जानें, क्यों पटना हाईकोर्ट ने जारी की केंद्र सरकार को नोटिस
पटना : बिहार को 14 वें वित्त आयोग से कम पैसे मिलने के राज्य सरकार का आरोप अब न्यायालय की चौखट तक पहुंच गया है. पटना उच्च न्यायालय ने इस संबंध में दायर लोक हित याचिका की सुनवाई करते हुए केंद्र सरकार और 14 वें वित्त आयोग को नोटिस जारी किया है. कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश […]
पटना : बिहार को 14 वें वित्त आयोग से कम पैसे मिलने के राज्य सरकार का आरोप अब न्यायालय की चौखट तक पहुंच गया है. पटना उच्च न्यायालय ने इस संबंध में दायर लोक हित याचिका की सुनवाई करते हुए केंद्र सरकार और 14 वें वित्त आयोग को नोटिस जारी किया है. कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश इकबाल अहमद अंसारी और न्यायाधीश चक्रधारी शरण सिंह की कोर्ट ने मंगलवार को इस संबंध में सुनवाई की और अगले एक फरवरी तक केंद्र सरकार और वित्त आयोग को हलफनामा दायर कर जवाब देने को कहा है.
लोक हित याचिका में कहा गया है कि 14 वें वित्त आयोग की सिफारिश के तहत बिहार को कुल राशि का 7.665 प्रतिशत राशि मिली है. जबकि, 13 वें वित्त आयोग की अनुशंसा पर राज्य को 10.917 प्रतिश्त राशि प्राप्त हुई थी. याचिकाकर्ता के वकील ने कोर्ट से कहा कि बिहार के अतिरिक्त नौ गैर भाजपा शासित राज्यों को पिछली बार की तुलना में कम पैसे आवंटित किये गये हैं. 14 वें वित्त आयोग की सिफारिश के तहत बिहार को कम पैसे मिलने की शिकायत राज्य सरकार की ओर से भी की गयी है. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और वित्त मंत्री अरुण जेटली से मुलाकात कर बिहार को हुए नुकसान की भरपायी करने का अनुरोध कर चुके हैं. बिहार को 14वें वित्त आयोग से मिलने वाली राशि अप्रैल 2015 से मार्च 2016 के बीच मिलना है.
इस वित्तीय वर्ष में राज्य को ग्रांट और अन्य मदों में करीब 2800 करोड़ रुपये मिलने का अनुमान लगाया जा रहा है. इसमें शहरी और ग्रामीण निकायों के मद में 256 करोड़ रुपये निर्धारित किया गया है. इसमें पूरे रुपये आ गये हैं. परंतु पंचायती राज संस्थानों को देने के लिए दो किस्तों में 2300 करोड़ देना निर्धारित किया गया है. इसमें अब तक एक किस्त 1150 करोड़ रुपये ही आये हैं. इसी तरह राज्य आपदा प्रबंधन कोष (एसडीआरएफ) के तहत भी दो किस्तों में करीब 200 करोड़ रुपये मिलने हैं, जिसमें एक किस्त के तहत 100 करोड़ रुपये आ चुके हैं. पंचायती राज संस्थानों और एसडीआरएफ के तहत एक-एक किस्त नहीं प्राप्त हुए हैं.