एक साल बाद नारायण खुद जानने निकले, मेरा कसूर क्या है
एक साल बाद नारायण खुद जानने निकले, मेरा कसूर क्या है कुलदीप नारायण ने नगर निगम से आरटीआइ दायर कर जवाब संवाददाता,पटनाबिहार में एक आइएएस आधिकारी एक साल बाद अपने निलंबन के कारणों की तलाश में जुटा है. वह अधिकारी उन वजहों की तलाश में जुटा है जिसको लेकर जीतन राम मांझी की सरकार ने […]
एक साल बाद नारायण खुद जानने निकले, मेरा कसूर क्या है कुलदीप नारायण ने नगर निगम से आरटीआइ दायर कर जवाब संवाददाता,पटनाबिहार में एक आइएएस आधिकारी एक साल बाद अपने निलंबन के कारणों की तलाश में जुटा है. वह अधिकारी उन वजहों की तलाश में जुटा है जिसको लेकर जीतन राम मांझी की सरकार ने उनको निलंबित कर दिया था. जी हां, हम बात कर रहे हैं आइएएस अधिकारी व तात्कालीन पटना नगर निगम के आयुक्त व वर्तमान में पंचायती राज निदेशक कुलदीप नारायण की . अब वे उसी नगर निगम से जवाब मांग रहे हैं जहां पर रहते हुए उनको निलंबित किया गया था. कुलदीप नारायण को 12 दिसंबर, 2014 को तत्कालीन पटना नगर निगम के आयुक्त के रूप में लापरवाही का आरोप लगाते हुए सरकार ने निलंबित कर दिया था. इसको लेकर आइएएस पदाधिकारियों व सरकार के बीच गंभीर तनाव पैदा हो गया था. कुलदीप के निलंबन के बाद आइएएस एसोसिएशन ने तात्कालीन मुख्यमंत्री जीतन राम मांझा को 11 बिंदुओं के साथ पत्र लिखा. एसोसिएशन द्वारा दिये गये पत्र में कुलदीप पर लगाये गये आरोप और उनकी सफाई का भी जिक्र किया गया था. छह आरोप के बिंदुओं पर मुख्यमंत्री को तथाकथित आरोप और उसका स्पष्टीकरण दिया गया था. कुलदीप नारायण 369 दिनों बाद अब लोक सूचना के अधिकार कानून के तहत पटना नगर निगम से जानकारी मांगी है. 16 दिसंबर को पटना नगर निगम से उन्होंने अपने ऊपर लगाये गये आरोपों से संबंधित जानकारी ही मांगी है. स्थिति यह है कि निगम की ओर से दो दिन में ही उनके आरोपों का जवाब भेज दिया गया है. ये थे कुलदीप के निलंबन के कारण 1. डेंगू के प्रकोप से पटना नगर निगम में नागरिक पीड़ित हो रहे हैं. पटना नगर निगम द्वारा मच्छरों के प्रकोप से बचाव के लिए दवा का छिड़काव नहीं किया जा रहा है. छिड़काव के लिए मशीनों की खरीद नहीं की जा रही है. 2. ठोस कचरा प्रबंधन नहीं करने और इस मद में आवंटित राशि का व्यय नहीं करने 3. पटना नगर निगम द्वारा डोर टू डोर कचरा उठाव नहीं करने. 4. वित्तीय वर्ष 2012-13 और 2013-14 में आवंटित राशि का व्यय नहीं होने. 5. पटना शहरी क्षेत्र में अतिक्रमण एवं अवैध निर्माण को नहीं रोक पाने. इन पर कुलदीप ने पटना नगर निगम से मांगा जवाब सूचना 1 – वर्ष 2010 से अब तक (अक्तूबर 2013 में खरीदी गयी 59 फॉगिंग मशीन को छोड़कर) क्या पटना नगर निगम द्वारा फॉगिंग मशीन का क्रय किया गया है? यदि हां तो कब कितनी राशि को व्यय कर कितनी फॉगिंग मशीन का क्रय किया गया? क्या वर्ष 2015 में किसी फॉगिंग मशीन का क्रय पटना नगर निगम द्वारा किया गया? निगम का जवाब – नहीं सूचना 2- जेएनएनयूआरएम योजना के तहत कचरा प्रबंधन योजना के अंतर्गत वर्ष 2014 में निष्पादित निविदा को छोड़कर क्या वर्ष 2015 में शेष बच रहे आठ प्रकार के उपकरणों की खरीद के लिए क्या निविदा निष्पादन हुआ है? यदि हां तो निविदा निष्पादन की छाया प्रति उपलब्ध करा दी जाये.निगम का जवाब – नहींसूचना 3- जेएनएनयूआरएम योजना के तहत कचरा प्रबंधन हेतु विभाग द्वारा उपलब्ध करायी गयी राशि में से अब तक कितनी राशि का व्यय कर दिया गया है एवं कितनी राशि पटना नगर निगम के खाते में उपलब्ध है? क्या शेष बची राशि को विभाग को लौटाया गया है अथवा निगर निगम के पास ही उपलब्ध है. निगम का जवाब – नगर वित्त एवं लेखा नियंत्रक से सूचना की मांग की जा रही है.सूचना 4 – पटना नगर निगम द्वारा जुलाई 2013 में डोर टू डोर कचरा संग्रहण हेतु शुल्क का निर्धारण नगर निगम पटना द्वारा किया गया था. जवाब – वर्ष 2014 एवं 2015 में डोर टू डोर कचरा संग्रहण हेतु आमंत्रित निविदा का निष्पादन नहीं हुआ है.सूचना 5 – साथ ही वर्ष 2014 में डोर टू डोर कचरा संग्रहण हेतु निविदा आमंत्रित की गयी थी. क्या तदुपरांत वर्ष 2015 में उक्त निविदा का निष्पादन हुआ है? जवाब – वर्ष 2014 एवं 2015 में डोर टू डोर कचरा संग्रहण हेतु आमंत्रित निविदा का निष्पादन नही हुआ है. सूचना -6 क्या वर्तमान में पटना नगर निगम द्वारा अपने सभी नागरिकों को डोर टू डोर कचरा संग्रहण एवं प्रबंधन की सुविधा उपलब्ध करायी जाती है? क्या वर्ष 2010 से अब तक पटना नगर निगम द्वारा कभी भी अपने नागरिकों को डोर टू डोर कचरा संग्रहण की सुविधा उपलब्ध करायी गयी है? जवाब – मुख्य नगर अभियंता कोषांग से संबंधित नहीं है. सूचना 7 – जुलाई 2014 से नवंबर 2015 तक नगर आयुक्त द्वारा अंतिम आदेश पारित किये गये, निगरानी वादों (विजिलेंस केस) की संख्या क्रम- माह-वर्ष- निष्पादित वादों की संख्या सहित उपलब्ध करायी जाये.