कोबाल्ट मशीन लगने का रास्ता हुआ साफ

पटना: आइजीआइएमएस क्षेत्रीय कैंसर विभाग में कोबाल्ट मशीन लगाने का रास्ता साफ हो गया है. कुछ माह पहले मुख्यमंत्री की पहल पर भारत सरकार परमाणु ऊर्जा विभाग ने मुंबई स्थित टाटा मेमोरियल हॉस्पिटल की टीम को निरीक्षण के लिए आइजीआइएमएस भेजा था. निरीक्षण के दौरान टीम ने अपनी रिपोर्ट ऊर्जा विभाग को भेजी. इस रिपोर्ट […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | November 30, 2013 8:22 AM

पटना: आइजीआइएमएस क्षेत्रीय कैंसर विभाग में कोबाल्ट मशीन लगाने का रास्ता साफ हो गया है. कुछ माह पहले मुख्यमंत्री की पहल पर भारत सरकार परमाणु ऊर्जा विभाग ने मुंबई स्थित टाटा मेमोरियल हॉस्पिटल की टीम को निरीक्षण के लिए आइजीआइएमएस भेजा था. निरीक्षण के दौरान टीम ने अपनी रिपोर्ट ऊर्जा विभाग को भेजी.

इस रिपोर्ट में दो प्रमुख सुधार शर्ते रखी गयी थी. पहली शर्त थी यहां के चिकित्सक एक माह के लिए टाटा मेमोरियल में ट्रेनिंग के लिए जायें और दूसरा परिसर में लगे सिमल्कस (कोबाल्ट को स्पोर्ट करता है) मशीन को कार्य से बाहर किया जाये. इस मशीन की उम्र खत्म हो गयी है. संस्थान प्रशासन ने दोनों कामों को पूरा कर लिया है और अब परिसर में कोबाल्ट लगने का रास्ता साफ हो गया है.

एक जनवरी से होगी ट्रेनिंग
ट्रेनिंग के लिए टाटा मेमोरियल के निदेश को पत्र लिखा गया था और वहां से जवाब आया है कि एक जनवरी से 31 जनवरी तक संस्थान के चिकित्सकों को ट्रेनिंग के लिए भेजा जा सकता है. इसको लेकर 09 लोगों की टीम बनायी गयी है, जिसमें चिकित्सक, नर्स, पारा मेडिकल स्टाफ शामिल हैं. ट्रेनिंग के बाद यही चिकित्सक संस्थान के कैंसर विभाग में वर्कशॉप के जरिये सभी को ट्रेनिंग देंगे.

कोबाल्ट का साइड इफेक्ट कम
कैंसर मरीजों का इलाज दो विधि से किया जाता है, जिसमें एक होता है किमोथेरेपी (दवा के माध्यम से) और दूसरा होता है रेडिएशन के माध्यम से. रेडिएशन के माध्यम से होनेवाले सेकाई के लिये कोबाल्ट 60 को लाया जायेगा, जो अपने देश का बना हुआ सबसे पुराना और अत्याधुनिक सुविधाओं से लैस है. इससे कैंसर मरीजों की सेकाई रेडिएशन से की जायेगी. इसमें रेडियो एक्टिव मेटेरियल निकलता है. इसका साइड इफेक्ट बहुत कम है.

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