बिहार में निवेश की असीम संभावनाएं : जिआऊं

बिहार में निवेश की असीम संभावनाएं : जिआऊंकोलकाता में चाइना के कॉन्सुलेट जनरल ने कहा संवाददाता, पटना कोलकाता में चाइना के कॉन्सुलेट जनरल एमए जियाऊं ने कहा कि बिहार में निवेश की असीम संभावनाएं हैं. चाइना भारत के गुजरात व महाराष्ट्र में इंडस्ट्रीयल पार्क बना रहा है. बिहार में भी इसकी संभावना है. लेकिन, पॉलिसी […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | December 22, 2015 9:38 PM

बिहार में निवेश की असीम संभावनाएं : जिआऊंकोलकाता में चाइना के कॉन्सुलेट जनरल ने कहा संवाददाता, पटना कोलकाता में चाइना के कॉन्सुलेट जनरल एमए जियाऊं ने कहा कि बिहार में निवेश की असीम संभावनाएं हैं. चाइना भारत के गुजरात व महाराष्ट्र में इंडस्ट्रीयल पार्क बना रहा है. बिहार में भी इसकी संभावना है. लेकिन, पॉलिसी के लेवल पर बिहार में अभी और काम होना चाहिए. श्री जियाऊं मंगलवार को कंफेडरेशन ऑफ इंडियन इंडस्ट्री (सीआइआइ) की ओर से आयोजित खुले सत्र को संबोधित कर रहे थे. इसका विषय था ‘ चाइना एंड बिहार इन पार्टनरशिप : रि इंब्रेसिंग इच अदर ‘. इस दौरान उद्योग से जुड़े कई लोगों ने भी काॅन्सुलेट जनरल से सीधे सवाल पूछे.कई क्षेत्र में निवेश के अवसरश्री जियाऊं ने कहा कि चाइना और इंडिया बेहतर आर्थिक स्थिति वाले देश हैं. देखा जाय तो बिहार में आइटी, गारमेंट, टूरिज्म, इलेक्ट्रॉनिक्स व प्लास्टिक क्षेत्र में बेहतर अवसर हैं. अगले कुछ वर्षों में डेढ़ ट्रिलियन डाॅलर निवेश करने की योजना बना रहा है. क्यों न भारत में इसके अधिक-से-अधिक केंद्र बने. सरकारी नीतियां भी निवेश को आकर्षित करती हैं.एक्सेसबल बनें अधिकारीश्री जियाऊं ने कहा कि अधिकारियों को एक्सेसबल होना होगा, ताकि निवेशकों की पहुंच उन तक आसानी से हो. इसके लिए जरूरी है कि इंडिया और चाइना के बीच संबंध और संवाद लगातार कायम होता रहे. उन्होंने कहा कि क्यों न पटना से चाइना के बीच सीधी उड़ान की व्यवस्था हो. इसके साथ ही रेल, बंदरगाह, शिपिंग व रोड में भी काम किया जा सकता है.सीएम के दौरे से बने अच्छे रिश्तेइससे पहले सीआइआइ बिहार चैप्टर के अध्यक्ष एसपी सिन्हा ने स्वागत भाषण दिया. उपाध्यक्ष पीके सिन्हा ने धन्यवाद ज्ञापन करते हुए कहा कि वर्ष 2013 में सीएम नीतीश कुमार के चीन दौरे के बाद रिश्ते अच्छे हुए हैं. कल्चर व टूरिज्म एक्सचेंज पर काम किया जा सकता है. निवेश के बेहतर अवसर पैदा करने होंगे. दोनों देश एक-दूसरे को डेलिगेशन भेजें, तो आपस में समझने में मदद मिलेगी.

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