पटना : हम के राष्ट्रीय अध्यक्ष एवं पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी ने असहिष्णुता के मुद्दे पर कहा है कि देश में असहिष्णुता का महौल होना कोई नई बात नहीं है. ये सदियों से रहा है. पर इसे किसी धर्म से जोड़ कर देश का महौल खराब करना एवं इस मुद्दे पर राजनीति करना कहीं से जायज नहीं है. हमारे देश में दलितों के नरसंहार होते हैं, आरोपी बरी भी हो जाते हैं. आये दिन महिलाओं के साथ रेप होता है. राह चलती लड़कियों से छेड़खानी की जाती है, तो क्या ये असहिष्णुता नहीं हैं, और दलित,आदिवासी और महिलाओं के साथ होने वाले अत्याचार सहिष्णु हैं ? असहिष्णुता एक व्यापक शब्द है, इसे किसी खास वर्ग से जोड़कर देखना सही नहीं है.
पति-पत्नी में भी झगड़ा होता है. कई-कई दिन दोनों में बात नहीं होती. फिर एक दूसरे से गिले-सिकवा दूर हो जाते हैं. हमारे देश में विभिन्न धर्म, भाषा, क्षेत्र,लिंग, विचाराधारा के लोग रहते हैं. इन विविधताओँ के बीच हमारे देश में एकता और सद्भाव है. मांझी ने कहा कि इसके बावजूद कई मौकों पर असहिष्णुता की बात आती है, तो ये कोई नया मामला नहीं है. और ऐसी परिस्थितियों के लिये सरकार नहीं, समाज जिम्मेदार है.
उन्होंने कहा कि हमें किसी भी धर्म, भाषा, क्षेत्र, लिंग, विचाराधारा वाले लोगों से भेद-भाव नहीं करना चाहिये. न ही उसकी स्वतंत्रता में खलल डालनी चाहिये. विविधताओं में एकता ही हमारे देश की खूबसूरती हैं. असहिष्णुता की स्थिति उत्पन्न न हो, इसके लिए हमें मानसिकता बदलनी होगी. तभी हम सामाजिक समरसता स्थापित कर सकेंगे. सरकार को इसके लिये जिम्मेवार ठहराना कदापि उचित नहीं है.