तरह से मिड डे मील बंद हैं. वहीं, 40 विद्यालय ऐसे हैं, जो पटना शहरी क्षेत्र के हैं और इन विद्यालयों में पिछले दो वर्षों से एनजीओ द्वारा मिलने वाले मिड डे मील पर रोक लगाये जाने से बंद हैं. इससे जिले के 355 विद्यालयों के बच्चे मिड डे मील योजना की पहुंच से दूर हैं.टेंडर भी निकाला गया, पर नहीं हुआ चयन स्कूलों में जगह की समस्या को देखते हुए बीते वर्ष दिसंबर में एनजीओ चयन के लिए टेंडर भी निकाला गया. बावजूद इसके अब तक टेंडर का चयन नहीं हो सका. इससे पटना सदर के 40 स्कूल में पिछले दो वर्षों से मिल डे मील बंद है. वहीं, कुछ में शुरू भी कराये गये, तो उन स्कूलों में अक्सर चावल व मसाले कम पड़ने से बच्चों के लिए मिड डे मील नहीं बन पाता है.पहले मिलता था स्कूल में भोजन बालक मध्य विद्यालय गोलघर पार्क की छठी कक्षा की छात्रा कोमल कहती है कि पहले स्कूल आने पर खाना भी मिलता था, पर अब नहीं मिलता है. ऐसे में बच्चे दोपहर बाद घर चले जाते हैं. शिक्षक की समस्या है कि यदि वे बच्चों पर स्कूल आने के लिए सख्ती बरतते हैं, तो वे अगले दिन से स्कूल नहीं आते हैं. यहां तक कि अभिभावकों की भी नाराजगी भी उन्हें ही झेलनी पड़ती है. इससे वे बच्चों के दोपहर बाद घर चले जाने पर भी शिकायत नहीं करते. जगह व पानी के अभाव में बंदजिला मध्याह्न भोजन पटना सदर के साधन सेवी विनोद कुमार बताते हैं कि कई स्कूलों में जगह व पानी के अभाव में मिड डे मील बंद है. इनमें गर्दनीबाग में संचालित कुल 59 स्कूलों में से मात्र 20 में ही मिड डे मील बनाये जा रहे हैं. शेष 39 स्कूलों में जगह व पानी का अभाव है. वहीं, बांकीपुर अंचल के 25 व महेंद्रू के 53 स्कूलों में चावल का उठाव नहीं हो रहा है. इसके अलावा अन्य अंचलों के 237 स्कूलों में जगह व पानी के अभाव में मिड डे मील का संचालन नहीं हो पा रहा है. कोट मिड डे मील को लेकर कई तरह की परेशानी हो रही है. कुछ स्कूलों में जगह का अभाव होने के कारण मिड डे मील बंद है. इसके लिए सोमवार को सभी अंचलों की बैठक बुलायी गयी है, ताकि समस्या का निदान कर इसे शुरू कराया जा सके. – कौशल किशोर, कार्यक्रम पदाधिकारी, जिला मध्याह्न भोजन कोट मिड डे मिल नहीं मिल पाने से बच्चे परेशान हैं. बच्चों को भूखे पेट स्कूल में रखने से कई तरह की परेशानी हो रही है. बच्चे दोपहर बाद से ही घर चले जाते हैं. – राम पटेल, प्रभारी प्रधानाध्यापक, बालक मध्य विद्यालय, करबिगहिया\\\\B