बंदियों के स्वास्थ्य को लेकर चिंता

पटना : राज्य के आधे दर्जन जेलों में क्षमता से अधिक कैदी हैं. मौलिक सुविधाओं जैसे स्वास्थ्य सुविधा, पेयजल, शौचालय और पुस्तकालय की कमी है. क्षमता से अधिक कैदी रहने के कारण कस्टोडियल डेथ की आशंका रहती है. हर वर्ष एक दर्जन से अधिक कैदी स्वास्थ्य सुविधाओं की कमी के कारण असमय मर जाते हैं. […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | November 25, 2013 3:37 AM

पटना : राज्य के आधे दर्जन जेलों में क्षमता से अधिक कैदी हैं. मौलिक सुविधाओं जैसे स्वास्थ्य सुविधा, पेयजल, शौचालय और पुस्तकालय की कमी है. क्षमता से अधिक कैदी रहने के कारण कस्टोडियल डेथ की आशंका रहती है.

हर वर्ष एक दर्जन से अधिक कैदी स्वास्थ्य सुविधाओं की कमी के कारण असमय मर जाते हैं. इसका खुलासा राज्य मानवाधिकार आयोग के साथ जेल विभाग के अधिकारियों की बैठक में हुआ. आयोग ने जेलों में मानसिक रोग विशेषज्ञ समेत कई चिकित्सक,स्वास्थ्य जांच के लिए मेडिकल कैंप व स्वास्थ्य सेवाओं के लिए अलग से कैडर बनाने का निर्देश जेल विभाग को दिया है. राज्य में जेलों की संख्या 56 है. इनमें आठ केंद्रीय कारा हैं.

इन जेलों में 35 हजार कैदियों को रखने की क्षमता है, लेकिन वर्तमान में 24 हजार कैदी रह रहे हैं यानी क्षमता से 11 हजार कैदी कम हैं. जहानाबाद, जुमई और औरंगाबाद जेल नक्सल प्रभावित क्षेत्र में है. बावजूद जेल जजर्र स्थिति में है. यहां क्षमता से अधिक कैदी हैं. अररिया और मधेपुरा जेल में भी क्षमता से अधिक कैदी हैं. आयोग की चिंता इस बात की है कि क्षमता से अधिक कैदी रहने पर कैदियों के बीमार रहने की संभावना अधिक होती है.

जेलों में चिकित्सकीय सुविधा का हाल ठीक नहीं है. अधिकारियों का कहना है कि यहां कस्टोडियल डेथ की संख्या कम है. हर वर्ष लगभग 10 कैदी की मौत जेल में होती है. इसके कई कारण हैं.

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