लब पे आती है बन के दुआ तमन्ना मेरी

लब पे आती है बन के दुआ तमन्ना मेरीपेशावर हत्याकांड की बरसी पर आयोजित हुआ टूडेज वी ऑल आर पाकिस्तानीप्रेमचंद रंगशाला में हुआ आयोजनलाइफ रिपोर्टर पटनामेरे साथ बैठ कर वक्त रो रहा था, वक्त ने कहा, तू बंदा ठीक है, मैं ही खराब चल रहा हूं. यह बातें बिहार संगीत नाटक अकादमी के पूर्व चेयरमैन […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | December 16, 2015 11:03 PM

लब पे आती है बन के दुआ तमन्ना मेरीपेशावर हत्याकांड की बरसी पर आयोजित हुआ टूडेज वी ऑल आर पाकिस्तानीप्रेमचंद रंगशाला में हुआ आयोजनलाइफ रिपोर्टर पटनामेरे साथ बैठ कर वक्त रो रहा था, वक्त ने कहा, तू बंदा ठीक है, मैं ही खराब चल रहा हूं. यह बातें बिहार संगीत नाटक अकादमी के पूर्व चेयरमैन डॉक्टर शंकर प्रसाद ने कही. पेशावर में पिछले साल हुए स्कूली बच्चों के हत्या की बरसी पर प्रेमचंद रंगशाला में बिहार आर्ट थियेटर की तरफ से आयोजित टूडेज वी ऑल आर पाकिस्तानी नाटक का मंचन किया गया. इस मौके पर चीफ गेस्ट के रूप में आलोक धन्वा थे. इस नाटक के राइटर इरफान अहमद थे. वहीं डिजाइन और डायरेक्शन सुमन सौरभ ने किया. कार्यक्रम में बिहार आर्ट थियेटर के सचिव कुमार अनुपम भी मौजूद थे.मजहब नहीं सिखाता आपस में बैर रखनान रूप न रंग, न भाषा न बोली, न आकार न प्रकार, न पंथ न ही मजहब. आतंकवाद इन सभी चीजों से परे है. आज पूरी दुनिया तीन चीजों आतंकवाद, जलवायु परिवर्तन और खाद्य सुरक्षा को लेकर एकमत है. इसमें आतंकवाद सबसे ऊपर है. इस बात की गंभीरता का अंदाजा इस बात से ही लगाया जा सकता है कि विश्व के दो महाशक्तियों अमेरिका और रूस जो कभी सीधे मुंह बात नहीं करते थे, इस मसले पर एक साथ हैं. 16 दिसंबर 2014 को पाकिस्तान के आर्मी स्कूल पेशावर में 132 मासूम सपनों को खत्म कर दिया गया. ये सिर्फ एक प्रतीक है. विश्व में घटे उन तमात आतंकी घटनाओं को जिसने हमसे हमारा नन्हा गांधी, कलाम, आइंस्टीन, मलाला, सचिन, पिकासो, रहमान छीन लिया. यह घटना पूरे विश्व के लिए सबक है. आतंकवाद देश और धर्म नहीं देखता. वह गीता, कुरान और बाइबिल नहीं पढ़ता है. वह जानता है तो सिर्फ खून और नफरत.स्कूली बच्चों के एक्टिंग ने सोचने पर किया मजबूर इस आयोजन में स्कूली बच्चों और प्रतीकात्मक के रूप में वीर प्रसाद सिंह, ज्ञान प्रकाश कुमार, सुजीत कुमार शर्मा, सुदामा कुमार, रवि रंजन, रणविजय सिंह, वैभव विशाल, अजित कुमार, नीतीश कुमार, रजनीकांत झा, धीरज कुमार, अमृता कुमारी और मनीषा कुमारी ने अपने स्वभाविक एक्टिंग से जान डाल दिया. इस आयोजन के प्रस्तुति प्रभारी गुप्तेश्वर कुमार थे वहीं राजु कुमार, अनिल कुमार और धीरज कुमार ने नृत्य, कला और सहायक निर्देशक की भूमिका को बखूबी निभाया.

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