क्या हमें रहता है हादसों का इंतजार

बेअसर. दुर्घटना के बाद भी नहीं संभल रहे स्कूल, बच्चे को छोड़ दे रहे बीच सड़क पर छुट्टी के बाद वाहनों में बैठने के लिए जान जोखिम में डाल रोड पार कर रहे बच्चे पटना : स्कूल से छूटने और घर पहुंचने से पहले के बीच का समय छात्रों के लिए मनमर्जी का समय होता […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | December 20, 2015 5:45 AM
बेअसर. दुर्घटना के बाद भी नहीं संभल रहे स्कूल, बच्चे को छोड़ दे रहे बीच सड़क पर
छुट्टी के बाद वाहनों में बैठने के लिए जान जोखिम में डाल रोड पार कर रहे बच्चे
पटना : स्कूल से छूटने और घर पहुंचने से पहले के बीच का समय छात्रों के लिए मनमर्जी का समय होता है. कैंपस से बाहर आकर वे अपनी मरजी से जो चाहे करते हैं. इस दौरान न रोकने वाला कोई होता है और न ही कोई टोकने वाला. कई बार तो स्कूल की दूसरी तरफ वाहन लगे होते हैं और और वाहनों में बैठने के लिए हर बच्चा जान जोखिम से डाल कर रोड पार करता है.
इन वाहनों तक पहुंचने और बैठने के दौरान बच्चे को देखने के लिए न तो बस का मालिक होता है और न बस कंडक्टर व ड्राइवर. बच्चों की सुरक्षा भगवान भरोसे होती है. कई हादसे भी हो चुके हैं. हादसों के कुछ दिन बाद तक सब कुछ ठीक करने की प्रक्रिया चलती है, लेकिन कुछ दिनों बाद ही सब भुल जाते हैं
सेंट कैरेंस हाइस्कूल, सेंट डॉमिनिक हाइस्कूल, इशान इंटरनेशनल हाइस्कूल, लोयेला हाइस्कूल, नॉट्रेडेम एकेडमी आदि स्कूल के बच्चों को तो बीच सड़क पर ही बस वाले उतार देते हैं. ऐसे में जो स्कूल वाहन लगने वाले साइड में है, तो वहां के बच्चे गाड़ियों से उतर कर सीधे कैंपस में चले जाते हैं.
लेकिन, असली समस्या रांग साइड वाले स्कूलों की है. वहां के बच्चे रोड क्राॅस कर स्कूल पहुंचते हैं. इस दौरान पब्लिक ट्रांसपोर्ट की स्पीड को रोकनेवाला कोई नहीं होता है. ऐसे में किसी भी दिन अनहोनी हो सकती है.

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