सफेद हाथी बना बुडको, पांच बड़ी परियोजनाएं, एक भी पूरी नहीं – दो-दो वर्षों से लटका है प्रोजेक्ट संवाददाता, पटनाशहरी क्षेत्रों में विकास कार्य को पूरा कराने के लिए राज्य सरकार ने इंपलीमेंट एजेंसी के रूप में बिहार अरबन इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट काॅरपोरेशन (बुडको) बनाया. जिसका एमडी आइएएस अधिकारी को बनाया गया. इसके साथ ही कुशल अभियंताओं की टीम और आलाधिकारियों की फौज है. लेकिन, बुडको सफेद हाथी ही बन कर रह गया है. स्थिति यह है कि राजधानी के एक-से-एक प्रोजेक्ट बुडको के पास है. लेकिन, कोई भी प्रोजेक्ट धरातल पर नहीं उतरा सका है. पेश है राजधानी के प्रोजेक्ट पर एक रिपोर्ट…मल्टी लेवल पार्किंगलागत: 47.5 करोड़ रुपयेराजधानी के बुद्ध स्मृति पार्क परिसर में 47.5 करोड़ रुपये की लागत से बना मल्टी लेवल पार्किंग बुडको की विफलताओं का जीता जागता स्मारक है. ग्राउंड प्लस थ्री फ्लोर यानी चार तल्ले की इस पार्किंग की योजना लगभग पांच साल पहले बनायी गयी थी. योजना का खाका खींचा गया, टेंडर जारी हुआ, काम शुरू हुआ और खत्म लेकिन इसके लिए कोई रास्ता बनाने का ख्याल ना तो बड़े इंजीनियरों और ना ही सरकार के नुमाइंदे को आया. यह भव्य भवन बन कर पूरी तरह तैयार हो गया. डेंटिंग-पेंटिंग, बिजली-बत्ती सब लग गयी. पार्किंग के लिए नये नये अत्याधुनिक मशीनों की खरीद होने लगी लेकिन किसी ने इसमें पहुंचने के लिए रास्ता बनाने की कोशिश तक नहीं की. एक साल बीता, दूसरा साल भी बीता, तीसरा और चौथा भी लेकिन रास्ता बनाने और वहां तक पहुंचने की राह नहीं खुली. कभी फ्रेजर रोड, कभी स्टेशन गोलंबर तो कभी स्टेशन रोड से जोड़ने की योजना कह कर रास्ते के नये नये प्राक्कलन सरकार तक पहुंचते रहे लेकिन किसी पर सहमति नहीं बनी. अधिकारियों ने इस पर सोचना तक छोड़ दिया. पटना जलापूर्ति योजनालागत: 927 करोड़ रुपये बुडको ने जलापूर्ति योजना का डीपीआर वर्ष 2012 में तैयार किया था. जिसकी लागत 537 करोड़ थी. इस प्रोजेक्ट को पूरा कराने के लिए गैमन इंडिया नामक एजेंसी को भी चयनित किया गया था, जिन्हें 24 माह में प्रोजेक्ट पूरा करना था. दो वर्षों में सिर्फ 18 वार्डों में आधे-अधूरे जलमीनार टावर का निर्माण किया गया. जिससे विभागीय सचिव ने वर्ष 2014 में एजेंसी से कार्य वापस ले लिया. इसके बाद एक वर्ष तक योजना में कोई कदम नहीं बढ़ाया गया. अब बुडको सिर्फ 18 वार्डों में ही जलापूर्ति योजना को पूरा करने में लगा है, जिसको लेकर टेंडर निकालने का प्रक्रिया चल रही है. इतना ही नहीं, पटना जलापूर्ति योजना की प्राक्कलन राशि 537 करोड़ से बढ़ कर 927 करोड़ हो गयी है.डंपिंग यार्ड में रिसाइकिलिंग प्लांटलागत: 247 करोड़ रुपयेनिगम क्षेत्र से निकलने वाली कचरा का प्रोपर रिसाइकिलिंग हो, इसके लिए बैरिया स्थित कूड़ा डंपिंग यार्ड में रिसाइकिलिंग प्लांट लगाने का निर्णय लिया गया. इस योजना को पूरा करने की जिम्मेवारी भी बुडको को दी गयी. इस योजना को पूरा करने के लिए बुडको ने एजेंसी चयनित की और एग्रीमेंट अप्रैल में ही हो गया. एग्रीमेंट के तिथि से अगले तीन माह में कम्पोस्ट खाद उत्पादन करनेवाली प्लांट लगा देनी थी. इसके साथ ही बिजली उत्पादन प्लांट भी लगानी थी. लेकिन, चयनित एजेंसी ने सात माह बाद भी एक ईंट नहीं जोड़ सकी है. इस प्रोजेक्ट पर भी 247 करोड़ खर्च करने का प्रावधान किया गया है.ड्रेनेज-सीवरेज योजनालागत : 2600 करोड़ रुपयेनिगम क्षेत्र की ड्रेनेज-सीवरेज व्यवस्था भी ध्वस्त है. जिससे गंगा में गंदा पानी गिरता है और जलजमाव की समस्या भी बन जाती है. इस समस्या से निजात दिलाने के लिए वर्ष 2012 में ही सिंगापुर की कंपनी मैनहाट से डीपीआर तैयार करवाया गया. डीपीआर के अनुसार 1800 किलोमीटर सीवरेज लाइन बिछानी थी और पांच स्थानों पर एसटीपी. इस योजना पर 2600 करोड़ खर्च करने का प्रावधान था. बुडको प्रशासन ने निगम बोर्ड की बैठक में भी प्रस्ताव को प्रस्तुत किया, जिसको बोर्ड ने स्वीकृति दे दी. इसके बावजूद दो वर्षों में