कला के क्षेत्र में महिला कलाकार

कला के क्षेत्र में महिला कलाकारबिहार की अनेक महिला कलाकार यादों में बसी हैं, जिनमें से एक हैं कुमुद शर्मा. पटना के कलाकार उन्हें मॉजी कहते हैं. यह आचार्य स्व नलिनी विलोचन शर्मा की धर्मपत्नी थीं. शालीन व्यक्तित्व की धनी, विदुषी, मृदुभाषी कुमुद शर्मा जब टेलीफोन पर बातें करतीं, तो पास बैठा आदमी तक नहीं […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | December 19, 2015 6:22 PM

कला के क्षेत्र में महिला कलाकारबिहार की अनेक महिला कलाकार यादों में बसी हैं, जिनमें से एक हैं कुमुद शर्मा. पटना के कलाकार उन्हें मॉजी कहते हैं. यह आचार्य स्व नलिनी विलोचन शर्मा की धर्मपत्नी थीं. शालीन व्यक्तित्व की धनी, विदुषी, मृदुभाषी कुमुद शर्मा जब टेलीफोन पर बातें करतीं, तो पास बैठा आदमी तक नहीं सुन सकता था. इन्हें चित्रकला और लेखन से प्रेम था.शांति निकेतन से जब आचार्य नंदलाल बसु राजगृह भ्रमण के लिए अपने छात्रों के साथ आते, तो कुमुद शर्मा के यहां ठहरते थे. साहित्यकार कलाकारों को जमावड़ा होता. गंभीर कला चर्चा होतीं. आचार्य नलिनी विलोचन शर्मा की असमय मृत्यु के बाद वह अकेला महसूस करने लगीं और पूरी तरह चित्र रचना में लग गयीं. इन्होंने दिल्ली, मुंबई, कोलकाता में कई बार एकल चित्र प्रदर्शनियां कीं. उन्हें कलाकारों के साथ रहना अच्छा लगता था. जब भी एमएफ हुसैन पटना आते, इनके घर जरूर जाते. यहीं पर कला चर्चा होतीं. कुमुद शर्मा हुसैन से प्रभावित थीं. इनके कई चित्रों में हुसैन की मुखाकृति है. एक कला गोष्ठी में हुसैन साहब ने कुमुद शर्मा जी ने पूछा, आपको पटना में क्या अच्छा लगा? हुसैन साहब ने तुरंत कहा ‘गंगा’. मैं गंगा पर लघु फिल्म बनाना चाहता हूं. इसी गोष्ठी में कुमुद शर्मा ने आचार्य नलिनी विलोचन शर्मा की कई प्रयोग वादी कविताएं सुनाईं, जिनमें से एक थी ‘बाकरगंज’. यह स्वयं चित्र रचना के साथ सृजन से जुड़ी थीं. बच्चों के नाटक मंचित करतीं. रत्नावली साहित्य विद्या मंदिर के नाम से बच्चों का स्कूल चलातीं. इनका बिहार में नारी जागरण में इनका विशेष योगदान रहा.कुमुद शर्मा के व्यक्तित्व को बताया नहीं, महसूस किया जा सकता है. बंग्ला के प्रसिद्ध कवि जीवानंद की कविता की तरह.‘तुम्हें देख सकूं ऐसी आंख नहीं हैं मेरे पासफिर भी गहरे विस्मय में तुम्हारा एहसास पाता हूं.श्रीमती कुमुद शर्मा को शत-शत नमन.’

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