टूटे व टेढ़े दातों का इलाज हर उम्र में संभव

टूटे व टेढ़े दातों का इलाज हर उम्र में संभवफोटो है – इंडियन डेंटल एसोसिएशन के छठे राज्यस्तरीय अधिवेशन में जुटे सैकड़ों डॉक्टर- एसोसिएशन ने कहा, बिहार में डेंटल के डॉक्टरों की संख्या है काफी कमसंवाददाता, पटनाटूटे और टेढ़े दांत आपकी खूबसूरती को बिगाड़ देते हैं. इसके इलाज के लिए विशेषज्ञ दांत में तार लगाते […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | December 19, 2015 9:32 PM

टूटे व टेढ़े दातों का इलाज हर उम्र में संभवफोटो है – इंडियन डेंटल एसोसिएशन के छठे राज्यस्तरीय अधिवेशन में जुटे सैकड़ों डॉक्टर- एसोसिएशन ने कहा, बिहार में डेंटल के डॉक्टरों की संख्या है काफी कमसंवाददाता, पटनाटूटे और टेढ़े दांत आपकी खूबसूरती को बिगाड़ देते हैं. इसके इलाज के लिए विशेषज्ञ दांत में तार लगाते हैं, जिसे बैसेज कहा जाता है. लोगों में धारणा बनी हुई है कि तार केवल कम उम्र के बच्चों को ही लगाया जाता है, लेकिन बैसेज का इलाज किसी भी उम्र में संभव है. यह कहना है डॉ अमलेश कुमार का. इंडियन डेंटल एसोसिएशन की ओर से आयोजित छठे राज्यस्तरीय अधिवेशन के तीसरे दिन नयी तकनीक से दातों के इलाज के बारे में बताया गया. कार्यक्रम के उद्घाटन के बाद डॉ अमेलश ने कहा कि दांतों के इलाज के बारे में लोगों के बीच जागरूकता की बेहद कमी है. दांतों की आम तकलीफ का इलाज डेंटस्टि करते हैं, पर टेढ़े-मेढ़े दांतों का इलाज ऑर्थोडेंटिस्ट्स द्वारा किया जाता है. उन्होंने बताया कि अधिवेशन में पटना सहित पूरे बिहार से सैकड़ों की संख्या में डॉक्टर आये हैं. डॉ अमलेश ने कहा कि बिहार में नये कॉलेज खुल रहे हैं, लेकिन खासकर डेंटल के डॉक्टर काफी कम हैं, एेसे में सरकार को चाहिये कि वे सभी मेडिकल कॉलेज में डेंटल डॉक्टर के पद स्वीकृति किया जाये. वहीं, एसोसिएशन के अध्यक्ष डाॅ. संजय कुमार ने कहा कि आइडीए लगातार दंत चिकित्सा में नया आयाम छू रहा है. डाॅ. आरपी लाल ने कहा कि हर साल 350 डॉक्टर मेडिकल की पढ़ायी पूरा करते हैं, बावजूद उनके पास नौकरी की समस्या बनी हुई है, साथ ही ग्रेजुएशन शिक्षा की स्थिति काफी जर्जर है. इस मौके पर डॉ. स्मृति भार्गव, डाॅ मनीषा सिंह आदि मौजूद थीं.

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