एक कदम भी योजना आगे नहीं बढ़ी. अंतरराज्यीय बस अड्डा का निर्माणलागत : 220 करोड़ रुपयेनगर निगम के बैरिया स्थित 25 एकड़ भूखंड पर अंतरराज्यीय बस अड्डा बनाने का प्रोजेक्ट भी बुडको के पास है. यह योजना भी वर्ष 2012-13 से बुडको के पास है. बस अड्डा के डीपीआर के साथ-साथ डिजाइन भी तैयार है. इस योजना पर वर्ष 2014 में 220 करोड़ खर्च करने का प्रशासनिक स्वीकृति मिल गयी. लेकिन, बस अड्डा बनाने का कार्य शुरू नहीं किया जा सका है. राजधानी के ट्रैफिक लाइट लागत : 24.45 करोड़ रुपयेसड़कों पर बेहतर वाहनों का परिचालन हो, इसके लिए डेढ़ वर्ष पहले ट्रैफिक लाइट लगाने की योजना बनी. इस योजना के तहत राजधानी के 97 जगहों पर लाइट लगानी थी. जिस पर 24.45 करोड़ की लागत है. इसे अब तक दुरुस्त हो जाना चाहिए था. आलम यह है कि अब तक प्रमंडल आयुक्त के हस्तक्षेप के बाद सात-आठ जगहों पर ट्रैफिक लाइट जल रही है. इतना ही नहीं, अब तक कंट्रोल रूम भी तैयार नहीं किया जा सका है.नुरूम सिटी बस सेवा भारत सरकार की नुरूम योजना के तहत राजधानी व बोध गया में पब्लिक ट्रांसपोर्टेशन सुविधा बेहतर करना था. इस योजना को वर्ष 2012 में पूरा करने की जिम्मेवारी बुडको को दी गयी. इस योजना को भारत सरकार से मंजूरी मिली और एजेंसी चयन करने में दो वर्ष लग गया. इसके बाद 14 अगस्त 2014 को 40 बसों के साथ योजना का उद्घाटन किया गया. उद्घाटन समारोह में विभागीय मंत्री व सचिव ने घोषणा किया कि अगले तीन माह में 300 बसें राजधानी की 17 रूटों पर दौड़ना शुरू कर देंगी. इसके साथ ही बोध गया में भी बसों का परिचालन सुनिश्चित किया जायेगा, लेकिन उद्घाटन हुए एक वर्ष से अधिक हो गया और 40 बस ही सड़क पर दौड़ रही है. इन बसों को लेकर भी अब बुडको प्रशासन और एजेंसी के बीच रस्साकस्सी चल रही है. अब भी बुडको प्रशासन राजधनी की सड़कों पर निर्धारित बसों की संख्या सड़क पर उतारने में सक्षम नहीं है. &&&&&&&&&&&&काम करने में सक्षम नहीं तो खत्म करेंगे बुडको: मंत्री – नगर विकास और आवास मंत्री माहेश्वर हजारी ने कहा – जनता के हित के लिए होती है सरकार ना कि अधिकारियों के लिए संवाददाता, पटना बिहार के नगर विकास और आवास मंत्री माहेश्वर हजारी ने साफ लहजे में कहा है कि यदि कोई भी निगम काम करने में सक्षम नहीं है तो फिर उसे भंग कर दिया जायेगा. उन्होंने कहा कि ऐसे संस्थानों के रहने का मतलब ही क्या है? हम जनता के प्रति उत्तरदायी हैं, बड़ी उम्मीद के साथ हमें जनता ने चुना है. हम अधिकारियों और कर्मचारियों के लिए नहीं हैं. मंत्री ने बताया कि बुडको की कई योजनाओं के बुरे हालत के बारे में मुझे भी जानकारी मिली है. हम बुडको से संबंधित सभी योजनाओं की समीक्षा करेंगे. बुधवार 16 दिसंबर को बुडको के योजनाओं की समीक्षा की जायेगी. इस बैठक में योजनाओं का हाल लेंगे और लंबे समय से लटके प्रोजेक्ट पर जिम्मेवार अधिकारियों से जवाब तलब करेंगे. बुडको यदि काम करने में सक्षम नहीं है तो उसे भंग कर दिया जायेगा. बस चलाने वाली एजेंसी से हुई है बात उन्होंने कहा कि अभी नुरुम बस वाली एजेंसी ने सरेंडर कर दिया है जिसके कारण पटना में लोगों को परेशानी झेलनी पड़ रही है. एजेंसी के मैनेजर से हमने बात की तो उसका कहना है कि लाखों रुपया बुडको के पास फंसा हुआ है. बस के लिए इंफ्रास्ट्रक्चर भी नहीं बनाया गया. ना तो बुडको और ना ही संबंधित एजेंसी ने मुझे पहले कोई जानकारी नहीं दी थी. अचानक बस बंद कर देने से लोग परेशान हो रहे हैं. इस पर भी जवाब तलब करेंगे. सीएम से 16 आइएएस की मांग श्री हजारी ने कहा कि विभाग में योग्य अधिकारियों की कमी है. प्रमोटी और दूसरे विभाग से जुड़े अधिकारियों को हटाएंगे. मुख्यमंत्री जी से 16 आइएएस की मांग करेंगे ताकि विभाग का काम पटरी पर आ सके. नगर विकास विभाग के एक-एक रुपये का बेहतर प्रयोग किया जायेगा, इसके लिए हम लोगों को आश्वस्त करतेहैं.
सफेद हाथी बना बुडको, पांच बड़ी परियोजनाएं, एक भी पूरी नहीं
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