मेडिकल कॉलेजों में न नयी नियुक्ति हुई, न ही पदोन्नति

कॉन्ट्रैक्ट पर चलाये जा रहे सूबे के मेडिकल कॉलेज पटना : राज्य के आठ सरकारी मेडकल कॉलेज अस्पतालों में न तो नयी नियुक्ति की जा रही है और नहीं अहर्ता प्राप्त चिकित्सक शिक्षकों को पदोन्नति मिल रही है. इन्हें पदनामित भी नही किया जा रहा है. मेडिकल एडुकेशन सिस्टम को सिर्फ सेवानिवृत कॉन्ट्रैक्ट के चिकित्सक […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | December 14, 2015 4:13 AM
कॉन्ट्रैक्ट पर चलाये जा रहे सूबे के मेडिकल कॉलेज
पटना : राज्य के आठ सरकारी मेडकल कॉलेज अस्पतालों में न तो नयी नियुक्ति की जा रही है और नहीं अहर्ता प्राप्त चिकित्सक शिक्षकों को पदोन्नति मिल रही है. इन्हें पदनामित भी नही किया जा रहा है. मेडिकल एडुकेशन सिस्टम को सिर्फ सेवानिवृत कॉन्ट्रैक्ट के चिकित्सक शिक्षकों की बहाली कर चलाया जा रहा है. इससे सरकार पर नाहक वित्तीय भार पड़ रहा है.
कॉन्ट्रैक्ट पर बहाल किये जानेवाले अवकाश प्राप्त शिक्षकों से कार्य लेना भी एक अपने आप में समस्या बनी हुई है. सीनियर रेजीडेंट -ट्यूटर तथा बिहार चिकित्सा सेवा भरती, नियुक्ति एवं प्रोन्नति नियमावली 2008 के तहत सरकारी मेडिकल कॉलेजों में वरीय पदों को पदोन्नति के माध्यम से भरा जाना है. मसलन असिस्टेंट प्रोफेसर को पदोन्नति देकर एसोसिएट प्रोफेसर, एसोसिएट प्रोफेसर को पदोन्नति देकर प्रोफेसर व प्रोफेसरों के बीच से पदोन्नति देकर प्राचार्य व निदेशालय के पदों को भरना है. राज्य के सरकारी मेडिकल कॉलेज हॉस्पिटल में 168 प्रोफेसर के पद सृजित हैं. प्रोफेसर के कुल पदों में 30 पद रिक्त हैं.
इधर मेडिकल कॉलेजों में पदस्थापित 65 एसोसिएट प्रोफेसर ऐसे हैं, जिनको पदोन्नति देकर प्रोफेसर बनाया जा सकता है. इनको पदोन्नति देने से सरकार पर कोई वित्तीय बोझ नहीं आयेगा. इन एसोसिएट प्रोफेसरों को पहले से ही डायनेमिक एसीपी के माध्यम से प्रोफेसर पद का वेतनमान दिया जा रहा है. इसी तरह से मेडिकल कॉलेजों में 269 एसोसिएट के पद सृजित हैं.
इनमें से 75 पद रिक्त हैं. रही बात पदोन्नति की तो 143 असिस्टें प्रोफेसर ऐसे हैं, जो एसोसिएट प्रोफेसर के लिए अर्हता रखते हैं. सरकार इनको भी डीएसीपी के तहत एसोसिएट प्रोफेसर का वेतनमान दे रही है. उनको पदोन्नति दे दी जाये तो बिना वित्तीय बोझ के एसोसिएट प्रोफेसर के पद भी भर जायेंगे.
मेडिकल कॉलेज के कनीय असिस्टेंट प्रोफेसर के पद पर 590 चिकित्सक शिक्षक रेगूलर या कॉन्ट्रेक्ट के आधार पर काम कर रहे हैं.
यहां फंसा है पेच
सरकार पदोन्नति मे आरक्षण को लेकर अक्तूबर, 2014 से रोक लगी है. इसी का हवाला देकर मेडिकल कॉलेजों में पदोन्नति पर भी रोक लगा दी है. सरकार इस समस्या का हल निकालना चाहती है तो सीनियर रेजीडेंट -ट्यूटर तथा बिहार चिकित्सा सेवा भरती, नियुक्ति एवं प्रोन्नति नियमावली 2008 की कंडिका नौ के माध्यम से हल निकाल सकती है.
इसमें प्रावधान है कि सरकार अगर नियमित प्रोन्नति नहीं दे सकती है तो अहर्ता प्राप्त चिकित्सक शिक्षकों का डीपीसी कर उनको पदनामित कर सकती है. यह काम मंत्री स्तर से भी संभव है. वरीय पदों की प्रोन्नति के लिए डीपीसी भी हो चुकी है. मेडिकल कॉलेजों में 2008 की नियमावली के बाद 2013 में ही शिक्षकों की नियुक्ति की गयी है.
उसके बाद से नयी नियुक्ति नहीं हुई है.
प्रोफेसर व एसोसिएट प्रोफेसर की हो रही बहाली
सरकार नियमित पदोन्नति न देकर कार्यकारी व्यवस्था के तहत प्रोफेसर प एसोसिएट प्रोफेसर पदों पर कॉन्ट्रेक्ट के आधार पर बहाली कर रहा है. इस बहाली में 67 वर्ष तक के डाक्टरों को प्रोफेसर व एसोसिएट प्रोफेसर के रूप में वहाल किया जाना है. वरीय होने के नाते ऐसे डाक्टरों काम कराना उनके जूनियरों के लिए चुनौती साबित होता है.
इनमें प्रोफेसर पद के शिक्षकों को 94 हजार, जबकि एसोसिएट को 50 हजार मासिक दिया जायेगा. ऐसे में 30 प्रोफेसर पदों पर कॉन्ट्रेक्ट के आधार पर नियुक्ति होती है तो मासिक खर्च करीब 28 लाख रुपये आयेगा. इसी तरह से एसोसिएट प्रोफेसर के 75 पदों पर कॉन्ट्रेक्ट पर बहाली होने से करीब 37 लाख मासिक खर्च होंगे.

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